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कभी भारतीयों का बीमा नहीं करती थीं इंश्योरेंस कंपनियां, LIC ने ऐसे बदला पूरा गेम – Hindi News | LIC anniversary Insurance companies never insure Indian people before but then LIC changed the game

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Sep 1, 2024    150848 views     Online Now 359
कभी भारतीयों का बीमा नहीं करती थीं इंश्योरेंस कंपनियां, LIC ने ऐसे बदला पूरा गेम

देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी है एलआईसीImage Credit source: Himanshu Bhatt/NurPhoto via Getty Images

वह गुलामी का दौर था और अंग्रेज इंग्लैंड से जीवन बीमा का कॉन्सेप्ट भारत लेकर आए थे पर भारतीयों का बीमा नहीं करते थे. देश आजाद हुआ तो साल 1956 के जनवरी महीने में सरकार ने देश में उस वक्त काम कर रहीं 245 बीमा कंपनियों का राष्ट्रीयकरण कर दिया. हालांकि, तब भी ये एक संगठन के अधीन काम नहीं कर रही थीं. फिर 19 जून 1956 को भारत सरकार ने एलआईसी एक्ट पारित किया. इसी एक्ट के तहत 1 सितंबर 1956 को जीवन बीमा निगम यानी एलआईसी का गठन हुआ. इसके साथ ही भारत में जीवन बीमा का पूरा खेल ही बदल गया. एलआईसी की वर्षगांठ पर आइए जान लेते हैं भारत में जीवन बीमा के उदय की कहानी.

आधुनिक जीवन बीमा का कॉन्सेप्ट अंग्रेज लाए थे भारत

बीमा की कहानी शायद उतनी ही पुरानी है, जितना पुराना मानवता का इतिहास है. फिर भी इसकी शुरुआत कुछ 6000 साल पहले मानी जाती है. आधुनिक रूप में जीवन बीमा को साल 1818 में अंग्रेज इंग्लैंड से भारत लेकर आए. भारत में अंग्रेजों द्वारा पहली कंपनी ओरियंटल लाइफ इंश्योरेंस कंपनी सबसे पहले कलकत्ता (अब कोलकाता) में शुरू की गई थी. बाद में और भी कंपनियां शुरू की गईं पर उस दौर में जितनी भी कंपनियां थीं, वे केवल यूरोपीय लोगों की जरूरतों का ध्यान रखती थीं और भारत के मूल निवासियों का बीमा नहीं करती थीं.

भारतीयों से एक्स्ट्रा प्रीमियम वसूल करती थीं कंपनियां

बाद में बाबू मुत्तीलाल सील जैसे कुछ जाने-माने लोगों के प्रयास से विदेश जीवन बीमा कंपनियों ने भारतीयों का बीमा शुरू किया पर भारतीयों के जीवन को सब-स्टैंडर्ड मानकर इनसे भारी भरकम एक्स्ट्रा प्रीमियम वसूल करती थीं. साल 1870 में बॉम्बे म्यूचुअल लाइफ एश्योरेंस सोसाइटी ने पहली भारतीय जीवन बीमार कंपनी की शुरुआत की और भारतीयों का बीमा भी साधारण दरों पर होने लगा. फिर ऐसी कई भारतीय कंपनियों की शुरुआत देशभक्ति के भाव से की गई. ऐसे ही राष्ट्रवादी विचारधारा के साथ साल 1896 में एक कंपनी शुरू की गई थी भारत इंश्योरेंस कंपनी.

स्वदेशी आंदोलन के दौरान कई कंपनियों की स्थापना

साल 1905 से 1907 के बीच स्वदेशी आंदोलन के दौरान और भी कई इंश्योरेंस कंपनियां सामने आईं. मद्रास (अब चेन्नई) में द यूनाइटेड इंडिया, कलकत्ता में नेशनल इंडियन और नेशनल इंश्योरेंस और लहौर में कोऑपरेटिव एश्योरेंस की स्थापना साल 1906 में की गई. साल 1907 में कलकत्ता में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के कलकत्ता के जोड़ासांकू में स्थिति घर के एक कमरे में हिन्दुस्तान कोऑपरेटिव इंश्योरेंस कंपनी का जन्म हुआ. इसी दौरान द इंडियन मर्केंटाइल, जनरल एश्योरेंस और स्वदेशी लाइफ जैसी कंपनियां भी स्थापित की गईं. स्वदेशी लाइफ का नाम बाद में बॉम्बे लाइफ हो गया.

