• Fri. Jan 17th, 2025

इस साल तीन शुभ योगों में वरुथिनी एकादशी पड़ रही है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीहरि एवं माता लक्ष्मी की संयुक्त पूजा एवं व्रत करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है, साथ ही सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. वरुथिनी एकादशी वैशाख माह कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है. इस साल 3 मई को वरुथिनी एकादशी मनाई जाएगी.

मूल तिथि एवं शुभ मुहूर्त
वैशाख कृष्ण पक्ष एकादशी प्रारंभः 11.24 PM (3 मई 2024 शुक्रवार)
वैशाख कृष्ण पक्ष एकादशी प्रारंभः 8.38 PM (4 मई 2024 शनिवार)
इस तरह उदया तिथि के मानकों के अनुसार वरुथिनी एकादशी 4 मई को मनाई जाएगी.
व्रत का पारणः 5.37 AM से 08.17 AM तक (5 मई 2024 रविवार).

मनोरथ पूर्ति को लिए इन शुभ योगों में करें पूजा
वरुथिनी एकादशी के दिन तीन अत्यंत शुभ योगों का निर्माण हो रहा है. इन शुभ योगों में व्रत एवं पूजा करने से भगवान श्रीहरि का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है.
त्रिपुष्कर योगः 8.38 PM 10.07 PM तक
इंद्र योगः सूर्योदय से 11.04 AM तक
वैधृत योगः 11.04 AM तक के बाद पूरे दिन रहेगा

पूजा विधि
एकादशी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत्ति होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान भास्कर को जल चढ़ाएं. मंदिर की सफाई कर गंगाजल का छिड़काव करें. एक चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाकर श्रीहरि एवं माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें, और धूप-दीप प्रज्वलित कर मंत्र का जाप करते हुए पूजा प्रारंभ करें.
अब श्रीहरि को पीला फूल, पीला चंदन, पान, सुपारी, तुलसी दल और अक्षत अर्पित करें और माता लक्ष्मी को लाल चुनरी चढ़ाएं. भोग में केसर की खीर, दूध की मिठाई एवं फल चढ़ाएं. अब श्रीहरि एवं माता लक्ष्मी के सामने हाथ जोड़कर पूजा-अनुष्ठान में हुई गल्तियों के लिए छमा याचना करें, अंत में श्रीहरि की आरती उतारें, और प्रसाद का वितरण करें. अगले दिन मुहूर्त के अनुसार स्नान-ध्यान के पश्चात पारन करें.

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