बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह.
कोलकाता में डॉक्टर की रेप कर हत्या का मामला अब सियासी घमासान में बदल चुका है. इस मुद्दे पर पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी की सरकार, राज्य की विपक्षी पार्टी बीजेपी एवं केंद्र सरकार आमने-सामने है. रेप मामले में पश्चिम बंगाल पुलिस और आरजीकर अस्पताल के प्रबंधन पर लीपापोती करने का आऱोप लगा है. कोलकाता पुलिस के बाद अब मामले सीबीआई के हाथों में है, लेकिन 20 दिनों के बाद भी सीबीआई एक भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकी है. आरजी मेडिकल कॉलेज के छात्र न्याय की मांग पर लगातार आंदोलन और हड़ताल कर रहे हैं. पीड़िता के माता-पिता भी न्याय फरियाद कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले में सख्त टिप्पणी की है.राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने एक बयान जारी कर कोलकाता रेप केस पर गहरी चिंता जताई है, लेकिन मामला जस का तस है. केवल पूछताछ हो रही है, लेकिन मौत पर से रहस्य का पर्दा नहीं उठा है.
इस बीच, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दोषी को फांसी की सजा दिलाने की मांग को लेकर दो सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर रेप के आरोपी को फांसी की सजा देने का प्रावधान पर एक विधेयक लाने का ऐलान कर दिया है. ममता बनर्जी ने ऐलान किया कि यदि राज्यपाल इस विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं करते हैं तो वह राजभवन के सामने ही धरना देंगी.
इसके साथ ही रेप मामले में बीजेपी के बंगाल बंद और हिंसक झड़प ममता बनर्जी ने हमला बोला है और केंद्र सरकार पर बंगाल में अशांति पैदा करने का आरोप लगाते हुए चेतावनी दे डाली है कि यदि बंगाल जला तो दिल्ली, झारखंड, यूपी और उत्तर पूर्वी राज्य भी नहीं बचेंगे. इसकी पूरे देश के बीजेपी नेताओं ने आलोचना की है और ममता बनर्जी पर हिंसा को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है.
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शुक्रवार को राज्यपाल शाह से करेंगे मुलाकात
इस पृष्ठभूमि में बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस गुरुवार की शाम को कोलकाता से दिल्ली पहुंचे हैं. शुक्रवार को राज्यपाल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे. सूत्रों का कहना है कि राज्यपाल बंगाल की पूरी स्थिति के बारे में शाह को सूचित करेंगे. कोलकाता रेप मर्डर कांड, रेप को लेकर मृत्यु दंड पर विशेष विधेयक, ममता बनर्जी के बयान सहित राज्य की पूरी स्थिति पर राज्यपाल केंद्रीय गृह मंत्री को रिपोर्ट देंगे.
बंगाल में रेप-मर्डर केस, आरजी कर में स्कैम और बीजेपी-ममता बनर्जी के घमासान से सियासत गरमाई हुई है. वैसे में राज्यपाल और अमित शाह से मुलाकात राजनीतिक रूप से काफी महत्वपर्ण है. राज्यपाल के दिल्ली आने से पहले बंगाल प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार और पूर्व अध्यक्ष दिलीप घोष समेत बीजेपी प्रतिनिधि राज्यपाल से मिलने राजभवन गये थे और उन्होंने राज्यपाल से ममता बनर्जी के बयान को लेकर, रेप कांड और भ्रष्टाचार के मामले पर कार्रवाई करने का आग्रह किया था.
ममता और केंद्र में बढ़ेगा घमासान
राज्यपाल से मुलाकात के बाद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि मैंने राज्यपाल को बुधवारको ममता की टिप्पणियों के बारे में सूचित किया. वह और उनके ऊपर के लोग क्या करेंगे, यह उन पर निर्भर है.
लेकिन ममता बनर्जी के बयान के बाद बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा, उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह से लेकर अन्य भाजपा नेताओं ने उन पर हमला बोला था और ममता बनर्जी के बयान पर आपत्ति जताई थी. ऐसे में यह देखना अहम होगा कि राज्यपाल इस मसले पर केंद्रीय गृह मंत्रालय को क्या रिपोर्ट देते हैं? याकेंद्र सरकार क्या कार्रवाई करती है?
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक पार्थ मुखोपाध्याय का कहना है कि कोलकाता रेप कांड के बाद बैकफुट पर पहुंचीं ममता बनर्जी अब इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरने की तैयारी कर रही हैं. न्याय संहिता में रेप जैसे क्रूत अपराध को लेकर फांसी का प्रावधान किया गया है. इसके बाद बावजूद ममता बनर्जी अब इसी मुद्दे पर विधानसभा में एक विधेयक पेश करने की तैयारी कर रही हैं और आरोपी को फांसी की सजा देने की मांग कर रही हैं.
रेप की सजा फांसी, ममता पेश करेंगी विधेयक
ममता बनर्जी ने पहले ही घोषणा कर चुकी हैं कि यदि राज्यपाल इस बिल पर हस्ताक्षर नहीं करते हैं तो वह राजभवन के सामने धरना देंगी. अब राज्यपाल के सामने यह बड़ा सवाल है कि क्या वह इस बिल पर हस्ताक्षर करेंगे या नहीं करेंगे तो फिर से ममता बनर्जी और राज्यपाल के बीच घमासान तय है.
ऐसे में राज्यपाल अमित शाह से मुलाकात के दौरान इस मुद्दे पर भी चर्चा के आसार हैं और यह रणनीति तय की जा सकती है कि विधानसभा से रेप की सजा मौत को लेकर विधेयक पारित होने के बाद राज्यपाल या केंद्र सरकार की रणनीति क्या होगी?
धारा 365 या फिर क्या करेगी बीजेपी?
वहीं, पश्चिम बंगाल की जिस तरह से कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर सवाल किये जा रहे हैं, बीजेपी के कुछ नेताओं ने राज्य में धारा 356 लगाने की मांग भी कर दी है, हालांकि संदेशखाली रेप केस से लेकर पंचायत चुनाव और विधानसभा चुनाव में हिंसा का मामला हो, केंद्र सरकार की ओर से पहले भी राज्य में दखल देने से इनकार किया जाता रहा है,
लेकिन वर्तमान परिस्थिति में क्या केंद्र सरकार बंगाल को लेकर अपनी पुरानी नीति पर चलेगी या फिर बंगाल को लेकर केंद्र सरकार की ओर से कड़े कदम उठाए जाएंगे. इसका खुलासा आने वाले दिनों में ही हो पाएगा. क्योंकि किसी भी कदम के राजनीति मायने और फायदे और नुकसान हैं. केंद्र की बीजेपी सरकार इसका नफा-नुकसान देखकर ही इस पर कोई कदम उठाएगी, लेकिन ममता बनर्जी ने जिस तरह से केंद्र सरकार के खिलाफ फिर से लड़ाई तेज की है. उसके मुकाबले की रणनीति तो बीजेपी को बनानी ही होगी.
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