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जब सोनिया गांधी के बगल में बैठने के लिए राजीव गांधी ने दी थी ‘रिश्वत’, जानें कहां हुई थी पहली मुलाकात | Rajiv Gandhi Jayanti 2024 rajiv and sonia gandhi love story Sadbhavana Diwas History and Legacy of Rajiv Gandhi in hindi

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Aug 20, 2024    150838 views     Online Now 273
जब सोनिया गांधी के बगल में बैठने के लिए राजीव गांधी ने दी थी 'रिश्वत', जानें कहां हुई थी पहली मुलाकात

स्कूल की पढ़ाई के बाद राजीव गांधी का दाखिला कैंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज कराया गया, वहीं उनकी मुलाकात सोनिया गांधी से हुई थी.Image Credit source: Getty Images

राजीव गांधी यानी देश के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री, जिन्होंने विकसित भारत का सपना देखा और उसे हकीकत में बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ी. 40 साल की उम्र में प्रधानमंत्री बने राजीव गांधी दुनिया के उन युवाओं में से एक हैं, जिन्होंने अपने देश की सरकार चलाई पर एक समय ऐसा भी था जब राजीव की राजनीति में तनिक भी दिलचस्पी नहीं थी. 20 अगस्त 1944 को जन्मे राजीव पढ़ने के लिए कैंब्रिज गए तो वहां अक्सर एक रेस्टोरेंट में जाया करते थे. वहीं सोनिया को देखा और उनकी बगल वाली सीट पर बैठने के लिए रेस्टोरेंट के मालिक को रिश्वत तक दी थी.

आज उनकी जयंती सद्भावना दिवस के रूप में मनाई जा रही है. इसी मौके पर आइए जान लेते हैं पूरा किस्सा.

बॉम्बे में हुआ था जन्म

राजीव गांधी का जन्म मुंबई (तब बम्बई या बॉम्बे) में हुआ था. वह तीन साल के थे, जब देश को आजादी मिली और उनके नाना पंडित जवाहर लाल नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने. राजीव के पिता फिरोज गांधी सांसद चुने गए. मां इंदिरा गांधी पंडित नेहरू के साथ ही रहती थीं, इसलिए राजीव का बचपन तीन मूर्ति हाउस में बीता. थोड़े बड़े हुए तो पढ़ने के लिए देहरादून के वेल्हम स्कूल भेजे गए. वहां से दून आवासीय स्कूल में दाखिला हुआ, जहां बाद में उनके छोटे भाई संजय गांधी भी पढ़ने के लिए भेजे गए और दोनों भाई साथ रहने लगे.

कैंब्रिज में सोनिया से मिले थे राजीव गांधी

स्कूल की पढ़ाई के बाद राजीव गांधी का दाखिला कैंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज में इंजीनियरिंग का ट्राइपोस कोर्स करने के लिए कराया गया. वहीं उनकी मुलाकात इटली मूल की सोनिया से हुई. उनको देखते ही राजीव को उनसे प्यार हो गया था. अश्विनी भटनागर ने राजीव गांधी पर एक किताब लिखी है, द लोटस इयर्स : पॉलिटिकल लाइफ इन इंडिया इन द टाइम ऑफ राजीव गांधी. लेखक अश्विनी भटनागर के हवाले से बीबीसी की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि कैंब्रिज के एक ग्रीक रेस्टोरेंट में राजीव अक्सर जाते थे. वहीं उन्होंने सोनिया को देखा था.

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सोनिया के बगल की सीट के लिए दिए थे ज्यादा पैसे

एक दिन राजीव उसी ग्रीक रेस्तरां में पहुंचे तो सोनिया भी मौजूद थीं. सोनिया के बगल की सीट पर बैठने के लिए उन्होंने रेस्टोरेंट के मालिक चार्ल्स एंटनी को मनाया. ग्रीक व्यापारी चार्ल्स ने इस काम के लिए राजीव से दोगुने पैसे मांगे. राजीव इसके लिए तैयार भी हो गए. बाद में राजीव गांधी पर सिमी ग्रेवाल ने एक डॉक्यूमेंट्री बनाई थी. इसमें उन्होंने कहा था, मैंने इतने अधिक प्यार में पहले किसी को नहीं देखा. कैंब्रिज में पढ़ाई के दौरान वह अपना खर्चा खुद निकालते थे और इसके लिए आइसक्रीम तक बेचा करते थे. तब वह सोनिया से मिलने साइकिल पर जाते थे. वैसे कैंब्रिज में राजीव के पास एक पुरानी फोक्सवैगन कार थी, जिसके पेट्रोल का खर्चा उनके सभी दोस्त मिलकर उठाते थे.

