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कभी समाज के ताने सुन छोड़ना पड़ा था घर, अब बनीं देश की पहली ट्रांसजेंडर दारोगा… जानें मानवी मधु के संघर्ष की कहानी | Patna Maanvi Madhu Kashyap becomes Bihar’s first transgender sub inspector, shares inspirational story

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Jul 10, 2024    150871 views     Online Now 385
कभी समाज के ताने सुन छोड़ना पड़ा था घर, अब बनीं देश की पहली ट्रांसजेंडर दारोगा... जानें मानवी मधु के संघर्ष की कहानी

देश की पहली ट्रांसजेंडर दारोगा

वह कविता तो आपने सुनी ही होगी… लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती. ये केवल एक कविता की नहीं बल्कि कई लोगों के जीवन की सच्चाई है. मेहनत वक्त मांगती है लेकिन फल भी बड़ा मीठा देती है. हर इंसान को इस समाज में एक जंग लड़नी पड़ती है, लेकिन कई बार खुद को साबित करने की ये जंग अपनों के खिलाफ भी लड़नी होती है और यही जंग जीवन जीने का सही ढंग सिखाती है. मंगलवार को बिहार पुलिस में सब इंस्पेक्टर पद की परीक्षा के परिणाम घोषित हुए. परीक्षा में पास होने की इन खुशियों में सबसे अलग खुशी मधु मानवी कश्यप की थी जिनका नाम अंतिम रूप से घोषित की गयी सूची में शामिल था.

लेकिन आखिर ये खुशी इतनी अलग क्यों है? इसलिए क्योंकि मधु की पहचान की कहानी भी अलग है. मधु मानवी देश की पहली महिला ट्रांसजेंडर हो गयी हैं, जिन्होंने दारोगा पद की ये परीक्षा पास की है. कल तक जिन मधु की पहचान एक ट्रांसजेंडर महिला की थी, आज उन्हीं की पहचान देश की पहिला महिला ट्रांसजेंडर दारोगा की हो गयी है. मधु की इस सफलता के पीछे कोई आसान कहानी नहीं छिपी. संघर्ष से सफलता हासिल करने में परेशानी तब और बढ़ जाती है तक अपने सपनों को पूरा करने के लिए समय, समाज और सिस्टम तीनों से एक साथ लड़ाई लड़नी पडती है. मधु बताती हैं कि बांका से पटना आना और यहां आने के बाद नयी पहचान मिलना, इतना आसान भी नहीं था.

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दो साल पहले पटना आईं थीं मधु

मधु ने अपनी कहानी के बारे में बात करते हुए बताया कि करीब दो साल पहले वह पटना आयी थीं. तब यही सोच थी कि कुछ बेहतर करना है, लेकिन क्या करना है, यह उस वक्त उन्होंने नहीं सोचा था. जब पटना में कुछ कोचिंग संस्थानों में कोचिंग के सिलसिले में बातें करनी गईं तो उन्होंने उन्हें कोचिंग देने से मना कर दिया. उनकी यही सोच थी कि अगर कोई ट्रांसजेंडर क्लास करेगी तो इससे दूसरे बच्चों पर असर पड़ेगा जो शायद उन कोचिंग संस्थानों के लोग नहीं चाहते थे. मधु कहती हैं कि इसी बीच मेरी मुलाकात अदम्य अदिति गुरूकुल चलाने वाले गुरू रहमान से हुई. उनको मैंने सारी बातें बताईं.

रोज पांच से छह घंटे कोचिंग करती थीं मधु

पूरी बात सुनने के बाद उन्होंने मुझे कहा कि तुम मेरी कोचिंग में पढ़ोगी और उसी वक्त उन्होंने मेरे माथे पर तिलक लगा दिया. उस दिन के बाद से मेरी दुनिया ही बदल गयी. मैं रोज पांच से छह घंटे कोचिंग करती थी. इसके बाद जो भी डाउट्स होते थे, उनको सुलझाने का प्रयास करती थी. आज नतीजा पूरी दुनिया के सामने हैं. यह पूछे जाने पर कि समाज का और परिवार का आपके साथ रवैया कैसा रहा, मधु कहती हैं कि समाज के बारे में मैं कुछ खास नहीं बता सकती लेकिन परिवार का रवैया मेरे साथ बेहतर रहा.

अपने समाज को दिया संदेश

मधु ने आगे बताया कि मेरी सफलता को देखने के लिए आज मेरे पिता नरेंद्र प्रताप सिंह इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन मेरी ग्रहणी मां माला देवी बहुत खुश हैं. पांच भाई बहनों में चौथे नंबर पर आने वाली मधु कहती हैं कि वह खुशकिस्मत हैं कि उनके परिवार वालों ने उनका साथ दिया. हालांकि, पहले वह भी खिलाफ थे, लेकिन फिर वह मान गए. वो कहती हैं कि गुरू रहमान के पास भी जब मैं कोचिंग करने के लिए आयी तो उस वक्त सारे विद्यार्थियों ने मेरे साथ सेल्फी ली थी. वो आज भी मेरे साथ सेल्फी ले रहे हैं, लेकिन दोनों में ही वक्त का अंतर है. मधु कहती हैं कि मेरी सोच यही है कि मेरे समाज के लोग कुछ अलग करने की सोचें, क्योंकि सफलता सोचने से ही मिलती है. जैसी सफलता आज मुझे मिली है मैं यही बदलाव अपने समाज में भी देखना चाहती हूं.

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देश की पहली ट्रांसजेंडर दरोगा बनीं मधु

एक छोटे से गांव की रहने वाली मानवी मधु कश्यप देश की पहली ट्रांसजेंडर दरोगा बनीं हैं. बिहार पुलिस में पहली बार तीन ट्रांसजेंडर सब इंस्पेक्टर यानी दरोगा बने हैं. इन तीनों में दो ट्रांसमेन और एक ट्रांसवूमेन हैं. इस खुशखबरी को सुनते ही मानवी का चेहरा खुशी से खिल उठा है और वह खुद को बेहद गौरवान्वित महसूस कर रहीं हैं. मानवी ने कहा कि मैं सबसे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धन्यवाद देना चाहती हूं साथ ही गुरु रहमान सर, जिन्होंने मुझे यहां तक पहुंचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी.

(रिपोर्ट- सुजीत कुमार/पटना)

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