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Mangala Gauri Vrat 2024 Katha: सावन के दूसरे मंगलवार के दिन पढ़ें ये व्रत कथा, शिव पार्वती की बरसेगी कृपा! | Mangala Gauri 2024 Mata Parvati Puja Vrat Katha Must Listen and Read and Importance

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Jul 30, 2024    150850 views     Online Now 286

Mangala Gauri Vrat 2024 Katha: सावन 2024 का दूसरा मंगला-गौरी व्रत जिन महिलाओं ने रखा है. वे महिलाएं मंगला गौरी का व्रत पर पूरे विधि विधान के साथ पूजा करें तो शिव-पार्वती की कृपा से अखण्ड सौभाग्य और संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिल सकता है. मंगला गौरी का व्रत सावन में सोमवार के दूसरे दिन यानि मंगलवार को रखा जाता है. माता मंगला गौरी देवी मां पार्वती का ही एक रूप हैं. ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को रखने से वैवाहिक जीवन में चल रही परेशानियों खत्म होती हैं और विवाह में देरी या पति का सुख नहीं मिल पा रहा है तो इस व्रत कथा के सुनने या पढ़ने से भी लोगों की इच्छाएं पूरी हो जाती हैं.

मंगला गौरी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में धर्मपाल नामक एक सेठ था. सेठ धर्मपाल के पास धन संपत्ति की कोई कमी नहीं रहती थी. वह स्वयं सर्व गुण संपन्न था. वह देवों के देव महादेव का भक्त था. कालांतर में सेठ धर्मपाल की शादी गुणवान वधू से हुई. हालांकि, विवाह के बाद कई वर्षों तक संतान की प्राप्ति नहीं हुई तो इससे सेठ चिंतित रहने लगा था. वह सोचने लगा कि अगर संतान नहीं हुई, तो उसके कारोबार का उत्तराधिकारी कौन होगा और उसकी संपत्ति का क्या होगा. एक दिन सेठ धर्मपाल की पत्नी ने संतान के संबंध में किसी प्रकांड पंडित से संपर्क करने की सलाह दी.

पत्नी के वचनानुसार, सेठ नगर के सबसे प्रसिद्ध पंडित के पास जाकर मुलाकात की तो उस समय गुरु ने सेठ दंपत्ति को भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-उपासना करने की सलाह दी. कालांतर में सेठ धर्मपाल की पत्नी ने विधि विधान से महादेव और माता पार्वती की पूजा-उपासना की. सेठ धर्मपाल की पत्नी की कठिन भक्ति से प्रसन्न होकर एक दिन माता पार्वती प्रकट होकर बोली- हे देवी! तुम्हारी भक्ति से मैं अति प्रसन्न हूं, जो वर मांगना चाहते हो! मांगो. तुम्हारी हर मनोकामना अवश्य पूरी होगी. उस समय सेठ धर्मपाल की पत्नी ने संतान प्राप्ति की कामना की. माता पार्वती ने संतान प्राप्ति का वरदान दिया. हालांकि संतान अल्पायु था.

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एक वर्ष पश्चात, धर्मपाल की पत्नी ने पुत्र को जन्म दिया. जब पुत्र का नामकरण किया गया, तो उस समय धर्मपाल ने माता पार्वती के वचन से ज्योतिष को अवगत कराया. तब ज्योतिष ने सेठ धर्मपाल को पुत्र की शादी मंगला गौरी व्रत करने वाली कन्या से करने की सलाह दी. ज्योतिष के कहने पर सेठ धर्मपाल ने अपने पुत्र की शादी मंगला गौरी व्रत करने वाली कन्या से कर दी.

धर्मपाल के पुत्र को श्राप मिला हुआ था कि 16 वर्ष की उम्र में सांप के काटने से उसकी मौत हो जाएगी. संयोग से उसकी शादी 16 वर्ष से पहले ही एक युवती से हुई जिसकी माता मंगला गौरी व्रत किया करती थी. परिणाम स्वरूप उसने अपनी पुत्री के लिए एक ऐसे सुखी जीवन का आशीर्वाद प्राप्त किया था जिसके कारण वह कभी विधवा नहीं हो सकती थी. इस वजह से कन्या के पुण्य प्रताप से धर्मपाल का पुत्र मृत्यु पाश से मुक्त हो गया और धर्मपाल के पुत्र ने 100 साल की लंबी आयु प्राप्त की.

कथा के बाद करें के काम

मंगला गौरी व्रत कथा को सुनने के बाद विवाहित महिला अपनी सास एवं ननद को 16 लड्डू देती है. इसके उपरांत वे यही प्रसाद ब्राह्मण को भी ग्रहण देती हैं. इस विधि को पूरा करने के बाद व्रती 16 बाती वाले दीपक से देवी की आरती करती हैं. व्रत के दूसरे दिन बुधवार को देवी मंगला गौरी की प्रतिमा को नदी अथवा पोखर में विसर्जित किया जाता है. अंत में मां गौरी के सामने हाथ जोड़कर अपने समस्त अपराधों के लिए एवं पूजा में हुई त्रुटियों के लिए क्षमा मांगी जाती है.

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