उठने लगी इंश्योरेंस कंपनियों के राष्ट्रीयकरण की मांग

साल 1912 में अग्रेंजों ने द लाइफ इंश्योरेंस कंपनीज एक्ट और द प्रोविडेंट फंड एक्ट पास किया. द लाइफ इंश्योरेंस कंपनीज एक्ट-1912 में यह जरूरी कर दिया गया कि इन कंपनियों का प्रीमियम रेट टेबल और पीरियोडिकल वैल्युएशन एक बीमांकक (एक्चुअरी) द्वारा सत्यापित किया जाना चाहिए. हालांकि, इस एक्ट के जरिए भारतीय और विदेशी कंपनियों के बीच साफ-साफ भेदभाव किया गया, जिससे भारतीय कंपनियों को असुविधा का सामना करना पड़ा. इसके बाद पहली बार द इंश्योरेंस एक्ट 1938 के जरिए लाइफ इंश्योरेंस के साथ ही साथ गैर जीवन बीमा को भी सख्त सरकारी नियंत्रण में लाया गया. हालांकि, इसी बीच इंश्योरेंस इंडस्ट्री के राष्ट्रीयकरण की मांग भी शुरू हो गई थी पर साल 1944 में जब लाइफ इंश्योरेंस एक्ट 1938 में बदलाव के लिए लेजिस्लेटिव असेंबली में एक बिल पेश किया गया तो राष्ट्रीयकरण की मांग को और मजबूती मिली पर अंग्रेजों ने इस दिशा में कदम नहीं उठाए.

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जब सरकार ने अध्यादेश के जरिए संभाला प्रबंधन

देश की आजादी के बाद 19 जनवरी 1956 को भारत सरकार ने आखिरकार जीवन बीमा कंपनियों का राष्ट्रीयकरण कर दिया. उस समय लगभग 154 भारतीय बीमा कंपनियां, 16 विदेशी कंपनियां और 75 भविष्य निधि कंपनियां काम कर रही थीं. हालांकि, तब भी ये कंपनियां एक संगठन के अधीन काम नहीं कर रही थीं और शुरू में इन कंपनियों का प्रबंधन एक अध्यादेश के जरिए सरकार ने अपने हाथ में लिया था और बाद में एक विधेयक के जरिए इनका मालिकाना भी सरकार ने ले लिया.

एक सितंबर 1956 को हुआ एलआईसी का गठन

इसके ठीक छह महीने बाद 19 जून 1956 को संसद में लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन एक्ट पारित हुआ और इसके साथ ही एक सितंबर 1956 को लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (भातीय जीवन बीमा निगम) का गठन किया गया. इस उद्देश्य जीवन बीमा को और विस्तार देना था. खासतौर पर ग्रामीण इलाकों तक बीमा की पहुंच सुनिश्चित की जानी थी, जिससे देश में बीमा के योग्य सभी लोगों को सही दर पर आर्थिक सुरक्षा मुहैया कराई जा सके.

पुनर्गठन के बाद से रचना शुरू कर दिया इतिहास

कॉरपोरेट ऑफिस के अलावा साल 1956 में एलआईसी के पांच जोनल कार्यालय, 33 डिविजनल कार्यालय और 212 ब्रांच कार्यालय थे. हालांकि, बाद में जरूरतें बढ़ने पर हर जिले में एलआईसी की एक शाखा खोली गई. फिर इसे पुनर्गठित किया गया और बड़ी संख्या में एलआईसी के ब्रांच ऑफिस खोले गए. इसके तहत सर्विसिंग फंक्शंस को इन शाखाओं को स्थानांतरित कर दिया गया और इन शाखाओं को ही अकाउंटिंग यूनिट बना दिया गया.

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इसकी सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि साल 1957 में जहां एलआईसी ने दो सौ करोड़ का नया बिजनेस किया था, वहीं साल 1969-70 में यह एक हजार करोड़ पर पहुंच गया. अगले 10 सालों में एलआईसी दो हजार करोड़ के नए व्यापाक के आंकड़े को पार कर गया. 1980 के दशक की शुरुआत में इस फिर पुनर्गठित किया गया और साल 1985-86 के दौरान एलआईसी ने 7000 करोड़ रुपये के सम एश्योर्ड वाली नई पाॉलिसी कर डालीं.

एलआईसी की वेबसाइट पर दी गई सूचना के अनुसार, वर्तमान में इसके 2048 कंप्यूटराइज्ड ब्रांच ऑफिस, 113 डिविजनल ऑफिस, 8 जोनल ऑफिस, 1381 सैटेलाइट और कॉरपोरेट ऑफिस हैं. यही नहीं, एलआईसी ने कई बैंकों और अन्य सेवा प्रदाताओं के साथ ऑनलाइन प्रीमियम कलेक्शन फैसिलिटी के लिए समझौता किया है. आज तो एक क्विल में वेबसाइट और एप के जरिए इसकी सेवाएं ली जा सकती हैं. अब तो यह शेयर बाजार में पंजीकृत कंपनी है.

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