शेल्टर होम का निरीक्षण करतीं एनसीडब्ल्यू चीफ रेखा शर्मा
राजधानी दिल्ली में रोहिणी स्थित आशा किरण शेल्टर होम में 14 संदिग्ध मौतों के बाद केजरीवाल सरकार निशाने पर आ गई है. राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने शेल्टर होम में मौतों के लिए आप सरकार को जिम्मेदार ठहराया और दिल्ली की मंत्री आतिशी से घटना की जिम्मेदारी लेने की मांग की. रेखा शर्मा ने कहा कि दिल्ली सरकार की ओर से संचालित शेल्टर निर्दोष लोगों के लिए मौत का जाल बन गए हैं.
एनसीडब्ल्यू चीफ ने आगे कहा कि 250 लोगों की क्षमता वाले आशा किरण में 450 लोग बिना उचित भोजन, पानी और दवा के रह रहे हैं. आतिशी को दूषित पानी के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. दिल्ली सरकार द्वारा संचालित आशा किरण आश्रय गृह में मरने वाली ज्यादातर महिलाएं 40 साल से कम उम्र की थीं. उन्होंने पूछा कि दिल्ली सरकार की लापरवाही के कारण युवा लोगों की जान गई है. इन मौतों के लिए कौन जिम्मेदार है? खाने में फंगल लगने और भूखमरी का दावा भी किया.
बड़े स्तर पर लापरवाही का लगाया आरोप
रेखा शर्मा ने मीडिया को बताया कि मैं किचन में गई, वहां वाटर फिल्टर नहीं हैं. 250 की जगह में 495 लोग रह रहे हैं. जो टॉयलेट 50 लोगों के लिए होने चाहिए वह 100 लोगों के लिए हैं. बडे स्तर पर लापरवाही है. डायरिया से भी मौत हुई हैं. इसके साथ-साथ शेल्टर में कौन आता है कौन जाता है इसकी कोई जानकारी नहीं है.
उन्होंने दावा किया कि शेल्टर में नियुक्त कर्मचारी भी ट्रेंड नहीं हैं. बस ऐसी ही नौकरी पर रख लिए गए हैं. हमें ऑडिट करने में टाइम लगेगा. शेल्टर होम के केयरटेकर ने दिल्ली सरकार को स्थिति के बारे में लिखा है, लेकिन कोई जवाब नहीं आया. मैं केंद्र सरकार से कहूंगी कि ये शेल्टर होम को भी अपने अधीन ले लिया जाए. समाज कल्याण विभाग का दिल्ली सरकार के पास कोई मंत्री तक नहीं है. मैं केंद्र सरकार को जांच के लिए लिखूंगी.
स्वाति मालीवाल भी गई थीं शेल्टर होम
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष के अलावा आम आदमी पार्टी से राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने भी शेल्टर होम दौरा किया. दौरे के बाद उन्होंने अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए इस पूरे मामले की जांच कराने की मांग की. उन्होंने कहा कि मैं लगभग ढाई घंटे तक अंदर रही. यहां के स्टाफ के सभी अफसरों से मैंने मीटिंग की जिसमें बहुत सी शर्मनाक बातें सामने आई हैं.
उन्होंने बताया है कि 1 हजार लोग यहां रह रहे हैं. उनमें से 30 फीसदी के करीब लोग कुपोषण के शिकार हैं. उनके बीएमआई 18 से कम है. 20 फीसदी को अलग-अलग तरीके की स्किन की बीमारी है. अंदर जब मैं गई एक एक छोटे कमरे में 46-46 महिलाओं को रखा हुआ है. बिस्तर एक भी नहीं है और उनको नीचे बिना किसी गद्दे के सुलाया जाता है.
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