गुजरात का ‘साइको किलर’
सीरियल किलर की बात जाए तो ये ऐसे किलर होते हैं जो निर्दोष लोगों के लिए अपने मन में घृणा लिए होते हैं. सीरियल किलर की खास बात ये होती कि अक्सर वो समाज के बीच में साफ सुथरी छवि लिए रहते हैं, लेकिन उनके कारनामों को सुनकर मजबूत से मजबूत दिल वालों के भी होश उड़ जाते हैं. ऐसा ही एक सीरियल किलर था गुजरात का रमेश मकवाना उर्फ कीर्ति गैमर. गुजरात पुलिस के रिकार्ड के अनुसार कीर्ति गैमर ने 30 साल की उम्र तक 6 लोगों की हत्या कर दी थी. कीर्ति गैमर ने पहली हत्या गुस्से में की थी, उसके बाद उसने बड़े लोगों से पैसों की अवैध उगाही के लिए हत्या करना शुरु कर दिया था. जिस समय कीर्ति गैमर को पुलिस ने पकड़ा था उस वक्त तक वो 6 लोगों को मार चुका था.
कीर्ति गैमर की हत्या का सिलसिला ऐसे हुआ शुरू
कीर्ति गैमर ने पुलिस की पूछताछ में कबूल किया था कि साल 2001 में छोटे भाई की शादी की बात को लेकर उसकी अपने पिता से बहस हो गई. पिता से मिली डांट का जवाब कीर्ति गैमर ने कुछ ऐसे दिया कि उसने अपने पिता की हत्या कर दी. पिता की हत्या के मामले में सबूतों के अभाव के चलते को कोर्ट से कीर्ति गैमर निर्दोष साबित हो कर छूट गया. इस घटना के बाद कीर्ति गैमर कुछ महीनों तक शांत रहा लेकिन 2005 में एक दिन कीर्ति गैमर के भाई की रामसिंह ठाकोर नाम के युवक ने पिटाई कर दी जिसके बाद कीर्ति ने उसकी भी हत्या कर दी. ये हत्या कीर्ति गैमर की जिंदगी की दूसरी हत्या थी. इसके बाद उसने तीसरी हत्या उसकी बहन को छेड़ने वाले हरीश वांकर की 2007 में की.
कीर्ति गैमर हरीश वांकर से सिर्फ इसलिए नाराज था क्योंकि वो आए दिन उसकी बहन के साथ छेड़खानी किया करता था और उसकी बहन को आते-जाते बुरी नजर से देखा करता था. कीर्ति गैमर ने हरीश वांकर की हत्या करने के बाद उसकी लाश को साबरमती नदी में ले जाकर फेंक दिया. अहमदाबाद पुलिस ने कीर्ति गैमर को हरीश वांकर की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था लेकिन पुलिस हरीश वांकर की न तो लाश को बरामद कर सकी और न ही उस हथियार को जिससे कीर्ति गैमर ने हरीश वांकर की हत्या की थी. इसका परिणाम ये रहा कि कोर्ट ने सबूतों के अभाव में कीर्ति गैमर को एक बार फिर से बरी कर दिया. पुलिस कीर्ति गैमर को भले ही हरीश वांकर की हत्या के मामले में कोर्ट से सज़ा न दिला सकी हो लेकिन पुलिस रिकॉर्ड में वो एक साइको किलर रुप में दर्ज हो चुका था.
‘सनकी किलर’ नाम के टैग का फायदा उठाया
कीर्ति गैमर ने अपने आपराधिक जीवन में कुल 6 लोगों की हत्या की थी जिनमें से तीन लोगों की हत्या करने का जुर्म उसने सिर्फ तीन महीनों के अंदर कर दिया था. इन तीन कत्ल में से दो सगे डेंटिस्ट भाई वाघजी और तुलसी थे तो तीसरा शख्स था गैस एजेंसी का काम करने वाला मैनेजर. तीनों हत्या के पीछे कारण था एक्सटॉर्शन मनी जिसे इन तीनों ने उसे देने से मना कर दिया था. इन तीनों हत्या के बाद कीर्ति गैमर का खौफ अहमदाबाद के शंकेश्वर और राधनपुर में देखने को मिलने लगा और हर कोई उसके नाम से ही डरने लगा.
नहीं करता था अपने फोन का इस्तेमाल
गुजरात पुलिस की क्राइम ब्रांच ने अपनी जांच में पाया था कि कीर्ति गैमर जब भी किसी को पैसों के लिए धमकी देता था वह सावधानी बरतते हुए दूसरे के फोन का इस्तेमाल करता था. अधिकतर मामलों में कीर्ति गैमर अंजान लोगों से ये कहकर फोन मांगता था कि घर पर उसकी मां बीमार हैं तो दवाईयों के बारे में जानकारी चाहिए. उसकी इन बातों में भोले भाले लोग आसानी से फंस जाते थे. उस फोन से वह अपने शिकार से पैसे देने के लिए धमकी देता था. फिर धमकी देने वाला पीड़ित कॉल आने वाले नंबर की जानकारी पुलिस को देता था तो पुलिस उन निर्दोष लोगों को पकड़कर लाती थी और अपने अंदाज में पूछताछ करती थी.
जब पुलिस को लगातार इसी तरह की तीन घटनाओं की जानकारी मिली तब पुलिस ने उन निर्दोष लोगों को कीर्ति गैमर का फोटो दिखाया और तीनों लोगों ने उसे पहली ही नजर में पहचान लिया. अब पुलिस के सामने सारा राज़ खुल चुका था लेकिन पुलिस के पास सबूत न होने के चलते कीर्ति गैमर को पुलिस पकड़ नहीं पा रही थी. कीर्ति गैमर ने पहली हत्या 2000 में अपने पिता की थी, इसके बाद 2004 में उसने दो अन्य निर्दोष लोगों की हत्या की थी लेकिन इन तीनों हत्याओं के मामले में सबूतों के अभाव में कोर्ट ने उसे बरी कर दिया था. साल 2015 में डेंटिस्ट भाईयों की हत्या के मामले में उसे उम्र कैद की सज़ा सुनाई गई.
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