नई दिल्ली में जलभराव.Image Credit source: PTI
Delhi Waterlogging: दिल्ली और मुंबई भारत के सबसे बड़े शहर हैं. ये जितने बड़े हैं, बारिश के पानी को संभालने में इनकी नाकामी भी उतनी ही बड़ी है. दोनों शहर पूरी दुनिया में देश को रिप्रेजेंट करते हैं, लेकिन जब बरसात के पानी को संभालने की बात आती है, तो इनकी हालत पतली हो जाती है. थोड़ी सी बारिश होते ही दोनों महानगरों में हर जगह जलभराव और बाढ़ जैसे हालात देखने को मिलते हैं. वहीं दूसरी तरफ चेन्नई, वडोदरा, दावणगेरे और अगरतला जैसे शहर हैं, जो टेक्नोलॉजी के दम पर बारिश के पानी को संभालने में कामयाब हुए हैं.
मानसून के दौरान भारतीय शहरों में जगह-जगह पानी भरना, जलभराव, और बाढ़ आम बात है. लेकिन कुछ शहरों ने जलभराव से छुटकारा पाने की हिम्मत दिखाई है. सही प्लानिंग और टेक्नोलॉजी की मदद से चेन्नई, वडोदरा, दावणगेरे और अगरतला को बारिश के पानी पर काबू पाने में काफी हद तक सफलता मिली है. मगर दिल्ली-मुंबई में हालात जस के तस बने हुए हैं.
शहरों ने कैसे दी बाढ़ को मात?
ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक चेन्नई, वडोदरा, दावणगेरे और अगरतला ने जलभराव और बाढ़ को रोकने के लिए स्मार्ट सिटी मिशन के कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (CCC) का इस्तेमाल किया है.
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चेन्नई: दिल्ली और मुंबई की तरह चेन्नई में भी जलभराव की समस्या है. चेन्नई ने CCC के जरिए सबसे पहले 50 अंडरपास की मैपिंग करके निगरानी शुरू की. इससे नगर निगम को सक्शन पंप लगाने के लिए सही जगह का पता चल गया. चेन्नई ने समय रहते बारिश पर काबू पा लिया और जलभराव को रोक दिया.
वडोदरा: वडोदरा में 30 से ज्यादा निचले इलाके हैं, जहां जलभराव की संभावना बनी रहती है. ये शहर बाढ़ का भी सामना करता है. शहर में 1-2 अधिकारियों की ड्यूटी इन 30 स्पॉट पर नजर रखने के लिए लगी. फायर ब्रिगेड ऑफिस से बाढ़ की निगरानी की जाती है. 30 स्पॉट पर CCTV कैमरे लगे हैं, जिनसे रियल-टाइम में ही जलभराव को रोकने में मदद मिलती है.
दावणगेरे: कर्नाटक के सातवें सबसे बड़े शहर दावणगेरे को राज्य का मैनचेस्टर कहा जाता है. सबसे पहले पूरे शहर की नाले-नालियों का सर्वे किया गया. इससे उन नालियों का पता चला जहां पानी रुककर जमा हो जाता है. 69 किमी का स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज नेटवर्क बनाया गया. CCC लागू करने के बाद बीते चार सालों में यहां जलभराव नहीं हुआ है.
अगरतला: त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में साल के छह महीने बारिश होती है. एक ही दिन में यहां 200 एमएम बारिश हो जाती है. 2018 में यहां के ड्रेनेज सिस्टम की मैपिंग हुई. शहर में 340 किमी नाले-नालियों का नेटवर्क है. नगर निकाय ने 50 किमी नालियों को अतिक्रमण मुक्त कर दिया है. यहां फ्लड सेंसर का इस्तेमाल करने के बजाय CCC को लागू किया गया.
बाढ़ से प्रभावित होने वाले इलाकों में बिजली के खंभों पर अलग-अलग रंगों की पट्टी पोती गई. इन पट्टियों पर CCTV कैमरों से नजर रखी जाती है. अगर पानी लाल रंग की पट्टी के लेवल को पार करता है, तो पानी निकालने वाले पंप चालू कर दिए जाते हैं.
कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (CCC)
भारत सरकार के स्मार्ट सिटी मिशन के तहत हाईटेक कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (CCC) से पूरे शहर की स्थिति को मॉनिटर किया जाता है. चेन्नई, वडोदरा, दावणगेरे और अगरतला ने जलभराव और बाढ़ से निपटने के लिए इसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया है. इसमें शहर के डेटा और CCTV कैमरों के जरिए शहर के अलग-अलग पॉइंट्स पर नजर रखी जाती है, और जरूरत के मुताबिक कदम उठाए जाते हैं.
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