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‘भोले बाबा’ की कुटिया पर 20 साल से लगा है ताला… बाहर महिला भक्त अपनी साड़ी से लगाती हैं पोछा, होती है पूजा | closed house of Saakar Vishwa Hari Bhole Baba in Agra Devotees do puja outside and women do cleaning stwma

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Jul 3, 2024    150847 views     Online Now 283
'भोले बाबा' की कुटिया पर 20 साल से लगा है ताला... बाहर महिला भक्त अपनी साड़ी से लगाती हैं पोछा, होती है पूजा

आगरा में भोले बाबा के बंद मकान में हाजिरी देता शिष्य.

उत्तर प्रदेश के हाथरस के फुलरई गांव में साकार विश्व हरि के सत्संग में मची भगदड़ में 121 लोगों की जान जा चुकी है. भोले बाबा के नाम से विख्यात सत्संग करने वाले सूरजपाल का मुख्य आश्रम कासगंज जिले की पटियाली के गांव बहादुरनगर में है, लेकिन उनके कई आश्रम अन्य शहरों में भी हैं. ऐसा ही एक आश्रम या कहें एक मकान आगरा में भी है.

साकार विश्व हरि भोले बाबा का आगरा से खास कनेक्शन है. उनका शहर के शाहगंज की केदार नगर कॉलोनी डी ब्लॉक में एक घर है. जिसमें कभी सूरजपाल उर्फ भोले बाबा रहते थे. कुछ सालों पहले बाबा के दर्शन के लिए उनके भक्तों की भारी भीड़ जुटा करती थी, अब यहां सिर्फ ताला जड़ा हुआ है. बाबजूद इसके आज भी उनके शिष्य इस बंद मकान के सामने से गुजरते हुए नमन करते हैं.

20 साल पहले लगती थी शिष्यों की भीड़

स्थानीय लोगों के मुताबिक, दो दशक पहले बाबा इस मकान में अपने शिष्यों से मुलाकात करते थे, लेकिन पिछले कई वर्षों से वहां पर ताला पड़ा हुआ है. उनके शिष्यों में बाबा के प्रति गहरी आस्था है. आज भी रोज सुबह 4 बजे से शाम तक बाबा के शिष्य बंद मकान में नमन करने आते हैं. महिलाएं घर के सामने बने चबूतरे की सेवा, सफाई का कार्य भी करती हैं. कई श्रद्धालु महिलाएं तो अपनी साड़ी के पल्लू से श्रद्धा पूर्वक सफाई करती हैं और माथा टेकती हैं. बाबा इस मकान को कुटिया कहते थे. वह यहां पर अपने शिष्यों को बुलाते, उनके साथ होने वाले समागमों की चर्चा किए करते थे.

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बंद मकान के बाहर भक्त करते हैं नमन

स्थानीय लोगों ने बताया कि धीरे-धीरे जब बाबा की प्रसिद्धि बढ़ती गई तो वह यहां से अपने पुस्तैनी ग्राम एटा बहादुर नगर चले गए और वहां आश्रम बना लिया. समीप की रहने वाली आरती वर्मा ने बताया कि बाबा की कुटिया में लगभग पिछले 20 वर्षों से ताला लगा है. केवल एक बार बाबा और उनकी पत्नी माताजी इस कुटिया में आए थे, तभी उन्होंने उनको देखा था. यहां नमन करने वालों की बहुत भीड़ आती है. ताला बंद है, लेकिन लोग बाहर ही नमन करने आते है. स्थानीय महिला निशा दुबे ने बताया कि यहां मंगलवार और गुरुवार को भीड़ बहुत रहती है. उन्होंने यह भी बताया की इस कुटिया में अंदर कुछ नहीं है. यह केवल घर है, जिसमें कभी बाबा रहा करते थे.

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