मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक में जीते 2 मेडल (Photo: Instagram)
पेरिस ओलंपिक में सफलता को लेकर मनु भाकर की तैयारी जबरदस्त थी. उन्होंने बताया कि पेरिस में अच्छा करना है ये बात उनके दिमाग में थी. उसी पक्के इरादे के साथ वो दो मेडल जीतने में कामयाब रहीं. अपने बारे में बताने के अलावा मनु भाकर ने राहुल गांधी से हुई मुलाकात के बारे में भी बताया. उन्होंने बताया कि जब वो पेरिस में नीरज चोपड़ा से मिलीं तो क्या बातचीत हुई? मनु अब PM मोदी से होने वाली मुलाकात को लेकर भी काफी उत्साहित हैं. TV9 की सुरभि शर्मा के साथ पेरिस ओलंपिक और उसके बाद के अनुभव को लेकर मनु भाकर ने खास बातचीत की.
सवाल- जब आप भारत से ओलंपिक के लिए जा रही थीं तो क्या सोचा था कि वापस आकर एक सेंसेसन बन जाएंगी?
जवाब- टोक्यो के बाद से ही दिमाग में था कि पेरिस में कुछ बढ़िया करना है. मेरी पूरी टीम और हमने इस तरह से ही मेहनत की थी कि पेरिस में अच्छा करना है. इस तरह की सफलता में परिवार का सर्पोट और कोच का विश्वास बहुत मैटर करता है.
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सवाल – इतिहास रचने वाले मूमेंट के बारे में कुछ बताएं?
जवाब- ये तो इतिहास रचने के बाद पता चलता है कि इतिहास रच दिया.
सवाल – उस ऐतिहासिक पल के बाद आपकी पीएम से भी बात हुई?
जवाब- जी उनसे बात हुई थी. काफी मेहनत लगी है यहां तक पहुंचने में , काफी प्रोत्साहन मिलता है. इतना बीजी शेड्यूल होते हुए भी उन्होंने फोन किया, काफी अच्छा लगता है और आगे बढने का प्रोत्साहन भी मिलता है. अब उनसे (पीएम से) मुलाकात होगी, उनसे मिलेंगे और आर्शाबाद लेंगे.
सवाल- आपकी राहुल गांधी और सोनिया गांधी से भी मुलाकात हूई?
जवाब- जी, उनसे भी मुलाकात हुई. पहले तो मेडल तक ही सोचा था. अब मेडल आने के बाद के चीजों से वाकिफ हो रही हूं. उनसे भी हम पूरे परिवार के साथ मिलने गए थे. कोच सर भी साथ थे. राहुल गांधी को स्पोर्टस में काफी रुची है. पहले उन्होंने शूटिंग की है. उनकी पिस्टल से ही मेरे कोच ने शूटिंग शूरू की थी. उनको सर पहले से जानते हैं. मैं उनसे पहली बार मिली थी. पार्लियामेंट के एक्सपीरियंस के बारे में मूझसे पूछ रहे थे.
सवाल- तुर्किए के शूटर की लुक, उनकी अपीरियंस, उनकी कामनेश, सबके लिए एक टॉकिंग पॉइंट बन चुकी थी?
जवाब- हर खिलाड़ी का अपना अपना स्टाइल होता है. वो सिर्फ शूटिंग में नहीं , हरेक एथलीट में आप देख सकते हैं. काफी सीनियर प्लेयर हैं, उनकी आदत ही नहीं है एक आंख ढकने की या एक आंख बंद करने की. शूरुआत में मेरी भी आदत थी एक आंख बंद करके शूटिंग करने की. कोच ने मुझे पुश किया की तुम चश्में लगाना शुरू करो. आंखों की रोशनी ठीक रहेगी और सिरदर्द भी नहीं होगा. शुरुआत में काफी मुश्किल लगा लेकिन अब मुझे आदत हो गई है.
सवाल- हरियाणा में ताकत वाला खेल ही याद आता है. कुश्ती , बॉक्सिंग, कबड्डी. क्या आपको अपने परिवार वालों को शूटिंग के बारे में बताने में मुश्किल हूई?
जवाब- घर वाले को कभी मनाना ही नही पड़ा. शूटिंग मैंने पहले स्कूल से शुरू की थी. कोच ने मेरे लिए मम्मी को समझाया और कहा कि इसे एक साल दो आप. लोगों को समझाना थोड़ा मुश्किल होता था
सवाल – खिलाडियों से बातचीत होती है क्या? नीरज से आपकी क्या बातचीत हुई?
जवाब- वैसे तो ज्यादा बात नहीं होती. यही पूछते हैं कैसी तुम्हारी जर्नी थी?
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