पंजाब सरकार ने पराली जलाने की घटनाएं रोकने के लिए पूरी तरह से कमर कस ली है। किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए 776 नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। एक तरफ जहां पराली जलाने वाले किसानों पर कार्रवाई की जाएगी, वहीं दूसरी तरफ पराली न जलाकर सहयोग करने वाले किसानों को प्रशासन सम्मानित भी करेगा। सहयोग न करने पर विभिन्न धाराओं के तहत केस भी दर्ज किए जाएंगे। साथ ही किसानों के रेवेन्यू रिकॉर्ड में लाल रेखा खींची जाएगी। इस कारण किसानों को बैंकों से लोन भी नहीं मिल सकेगा।
सरकार द्वारा जिला प्रशासनों से उन किसानों की सूची मंगाई जा रही है, जिनके खेतों में बीते 16 दिन के दौरान जलती हुई पराली के चित्र सैटेलाइट के जरिये सामने आए हैं। सरकार ने इस साल केंद्र सरकार और केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को भरोसा दिलाया है कि सूबे में पराली जलाने पर हर हाल में रोक लगाई जाएगी।
इस साल पंजाब में धान की बंपर पैदावार के अनुमानों के साथ ही लगभग 20 मिलियन टन धान की पराली निकलने का भी अनुमान है। इसमें 3.3 मिलियन टन बासमती की पराली भी शामिल है। पंजाब सरकार ने इस साल पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को एक एक्शन प्लान सौंपा है। इसमें बताया गया है कि राज्य सरकार ने 2022 की तुलना में इस साल पराली जलाने की घटनाओं में 50 प्रतिशत से ज्यादा कमी लाने का लक्ष्य रखा है।
पराली को खेतों में जलाने के बजाय इसके निस्तारण के अन्य तरीकों के अधीन 1,17,672 सीआरएम मशीनें का उपयोग किया जाएगा। यह अनुमान लगाया गया है कि 2023 में, मशीनों के जरिये करीब 11.5 मीट्रिक टन और अन्य माध्यमों से 4.67 मीट्रिक टन पराली का प्रबंधन कर लिया जाएगा। राज्य में इस समय 23,792 कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) स्थापित किए गए हैं, जिनकी मदद से किसान सीआरएम मशीन ले सकते हैं। सरकार ने 8,000 एकड़ धान क्षेत्र में बायो डीकंपोजर डालने की योजना भी बनाई है।