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हरियाणा में बिगड़े समीकरण को दुरुस्त करने में जुटी बीजेपी, प्रदेश अध्यक्ष बनाकर बनाया बैलेंस | Haryana assembly election BJP political equation Nayab Saini mohan lal badoli Satish Punia Surendra Nagar

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Jul 10, 2024    150842 views     Online Now 472
हरियाणा में बिगड़े समीकरण को दुरुस्त करने में जुटी बीजेपी, प्रदेश अध्यक्ष बनाकर बनाया बैलेंस

हरियाणा में बीजेपी संगठन को मजबूत कर रही है.

लोकसभा चुनाव में सियासी समीकरण बिगड़ जाने का खामियाजा बीजेपी को हरियाणा में भुगतना पड़ा, जिसके चलते पांच सीटें उसे गंवानी पड़ गई हैं. ऐसे में बीजेपी विधानसभा चुनाव से पहले अपने बिगड़े समीकरण को दुरुस्त करने में जुट गई है, जिसके लिए ब्राह्मण समाज से आने वाले विधायक मोहनलाल बड़ौली को बीजेपी ने हरियाणा का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है. इससे पहले बीजेपी ने सतीष पुनिया को प्रभारी और सुरेंद्र सिंह नागर को सह प्रभारी नियुक्त किया है. पार्टी ने पहले ही मुख्यमंत्री नायब सैनी के चेहरे पर चुनाव लड़ने की हरी झंडी दे रखी है. इस तरह से बीजेपी ने हरियाणा में सत्ता की हैट्रिक लगाने के लिए एक मजबूत सोशल इंजीनियरिंग बनाने का दांव चला है.

बीजेपी विधायक मोहनलाल बड़ौली को हरियाणा का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है. अभी तक प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री नायब सैनी ही संभाल रहे थे. बीजेपी ने विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर मोहनलाल बड़ौली को संगठन की कमान सौंपी है. बड़ौली सोनीपत जिले की राई विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं और 2024 में सोनीपत सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे, लेकिन जीत नहीं सके. वे मुख्यमंत्री नायब सैनी के काफी विश्वस्त माने जाते हैं. बड़ौली अभी तक हरियाणा बीजेपी के संगठन में प्रदेश महामंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे थे. प्रदेश महामंत्री से अब बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बने हैं.

बड़ौली की नियुक्ति क्यों है अहम

केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल के मुख्यमंत्री रहने के बाद राज्य में बीजेपी की कमान पार्टी ने नायब सिंह सैनी को सौंपी थी. इसके बाद वह सीएम बने गए थे. हरियाणा में इस साल के आखिरी में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इससे पहले बड़ौली की नियुक्ति अहम मानी जा रही है. पिछले दिनों राज्य के दौरे पर गए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अगले विधानसभा चुनावों चुनावों में मुख्यमंत्री नायब सैनी को ही सीएम फेस रखने के संकेत दिए थे.

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हरियाणा में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष उदयभान और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के जरिए दलित-जाट समीकरण के दम पर 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जबरदस्त झटका देने में कामयाब रही थी. इसीलिए बीजेपी ने ओबीसी समाज से सीएम और ब्राह्मण समुदाय से प्रदेश अध्यक्ष बनाकर विधानसभा चुनाव में उतरने का प्लान बनाया है. ब्राह्मण-ओबीसी के साथ सतीष पुनिया और सुरेंद्र नागर को चुनावी कमान सौंपकर उसमें जाट और गुर्जर को भी साधे रखने की स्ट्रैटेजी अपनाई है, जिसके जरिए कांग्रेस के जाट-दलित समीकरण को काउंटर करने का प्लान है.

2014 में पीएम मोदी के सत्ता की कमान संभालने के साथ बीजेपी हरियाणा में पहली बार अपने दम पर सरकार बनाने में कामयाब रही, लेकिन पांच साल के बाद 2019 में बहुमत से पीछे रह गई थी. ऐसे में जेजेपी के समर्थन से बीजेपी ने सरकार बनाई, लेकिन अब सत्ता की हैट्रिक लगाने के लिए उसे कई चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है. सत्ता विरोधी लहर से निपटने के लिए बीजेपी ने लोकसभा चुनाव से पहले मनोहर लाल खट्टर को हटाकर ओबीसी से आने वाले नायब सैनी को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप दी. इसके बावजूद बीजेपी ने हरियाणा में पांच लोकसभा सीटों को गंवा दिया और विधानसभा चुनाव से पहले डैमजकंट्रोलकरने में जुट गई है.

राज्य में कानून व्यवस्था को लेकर उठ रहे सवाल

हरियाणा में बीजेपी ने गैर-जाट पॉलिटिक्स के जरिए तमाम जातियों को साधकर सत्ता कब्जाई थी, लेकिन दस सालों में पूरा समीकरण बिगड़ गया. इसीलिए बीजेपी को अपना सीएम बदलना पड़ा. पंजाबी समुदाय से आने वाले मनोहर लाल खट्टर की जगह ओबीसी से आने वाले नायब सैनी को सत्ता की कमान सौंपी है और उन्हीं के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया. ऐसे में जाट और गुर्जर हरियाणा की दो बड़ी जाति हैं, जिनके वोटों को जोड़ने के लिए सतीश पुनिया को प्रभारी तो सुरेंद्र नागर को सहप्रभारी बनाया है, तो ब्राह्मण वोटों के खातिर मोहनलाल बड़ौली को संगठन की कमान सौंप दी है. ऐसे में देखना है कि चारों नेता अपने-अपने समुदाय का कितना वोट बीजेपी के पक्ष में ला पाएंगे, लेकिन वैश्य और पंजाबी वोट 2014 और 2019 की तरह एकमुश्त मिल पाएगा.

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हरियाणा में वैश्य और पंजाबी समुदाय नाराज माने जा रहे हैं क्योंकि राज्य में कानून व्यवस्था को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं. ऐसे में वैश्य समुदाय के लोग सड़क पर उतरकर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं. नायब सैनी लोकसभा चुनाव में अपनी छाप नहीं छोड़ पाएं हैं और प्रदेश अध्यक्ष की कमान मोहनलाल बड़ौली को सौंपी गई है, जिन्हें अपनी पहचान बनाने की चुनौती है. बड़ौली की सोनीपत से बाहर बहुत ज्यादा लोग जानते नहीं है. विधानसभा चुनाव में बामुश्किल तीन महीने बचे हैं. ऐसे में बड़ौली को लोगों के बीच पहचान दिलाने की मशक्कत भी भाजपा को करनी होगी.

अग्निवीर के मुद्दे पर हरियाणा का बड़ा तबका नाराज

कांग्रेस हरियाणा के जाट और दलितों पर पूरा फोकस कर रखा है. अग्निवीर के मुद्दे पर हरियाणा का बड़ा तबका नाराज है और कांग्रेस इस मुद्दे को लगातार धार देने में जुटी है. किसान के मुद्दे को भी कांग्रेस उठाकर बीजेपी को बैकफुट पर करने का प्लान बनाया है. इनेलो और जेजेपी के कमजोर होने से हरियाणा की सीधी लड़ाई कांग्रेस बनाम बीजेपी की होती नजर आ रही है. ऐसे में बीजेपी भले ही मजबूत समीकरण बनाकर रण में उतरने का प्लान बनाया हो, लेकिन लड़ाई आसान नहीं है.

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