इजराइल पर हमले में ईरान को मिल सकती है रूस की मदद
रूस और ईरान के बीच दोस्ती की शुरुआत तो ड्रोन सप्लाई से हुई थी लेकिन बाद में पुतिन ने ईरान के भरोसे एक बहुत बड़े मिशन की शुरुआत कर दी थी. अब वक्त उसे अंजाम तक पहुंचाने की है. माना जा रहा है कि ईरान और इजरायल युद्ध का काउंटडाउन शुरु हो चुका है. रूस ने इस युद्ध में ईरान को जीत दिलाने के लिए हथियारों का बड़ा जखीरा भेज सकता है. हूती और हिज्बुल्लाह तक भी मदद की खेप पहुंचाई जा सकती है. रूस के अलावा चीन भी इस युद्ध में बड़े मददगार की भूमिका निभा सकता है.
टीवी9 की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के अनुसार, रूस इजराइल पर संभावित हमले के लिए ईरान को उन्नत हथियार और एयर डिफेंस सिस्टम मुहैया करवा सकता है. यह खबर न केवल चौंकाने वाली है बल्कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में बड़े बदलाव का संकेत भी देती है. जिन हथियारों के डर से अमेरिका और नाटो देश यूक्रेन को लॉन्ग रेंज हथियार देने से कतराते हैं. उन्हीं हथियारों से अरब विनाश की डरावनी कहानी की शुरुआत हो सकती है.
किंजल मिसाइल: ईरान के लिए गेम-चेंजर
ईरान के लिए सबसे बड़ी चुनौती इजराइल पर हमला करने के दौरान छह देशों के गठबंधन का सामना करना है. इजराइल के साथ-साथ अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और जॉर्डन भी ईरान के हमले को रोकने के लिए तैयार रहेंगे. ऐसे में, ईरान इस तैयारी में जुटा है कि वह ऐसे हथियारों का इस्तेमाल करे जो इन देशों के डिफेंस सिस्टम को भेद सकें. रूस की किंजल मिसाइल, जिसे रोकना पेट्रियट सिस्टम के लिए भी मुश्किल है, ईरान के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है. रूस का ईरान को किंजल मिसाइल और एयर डिफेंस देने से न केवल मध्य पूर्व में बल्कि वैश्विक राजनीति में भी बड़े बदलाव का संकेत है.
रूस-ईरान सहयोग: पुराने रिश्तों की नई पहल
रूस और ईरान के बीच संबंध कोई नए नहीं हैं. ईरान ने रूस को यूक्रेन पर हमले में शाहिद-136 ड्रोन देकर मदद की थी. अब बदले में, रूस ईरान को इजराइल पर हमले के लिए सहायता प्रदान कर सकता है. इस सहयोग में किंजल मिसाइल के साथ-साथ उन्नत एयर डिफेंस सिस्टम भी शामिल हो सकता है. पिछले दिनों एक बड़े रूसी कार्गो विमान के ईरान में उतरने की खबर भी है. इसके अलावा रूस ने UNSC में भी ईरान का समर्थन किया है. इस बार रूस भी हमले वाले दिन ईरान के साथ खड़ा दिखाई दे सकता है.
अमेरिका-रूस टकराव: नई जंग की तैयारी?
रूस के इस कदम के पीछे एक बड़ा कारण अमेरिका का इजराइल के समर्थन में खड़ा होना है. अगर इजराइल पर हमला होता है, तो अमेरिका समेत पांच देशों का गठबंधन ईरान के खिलाफ खड़ा हो जाएगा. ऐसे में, रूस और चीन ने संयुक्त राष्ट्र में भी ईरान का समर्थन किया था, जिससे यह साफ हो जाता है कि रूस हर हाल में ईरान का साथ देने के लिए तैयार है.
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