भारत के लिए डिफेंडर जर्मनप्रीत सिंह ने भी ब्रॉन्ज मेडल जीतने में अहम भूमिका निभाई.Image Credit source: PTI
भारतीय हॉकी टीम ने पेरिस ओलंपिक 2024 में भी वही कमाल कर दिखाया, जो उन्होंने 3 साल पहले टोक्यो में किया था. टीम इंडिया ने गुरुवार 8 अगस्त को स्पेन के खिलाफ मैच में 2-1 से जीत दर्ज की और इसके साथ ही पेरिस ओलंपिक का ब्रॉन्ज मेडल जीत लिया. इस तरह भारतीय टीम ने ये भी साबित कर दिया कि टोक्यो की सफलता कोई तुक्का नहीं थी, बल्कि ये टीम वाकई में इन दोनों मेडल की हकदार थी. जाहिर तौर पर टीम इंडिया ने इस सफलता के लिए कड़ी मेहनत की थी और ये मेडल जीतने के बाद भी थोड़ी निराशा थी क्योंकि वो गोल्ड भी जीत सकती थी. ये दावे भारतीय फैन होने के नाते नहीं किए जा रहे, बल्कि टीम इंडिया को ये सफलता दिलाने में खास भूमिका निभाने वाले डिफेंडर जर्मनप्रीत सिंह ने खुद टीवी9 भारतवर्ष से कही हैं.
टोक्यो ओलंपिक में भारत ने 41 साल बाद हॉकी का मेडल जीता था और इस बार यही सफलता दोहराए जाने की उम्मीद देश कर रहा था. हालांकि जितना कठिन ग्रुप टीम इंडिया को मिला था, उसे देखकर उसके क्वार्टर फाइनल या सेमीफाइनल तक पहुंचने की संभावनाएं भी कम बताई जा रही थीं. लेकिन शायद फैंस और एक्सपर्ट्स क्या सोचते हैं, टीम को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि वो इसमें गोल्ड जीतने के इरादे से उतरे थे और पूरे टूर्नामेंट में प्रदर्शन भी ऐसा ही किया.
ब्रॉन्ज जीतकर भी क्यों दुखी थी टीम?
टीम इंडिया की इस सफलता में हर खिलाड़ी का योगदान रहा, जिसमें डिफेंडर जर्मनप्रीत सिंह भी थे. भारत का डिफेंस इस ओलंपिक में दमदार रहा और यही कारण था कि उसने ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन को भी हरा दिया. टीम के डिफेंस का हिस्सा रहे जर्मनप्रीत ने टीवी9 से एक्सक्लूसिव बातचीत में बताया कि पूरी टीम इस सफलता को इंजॉय कर रही है और खास तौर पर वो खुशकिस्मत हैं क्योंकि अपने पहले ही ओलंपिक गेम्स में उन्हें ब्रॉन्ज मेडल जीतने का मौका मिल गया.
ब्रॉन्ज मेडल जीतने से टीम और पूरा देश बेहद खुश था लेकिन जर्मनप्रीत ने ये भी बताया कि जब मेडल लेने के लिए पोडियम पर पहुंचे तो इमोशनल होने के अलावा थोड़ा दुख भी था. उन्होंने बताया कि ये दुख गोल्ड मेडल नहीं जीत पाने का था क्योंकि पूरी टीम इस बार सिर्फ गोल्ड जीतने के इरादे से ही आई थी और इसके लिए पूरी तरह तैयार भी थी. इसके साथ ही उन्होंने इरादे भी साफ कर दिए कि टीम इस सफलता से संतुष्ट नहीं है और सिर्फ गोल्ड मेडल जीतकर ही उन्हें सुकून मिलेगा.
‘चोट खाएंगे लेकिन अब हारना नहीं’
टीम इंडिया के इस कैंपेन की बात दिग्गज गोलकीपर पीआर श्रीजेश की चर्चा के बिना अधूरी ही है. पूरे देश की तरह टीम इंडिया भी उन्हें अपनी दीवार ही मानती है. ये भरोसा टीम को उस दिन भी था जब क्वार्टर फाइनल मैच में ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ सिर्फ 10 खिलाड़ी रह गए थे. जर्मनप्रीत ने बताया कि अमित रोहिदास को मिले रेड कार्ड के बाद पूरी टीम और भी ज्यादा पॉजिटिव हो गई थी और तय कर लिया था कि अब किसी भी हाल में नहीं हारना, चाहे कितनी भी चोट लग जाए. उन्होंने बताया कि जैसे ही फुल टाइम हुआ और मामला पेनल्टी शूट आउट में पहुंचा तो सबको जीत का यकीन था क्योंकि सामने श्रीजेश थे और यही हुआ.
‘पूरा देश खुश, इसलिए हम भी खुश’
स्टार डिफेंडर ने बताया कि इस सफलता के लिए पूरी टीम ने खूब मेहनत की थी और कई कुर्बानियां भी दी थीं क्योंकि ट्रेनिंग कैंप के कारण लंबा वक्त परिवार से दूर रहना पड़ा था लेकिन हर कोई इसके लिए तैयार भी था. उन्होंने तो ये भी बताया कि पेरिस पहुंचने के बाद जैसे ही ट्रेनिंग शुरू हुई, सबने अपने फोन बंद कर दिए थे और सीधे ब्रॉन्ज मेडल जीतने के बाद ही उन्हें दोबारा चालू किया. जर्मनप्रीत ने कहा कि उन्हें इस बात की भी खुशी है कि इस मेडल से पूरा देश ज्यादा खुश नजर आया और उन्हें बस देश वापसी का इंतजार है, जहां उन्होंने फैंस से अच्छे स्वागत की उम्मीद जताई.
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