मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने मंगलवार को तीन नये आपराधिक कानूनों को लकेर जारी बहस के बीच इन पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. सीजेआई ने कहा कि इन कानूनों से उत्पन्न मुद्दे उच्चतम न्यायालय में लंबित हैं.
तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) एक जुलाई से पूरे देश में लागू हो गए और इन कानूनों ने क्रमश: भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान लिया.
हाल ही में नए आपराधिक कानूनों पर रोक लगाने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत में एक जनहित याचिका दायर की गई थी. इसमें इन कानूनों में कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है.
अदालतें केवल संविधान का पालन करती हैं- CJI
भारत के मुख्य न्यायाधीश ने यह बात दिल्ली में निचली अदालत की नई इमारतों के लिए कड़कड़डूमा, शास्त्री पार्क और रोहिणी में शिलान्यास समारोह के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान कही. उन्होंने कहा कि ये मुद्दे सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन हैं. हो सकता है कि अन्य उच्च न्यायालयों में भी लंबित हों. इसलिए मुझे ऐसी किसी चीज पर नहीं बोलना चाहिए, जिसके अदालत के समक्ष आने की संभावना हो.
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वहीं, कार्यक्रम में अपने भाषण में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा कि अदालतें केवल संविधान का पालन करती हैं . यह वादकारियों के अलावा किसी और की सेवा नहीं करती हैं. उन्होंने कहा कि हमारी अदालतें केवल संप्रभु सत्ता का केंद्र नहीं हैं, बल्कि आवश्यक सार्वजनिक सेवा प्रदाता भी हैं.
बीसीआई ने आंदोलन नहीं करने की अपील की थी
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने पिछले महिने बार एसोसिएशंस से आंदोलन नहीं करने की अपील की थी. बीसीआई ने कानूनी बिरादरी को आश्वासन दिया कि वह आवश्यक संशोधनों का प्रस्ताव करने के लिए जाने-माने वरिष्ठ अधिवक्ताओं, पूर्व न्यायाधीशों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की एक समिति का गठन करेगा.
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