स्वतंत्रता सेनानियों का गांव बाराबंकी का हरख
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे बाराबंकी ने आजादी की लड़ाई में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया था. उन दिनों यहां युवाओं के सिर पर आजादी का जुनून सवार था. इसे देखते हुए सुभाष चंद्र बोस ने दरियाबाद गांव में युवाओं के लिए प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया था. वहीं दो बार खुद महात्मा गांधी यहां आए. हुकुमत के खिलाफ लोग इस कदर बगावत पर उतर आए थे कि अंग्रेजों ने हालत पर काबू पाने के लिए कुओं में मिट्टी का तेल डलवा दिया. वर्ष 1930 में महात्मा गांधी ने जब दांडी मार्च किया तो उसमें भी बाराबंकी जिले से काफी लोग शामिल हुए थे.
साल 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन को लेकरछिड़ी मुहिम में भी यहां के लोग कूद पड़े थे. इसके लिए यहां के लोगों को बड़ी यातना भी झेलनी पड़ी थी. जिला मुख्यालय से लगभग दस किमी दूर हरख क्षेत्र भी आज उन्हीं क्रांतिकारियों के नाम से प्रसिद्ध है. यहां 18 ऐसे लोग थे, जिन्होंने अंग्रेज अफसर को जूतों की माला पहना दी थी. इसके अलावा डाक और रेलवे स्टेशन को भी लूट लिया था. इनमें शिव नारायण, रामचंदर, श्रीकृष्ण, श्रीराम, मक्का लाल, सर्वजीत सिंह, राम चंद्र, रामेश्वर, कामता प्रसाद, सर्वजीत, कल्लूदास, कालीचरण, बैजनाथ प्रसाद, रामगोपाल, रामकिशुन, द्वारिका प्रसाद और मास्टर आदि शामिल हैं.
नाटक में अंंग्रेज अफसर को पहनाई थी जूतों की माला
वर्ष 1972 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री कमला पति त्रिपाठी ने इन सभी को ताम्रपत्र देकर सम्मानित किया था. स्वतंत्रता सेनानी राम चन्द्र के बेटे उपेंद्र और भूपेंद्र ने बताया कि 1942 में एक अंग्रेज एवी हार्डी यहां का डीएम था. उसे सबक सिखाने के लिए गांव वालों ने स्वागत के बहाने बुलाया, फिर उसके सामने अवधी भाषा में एक नाटक खेली. इस नाटक में हार्डी बने कलाकार को लोगों ने जूतों की माला पहना दी. अंग्रेज डीएम हार्डी को उस समय तो समझ में नहीं पाया.
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अंग्रेजों ने कुएं में डलवा दिया था मिट्टी का तेल
अगले दिन जब उसे जब इस नाटक की असलियत का ज्ञान हुआ तो उसने गांव में पुलिस भेज कर कोहराम मचा दिया.लोगों के घरों में रखे अनाज कुएं में फिंकवा दिए और कुओं में मिट्टी का तेल डलवाया दिया. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राम चन्द्र की पत्नी रमा कांति देवी के मुताबिक उनके पति ने साथियों के साथ मिलकर डाक और बिंदौरा रेलवे स्टेशन लूटकर आग के हवाले कर दिया था. गांव के प्रधान प्रतिनिधि चट्टान सिंह के मुताबिक अंग्रेजों ने 18 लोगों को जेल भेजा और जुर्माना लगाया था.
वापस हो गई थी जुर्माने की राशि
हालांकि आजादी के बाद जुर्माने की राशि 5 हजार रुपये वापस हो गई. इसी राशि से हरख में नया आयुर्वेदिक अस्पताल बनाया गया है. उन्होंने कहा कि आजाद भारत में इन सेनानियों की समाधि पर आज कोई फूल चढ़ाने वाला भी नहीं है. स्वतंत्रता सेनानी बाबू पुत्तुलाल वर्मा की समाधि पर जंगल झाड़ियां उगी हैं. ग्रामीण रामपाल ने बताया कि जो भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हुए उनकी याद में गांव का प्रवेश द्वार बना है. इस पर सभी का नाम अंकित है.
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