
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट.
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने शहीदों को लेकर एक बड़ा फैसला दिया है. कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि सैन्य अभियान में तैनात किसी सैनिक को यदि उसका साथी गोली मारता है, तो उसे युद्ध में शहीद होने वाले सैनिकों को मिलने वाले लाभों से वंचित नहीं किया जा सकता.
कोर्ट ने यह फैसला याचिकाकर्ताओं भारत संघ और अन्य द्वारा सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (एएफटी) के 22 फरवरी, 2022 के आदेश को दी गई चुनौती पर सुनवाई करते हुए सुनाया. एएफटी ने प्रतिवादी रुक्मणी देवी के उदार पारिवारिक पेंशन के दावे पर विचार करने का निर्देश दिया था.
क्या है पूरा मामला?
देवी का बेटा भारतीय सेना का जवान था और जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन रक्षक में ड्यूटी पर तैनात था और 21 अक्टूबर 1991 को एक साथी सैनिक द्वारा चलाई गई गोली के कारण उसकी मृत्यु हो गई थी. न्यायमूर्ति अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल और न्यायमूर्ति दीपक मनचंदा की पीठ ने 16 जुलाई को दावा के लिये आवेदन करने में देरी सहित कई आधारों पर देवी को पेंशन देने से इनकार करने की केंद्र की दलील खारिज कर दी.
लाभ से वंचित नहीं कर सकते
कोर्ट ने कहा कि यह साफ है कि सैन्य अभियान में तैनात किसी सैनिक को, यदि उसके साथी सैनिक द्वारा गोली मार दी जाती है, तो उसे किसी भी तरह से उन लाभों से वंचित नहीं किया जा सकता, जो उन सैनिकों को मिलते हैं, जो कार्रवाई के दौरान अपनी जान गंवाते हैं.
कोर्ट इस दलील से भी संतुष्ट नहीं हुई कि आवेदन दाखिल करने में देरी हुई, क्योंकि पेंशन, जिसका हकदार राष्ट्र की सेवा करने वाला कर्मचारी हर महीने होता है, एक सतत कारण है. एएफटी ने रक्षा मंत्रालय को देवी के उदारीकृत पारिवारिक पेंशन के दावे पर विचार करने का निर्देश दिया था. उदारीकृत पारिवारिक पेंशन, साधारण पारिवारिक पेंशन की तुलना में अधिक लाभ से युक्त होती है.
[ Achchhikhar.in Join Whatsapp Channal –
https://www.whatsapp.com/channel/0029VaB80fC8Pgs8CkpRmN3X
Join Telegram – https://t.me/smartrservices
Join Algo Trading – https://smart-algo.in/login
Join Stock Market Trading – https://onstock.in/login
Join Social marketing campaigns – https://www.startmarket.in/login