बाढ़ के बाद काजीरंगा नेशनल पार्क से गुजरने वाले हाईवे को पार करते हिरणImage Credit source: PTI
असम पिछले कुछ दिनों से भारी बारिश और बाढ़ की चपेट में है. राज्य के 30 जिलों के 24 लाख से अधिक लोग इस समय बाढ़ की मार झेल रहे हैं. राज्य में अब तक बाढ़, बारिश और भूस्खलन के चलते 58 लोगों की जान चली गई है. असम में बाढ़ की मार केवल इंसान ही नही वल्कि बेजुबान जानवरों पर भी पड़ी है. पालतू पशुओं के साथ जंगली जानवर भी बाढ़ में कैद हो चुके हैं. अब तक 125 जंगली जानवरों की मौत हो चुकी है.
ब्रह्मपुत्र नदी के बढ़ते जलस्तर ने अन्य जिलों के साथ विश्व धरोहर केंद्र कहे जाने वाले काजीरंगा नेशनल पार्क को भी अपने आगोश में लेकर जल तांडव मचाया है. जिसकी वजह से नेशनल पार्क के जानवरों पर आफद टूट पड़ी. रविवार को 4 दिन बाद भी काजीरंगा में बाढ़ की स्थिति में ज्यादा सुधार नही है. वर्तमान भी 60 से अधिक वन शिविर बाढ़ में डूबे हुए हैं. नेशनल पार्क के जंगली जानवर भोजन और सुरक्षित स्थान की तलाश में इधर उधर भटक रहे हैं.
जंगली हाथी अपने आप को बाढ़ से बचाने के लिए ऊंचे स्थान की तलाश में नेशनल हाईव को पार कर कार्बी आंगलांग की पहाड़ी की ओर जा रहे हैं. हाथी ही नहीं असम गौरव एक सिंग वाले गैंडे भी ऊंचे स्थान की तलाश में नेशनल हाईवे 37 पर करते हुए नजर आए. काजीरंगा नेशनल पार्क में जिन 125 जानवरों की मौत हुई है उसमें 6 एक सींग वाले गैंडे, 90 हिरण समेत अन्य जानवर शामिल हैं. वहीं, वन विभाग ने 96 जानवरों का रेस्क्यू भी किया है.
हाईवे पर गाड़ियों की स्पीड कम की गई
नेशनल हाईवे पर पार करते समय जानवरों की सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए असम सरकार ने 37 नंबर राजमार्ग पर गाड़ियों की आवागमन पर ब्रेक लगा दिया है. कुछ गाड़ियों की गति को धीमा कर दिया है. रविवार को असम सरकार के मंत्री जयंत मल्लब बरुआ ने बाढ़ प्रभावित काजीरंगा नेशनल पार्ट का दौरा किए और राष्ट्रीय राजमार्गों पर ड्राइव स्लो का कैंपेन चलाया.
(रिपोर्ट- गणेश)
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