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बदला लेने के लिए बदनाम है इजराइल, ईरान में हानिया का खात्मा कर फिर दिखाया दम, पढ़ें कैसे कैसे लिया इंतकाम | How israel intelligence agency mossad take revenge history Mossad modus operandi to attack Hamas leader Ismail Haniyeh

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Jul 31, 2024    150864 views     Online Now 141
बदला लेने के लिए बदनाम है इजराइल, ईरान में हानिया का खात्मा कर फिर दिखाया दम, पढ़ें कैसे-कैसे लिया इंतकाम

हमास चीफ इस्माइल हानिया की मौत के बाद अब इजराइल की खुफ‍िया एजेंसी मोसाब की चर्चा है.

इजराइल के सबसे बड़े दुश्मन और हमास चीफ इस्माइल हानिया की मौत के बाद अब मोसाब की चर्चा है. मोसाद यानी वो नाम जिसे सुनकर बड़े-बड़े आतंकी सूरमा थर्रा जाते हैं. दुनिया के बड़े से बड़े देश जिसका नाम इज्जत के साथ लेते हैं. वो एजेंसी जो दुश्मन को चुन-चुनकर मारने के लिए बदनाम है. कहा जा रहा है कि इजराइल ने अपनी खुफिया एजेंसी मोसाद के जरिए हमास के अक्टूबर में हुए हमले का बदला लिया है.

मोसाद का इतिहास उठाकर देख लीजिए जब दुश्मनों से बदला लेने की बात आई है तब-तब इसने चुन-चुन कर मारा है. इंतकाम लेने के लिए यह 20 साल तक इंतजार करने से पीछे नहीं हटता. पढ़ें इजराइली खुफिया के एजेंसी के नाम, काम और इंतकाम की कहानी.

कहां से आया मोसाद शब्द?

इजराइल में सबसे ज्यादा हिब्रू भाषा बोली जाती है. यह यहां की आधिकारिक भाषा है. मोसाद शब्द भी इसी भाषा से आया है, जिसका मतलब है इंस्टीट्यूट. 13 दिसंबर, 1949 को जब मोसाद का जन्म हुआ तो इसे सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर कोऑर्डिनेशन नाम दिया गया, बाद में इसका नाम बदला गया. तेल अवीव में इसका मुख्यालय है. वर्तमान में इजराइल में तीन एजेंसियां हैं, अमन, मोसाद और शिन बेट.

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किसने एजेंसी को बनाया आतंकियों की किलिंग मशीन?

अमन एजेंसी सैन्य खुफिया जानकारी उपलब्ध कराती है. शिन बेट देश की सुरक्षा का ध्यान रखती है और मोसाद विदेशी जासूसी मामलों के लिए काम करती है. इसकी नींव तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड बेन गुरियन ने रखी थी. इसका गठन खासतौर पर आतंकवाद से लड़ने के लिए किया गया था. यह सेना के खुफिया विभाग, देश की आंतरिक सुरक्षा और विदेश मंत्रालय के साथ तालमेल बिठाते हुए काम करती थी. 1951 में इसे प्रधानमंत्री कार्यालय के आधीन कर दिया गया था. यानी यह एजेंसी सीधे इजराइल के प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करती है. इसके पहले डायरेक्टर रियूवेन शिलोआ थे. शिलोआ के बाद इसकी कमान हरल के हाथों में आ गई और उन्होंने इस एजेंसी को आतंकियों की किलिंग मशीन में बदल दिया.

Hamas Chief

हमास चीफ इस्माइल हानिया (फोटो- AFP)

कैसे-कैसे दुश्मनों को चुन-चुनकर मारती है एजेंसी?

खुफिया एजेंसी मोसाद अपने दुश्मन को धरदबोचने के लिए कई रणनीति का इस्तेमाल करती है. लेकिन एक बात तय है कि मोसाद एक बार जिसे खत्म करने की शपथ लेता है उसे नेस्तानबूत करके छोड़ता है, भले ही बदला लेने में 20 साल क्यों न लग जाएं.

