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वर्ल्ड चैंपियन बनने पर BCCI के पूर्व चीफ सेलेक्टर ने जिसे गिफ्ट की कार, पेरिस ओलंपिक में उसके सामने अब गोल्ड जीतने की चुनौती | Paris Olympics 2024: Nikhat Zareen profile Story, BCCI Selection Committee ex-chairman gifted her car, when she became World Champion

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Jul 13, 2024    150855 views     Online Now 433
वर्ल्ड चैंपियन बनने पर BCCI के पूर्व चीफ सेलेक्टर ने जिसे गिफ्ट की कार, पेरिस ओलंपिक में उसके सामने अब गोल्ड जीतने की चुनौती

निकहत जरीन हैं पेरिस में गोल्ड की उम्मीद (Photo: Instagram)

BCCI के पूर्व चीफ सेलेक्टर ने जिसे कार गिफ्ट की है, वो वर्ल्ड चैंपियन तो है, पर ये तमगा उसे क्रिकेट का विश्व कप जीतकर नहीं हासिल हुआ है. उसे ये पहचान बॉक्सिंग रिंग में मिली है. हम बात कर रहे हैं वर्ल्ड चैंपियन निकहत जरीन की. वैसे तो जरीन ने पिछले साल यानी 2023 में अपने वर्ल्ड चैंपियन के टाइटल को डिफेंड किया है. लेकिन, साल 2022 में जब वो वर्ल्ड चैंपियन बनकर पहली बार आईं थी तो BCCI के पूर्व चीफ सेलेक्टर वी. चामुंदेश्वरनाथ ने उन्हें तोहफे में कार दी थी.

वी. चामुंदेश्वरनाथ BCCI के जूनियर सेलेक्शन कमेटी के चेयरमैन रहे हैं. निकहत जरीन को उन्होंने MG Astor कार तोहफे में दी थी. दरअसल, ये निकहत से किया वादा था जो उन्होंने निभाया था. दरअसल, वर्ल्ड चैंपियनशिप में जाने से पहले उन्होंने निकहत से कहा था कि अगर वो गोल्ड मेडल के साथ लौटी तो वो उसे कार गिफ्ट करेंगे. अब वर्ल्ड चैंपियनशिप के मेडल के बदले तोहफे में कार लेने वाली निकहत जरीन के सामने पेरिस ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने की चुनौती होगी.

पहली बार ओलंपिक में उतरेंगी निकहत

निकहत जरीन के लिए पेरिस पहला ओलंपिक होगा. निकहत में 2022 में इस्तांबुल और 2023 में नई दिल्ली में वर्ल्ड चैंपियनशिप का खिताब जीता. इसी बीच 2022 में बर्मिंघम में कॉमनवेल्थ चैंपियन भी बनीं. लेकिन, बचपन से ही जिद्दी, जुनूनी और जांबाज खिलाड़ी रही निकहत जरीन को तब तक चैन नहीं होगा जब तक वो अपने पिटारे में ओलंपिक मेडल नहीं जोड़ लेती.

जिद्दी, जुनूनी और जांबाज… निकहत जरीन की कहानी

14 जून 1996 को तेलंगाना के निजामाबाद में रूढ़िवादी मुस्लिम परिवार में निकहत जरीन का जन्म हुआ. निकहत की 3 और बहनें हैं. लेकिन बचपन में वो सबसे ज्यादा शरारती थीं. निकहत अक्सर बच्चों के साथ झगड़ा करके पेड़ पर चढ़ जाती थीं. निकहत के करियर को बनाने में उनके पिता मोहम्मद जमील अहमद का बड़ा योगदान रहा है. मोहम्मद जमील अहमद खुद भी एक फुटबॉलर और क्रिकेटर रहे हैं. शुरू-शुरू में निकहत की दिलचस्पी फर्राटा दौड़ में ज्यादा थी तो पिता ने उसी की ट्रेनिंग शुरू की. लेकिन, जल्दी ही बॉक्सिंग ने निकहत का ध्यान अपनी ओर खींच लिया.

निकहत के बॉक्सिंग की शुरुआत लोकल जिम से हुई, जहां जाकर वो लड़कों के साथ मुकाबला करती, जिसकी एक बड़ी वजह थी इस खेल में तब लड़कियों का नहीं होना. लोकल जिम में जाकर बॉक्सिंग करने वाली वो अकेली लड़की थीं. शुरुआती एक साल उनके पिता ने ही उन्हें ट्रेनिंग दी. लेकिन, फिर उसके बाद वो विशाखापत्तनम से SAI सेंटर में शामिल हो गईं, जहां द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता कोच आईवी राव की देखरेख में उन्होंने अपनी ट्रेनिंग शुरू की.

सीनियर टीम में जगह बनाने के लिए संघर्ष

2011 में वो जूनियर और यूथ वर्ल्ड चैंपियन बनीं. 2013 में वो फिर यूथ वर्ल्ड चैंपियनशिप की रिंग में उतरीं, जहां सिल्वर मेडल जीता. इसी के बाद उनके लिए बॉक्सिंग की सीनियर रिंग में उतरने के दरवाजे खुल गए. हालांकि, सीनियर टीम में जगह बनाना निकहत के लिए इतना आसान नहीं था. ऐसा इसलिए क्योंकि 51 किलो की जिस कैटेगरी में निकहत लड़ती हैं, उसमें पहले से ही मैरी कॉम और पिंकी जांगड़ा जैसे बड़े नाम थे.

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2015 में पहली बार निकहत तो नेशनल कैंप में एंट्री मिली, जहां 2016 के विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा लेने के लिए उन्हें 54 किलो भार वर्ग के सेलेक्शन ट्रायल में जाने की सलाह दी गई. निकहत ने इस सलाह को चुनौती के तौर पर लिया. उन्होंने ना सिर्फ वो ट्रायल जीता बल्कि 2016 के वर्ल्ड चैंपियनशिप में क्वार्टर फाइनल तक का सफर भी तय किया. निकहत को इसमें भी खुशी मिली, उनका कॉन्फिडेंस बढ़ा क्योंकि उन्होंने अपने से ज्यादा भार वर्ग में ये सब किया था.

टोक्यो ओलंपिक के ट्रायल में मैरीकॉम से मिली थी हार

2017 में कंधे में लगी चोट के चलते निकहत एक साल तक रिंग से बाहर रहीं. लेकिन 2018 में उन्होंने फिर से वापसी की और बेलग्रेड विनर इंटरनेशनल चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतकर अपने नाम का डंका पीटा. 2020 टोक्यो ओलंपिक से पहले वो मौका भी आया जब निकहत को अपने आदर्श मैरीकॉम से सेलेक्शन ट्रायल में लड़ना पड़ा. हालांकि, निकहत ये मुकाबला हार गईं पर उन्हें दुख नहीं था क्योंकि ये हार उन्हें मैरीकॉम से मिली थी.

पेरिस में लहराएंगी परचम

निकहत टोक्यो तो नहीं जा पाईं. लेकिन 2 वर्ल्ड चैंपियनशिप के खिताब के साथ उन्होंने पेरिस ओलंपिक के लिए खुद को अच्छे से तैयार कर रखा है. उनकी तैयारी जबरदस्त है और ऐसे में गोल्ड मेडल की उम्मीद बेमानी नहीं है.

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