Rajiv Gandhi Family Picture

मां इंदिरा और भाई संजय के साथ राजीव गांधी. फोटो: Hulton-Deutsch Collection/Corbis via Getty Images

राजनीति के बजाय प्लेन को चुना

नाना, माता-पिता और छोटे भाई संजय भारतीय राजनीति के अग्रणी नेता थे. इसके बावजूद राजीव को राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं थी. वह विज्ञान और इंजीनियरिंग की किताबें पढ़ते थे और संगीत के साथ उनको फोटोग्राफी व रेडियो सुनने का शौक था. हवाई उड़ान तो उनका सबसे बड़ा जुनून था. इसलिए इंग्लैंड से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर लौटने के बाद उन्होंने दिल्ली फ्लाइंग क्लब में प्रवेश ले लिया. फिर कॉमर्शियल पायलट का लाइसेंस हासिल किया और इंडियन एयरलाइंस में पायलट बन गए.

कार चलाते नहीं, उड़ाते थे

राजीव गांधी को कार चलाने का भी बेहद शौक था. बीबीसी ने इससे जुड़ा एक किस्सा अश्विनी भटनागर के हवाले से प्रकाशित किया है. यह साल 1981 की बात है. अमेठी लोकसभा क्षेत्र से राजीव उप चुनाव लड़ रहे थे और मई में प्रचार के लिए अपने चुनाव क्षेत्र में घूम रहे थे. वहां से लखनऊ जाकर उनको दिल्ली की फ्लाइट पकड़नी थी. इसी बीच सूचना आई कि तिलोई नामक जगह पर 30-40 झुग्गियों में आग लगी है. तिलोई राजीव से 20 किमी की दूरी पर था. राजीव ने लखनऊ के बजाय अपनी कार तिलोई की ओर मोड़ दी और मौके पर पहुंचकर पीड़ितों को सांत्वना देते रहे. इसी बीच उनके साथ खड़े संजय सिंह फुसफुसाए की उड़ान छूट जाएगी पर राजीव ने ध्यान नहीं दिया.

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सबसे मिलने के बाद राजीव ने संजय सिंह से पूछा कि अब लखनऊ पहुंचने में कितना टाइम लगेगा. अश्विनी भटनागर के मुताबिक संजय ने कहा कि वैसे तो दो घंटे लगेंगे पर आप गाड़ी चलाएं तो 1:40 घंटे में पहुंच सकते हैं. बात करते-करते ही राजीव गाड़ी में बैठ गए और संजय से कहा कि एयरपोर्ट सूचना पहुंचा दीजिए कि हम 1:15 घंटे में अमौसी पहुंच जाएंगे और हुआ भी वैसा ही. राजीव तय समय से पहले एयरपोर्ट पहुंच गए थे.

Rajiv Gandhi

एक समय ऐसा भी था जब राजीव गांधी को राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं थी. फोटो: Bettmann/Getty Images

प्लेन के यात्रियों को नहीं बताते थे पूरा नाम

राजीव गांधी जब पाइलट थे तो उनकी मां इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थीं. ऐसे में सुरक्षा के लिहाज से प्लेन के यात्रियों को वह अपना पूरा नाम नहीं बताते थे. कॉकपिट से वह केवल अपना नाम राजीव बताकर यात्रियों का विमान में स्वागत करते थे. उनके साथ के दूसरे कैप्टन को भी निर्देश होता था कि राजीव का पूरा नाम न बताया जाए. शुरू में राजीव डकोटा उड़ाते थे पर बाद में बोइंग में उड़ान भरने लगे थे.

इंदिरा की हत्या के बाद बने प्रधानमंत्री

31 अक्तूबर 1984 को प्रधानमंत्री आवास पर इंदिरा गांधी को अंगरक्षकों ने ही गोलियों से भून दिया. आनन-फानन में राजीव को बंगाल से दिल्ली बुलाया गया और उनको प्रधानमंत्री बनाने का फैसला हुआ. उनकी यह राह आसान नहीं थी. इंदिरा की हत्या के बाद पूरे देश में सिख विरोधी दंगे फैल गए. ऐसे मुश्किल वक्त में सबसे युवा प्रधानमंत्री ने न केवल देश को संभाला, बल्कि 1984 के लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी को 404 सीटें भी दिलाईं.

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राजीव गांधी 21 मई 1991 को प्रचार के लिए तमिलनाडु के श्रीपेरुमबुदुर में थे, जहां एक महिला हमलावर ने पैर छूने के बहाने राजीव के पास आकर खुद को बम से उड़ा लिया. इसमें राजीव समेत कई लोगों का निधन हो गया था.

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