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म्यूनिख ओलंपिक का ऑपरेशन इसका उदाहरण है. मोसाद ने 1972 में म्यूनिख ओलिंपिक के लिए इकट्ठा हुई इजराइल की ओलिंपिक टीम के 11 खिलाड़ियों की हत्या का बदला फिलस्तीनी आतंकियों से लिया था. 20 सालों तक चले ऑपरेशन में मोसाद ने चुन-चुनकर बदला लिया.

यह एजेंसी कैसे अपने इंतकाम को अंजाम देती है, अब इसे समझ लेते हैं. मोसाद अपने मिशन के लिए झूठे नामों का इस्तेमाल करता है. अपनी पहचान को गुप्त रखता है. इनके अपने एजेंट होते हैं, जिनके नेटवर्क की मदद से ऑपरेशन को अंजाम देता है. यह एक रणनीति है. ऐसी कई रणनीतियों को अपनाकर अपने लक्ष्य को भेदने का काम करता है.

अपने ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए मोसाद विदेश में स्थानीय मुखबिरों और लोगों की भर्ती करता है. ये वो लोग होते हैं जिन पर इनकी नजर रहती है. जिनसे ये आसानी से काम करा सकते हैं. मोसाद की ऑपरेशनल विंग यह काम करती है. कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि यह यूनिट टार्गेट किलिंग का काम करती है. यानी किसे निशाना बनाना बनाना है उसे खत्म करने का काम यही यूनिट करती है. हालांकि, बिना प्रधानमंत्री की अनुमति के किसी भी कार्रवाई को अंजाम देना मुश्किल है.

एजेंट कहीं अपने लक्ष्य तो नहीं भटक रहा, मोसाद इसकी भी निगरानी करती है. इसके लिए ड्रोन, सैटेलाइट और दूसरे उपकरणों की मदद लेती है. तकनीक का दायरा बढ़ने पर पिछले कुछ समय में एजेंसी ने अपनी सायबर क्षमताओं में इजाफा किया है. तकनीक की मदद से भी दुश्मन की जानकारी हासिल की जाती है.

Israel Attack Gaza

गाजा में इजराइल का हमला. (फाइल फोटो)

मोसाद ऐसे देता है मिशन को अंजाम

  1. हवाई मिसाइल: मंगलवार को जिस तरह हवाई हमले में हमास चीफ की हत्या हुई, उसी तरह 22 मार्च, 2004 को हमास के संस्थापक शेख यासीन पर हेलफायर मिसाइलों की बारिश करने के लिए हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल किया था. इजराइल अपने टार्गेट को निशाना बनाना के लिए दूर से ही विस्फोटकों का इस्तेमाल करता है.
  2. बम के जरिए: दिसंबर 1972 में, पेरिस में एक पीएलओ प्रतिनिधि के घर में घुसकर उसके टेलीफोन में बम रख रखवाए गए. इसके बाद पीएलओ प्रतिनिधि का टेलीफोनिक इंटरव्यू फिक्स किया गया. बम को दूर से ही रिमोट से ऑपरेट किया गया और धमाका हुआ. 2008 में, सीरिया में हिज़्बुल्लाह लीडर का सिर काट दिया गया था. उनकी कार के हेडरेस्ट में बम लगाया गया था. इसी साल मोसाद अपने एक और लक्ष्य को हासिल करने में तब सफल हुआ जब एक सीरियाई जनरल को एक नौका से गोली मार दी गई जब वह अपने समुद्र किनारे पर बने विला के बगीचे में आराम कर रहा था.
  3. जहर देकर: 1997 में, कनाडाई पासपोर्ट रखने वाले दो मोसाद एजेंट को जॉर्डन में हमास नेता खालिद मशाल के कान में जहर फेंटेनाइल का इंजेक्शन लगाते हुए पकड़ा गया था. इजराइल को अपनी भूमिका स्वीकार करने और मारक दवा सौंपने के लिए मजबूर होना पड़ा. हालांकि विशेष ऑपरेशन असफल था, यह बताता है कि मोसाद दुश्मन को खत्म करने के लिए कितने तरीके अपनाता है.
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