प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को नवी मुंबई स्थित धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी (DAKC) में छापेमारी कर तलाशी, जब्ती और परिसंपत्तियों को फ्रीज किया. भाई अंबानी नॉलेज सिट नवी मुंबई में कोपर खैराने में स्थित एक प्रौद्योगिकी पार्क है. 56 हेक्टेयर में फैले इस शहर का निर्माण 2002 में पूरा हुआ था. इसका स्वामित्व रिलायंस एडीए समूह के पास है तथा इसमें 24 घंटे खुला रहने वाला राष्ट्रीय नेटवर्क परिचालन केंद्र (एनएनओसी) है.
इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय ने गुरुवार को रिलायंस समूह के अध्यक्ष अनिल अंबानी की कंपनियों के खिलाफ कथित तौर पर 3,000 करोड़ रुपये के बैंक ऋण धोखाधड़ी से जुड़े धन शोधन मामले के तहत कई स्थानों पर छापे मारे थे.इन कंपनियों द्वारा लिए गए कुछ और बैंक ऋणों के अलावा कुछ कथित अघोषित विदेशी संपत्तियां भी एजेंसी की जांच के दायरे में हैं.
धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मुंबई में 50 कंपनियों और 25 लोगों से संबंधित 35 से अधिक परिसरों की तलाशी ली गई. उन्होंने बताया कि कुछ दस्तावेज और कंप्यूटर उपकरण बरामद किये गये हैं. यह जांच ईडी की दिल्ली स्थित जांच इकाई द्वारा की जा रही है.
3,000 करोड़ के अवैध ऋण डायवर्जन के आरोप की जांच
ईडी सूत्रों ने कहा कि वे मुख्य रूप से 2017-2019 के बीच अंबानी की समूह कंपनियों को यस बैंक द्वारा दिए गए लगभग 3,000 करोड़ रुपये के अवैध ऋण डायवर्जन के आरोपों की जांच कर रहे हैं.
समूह की दो कंपनियों, रिलायंस पावर और रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने अलग-अलग लेकिन एक जैसी नियामकीय फाइलिंग में कहा कि ईडी की कार्रवाई का उनके व्यावसायिक परिचालन, वित्तीय प्रदर्शन, शेयरधारकों, कर्मचारियों या किसी अन्य हितधारकों पर “बिल्कुल कोई प्रभाव नहीं” पड़ा है.
कंपनियों ने कहा, “मीडिया रिपोर्ट रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (आरकॉम) या रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (आरएचएफएल) के लेनदेन से संबंधित आरोपों से संबंधित प्रतीत होती है, जो 10 साल से अधिक पुराने हैं.” सूत्रों ने बताया कि ईडी ने पाया है कि ऋण दिए जाने से ठीक पहले, यस बैंक के प्रमोटरों को उनके व्यवसाय में धन “प्राप्त” हुआ था. संघीय जांच एजेंसी “रिश्वत” और ऋण के इस गठजोड़ की जांच कर रही है.
कंपनी पर लगे हैं ये आरोप
सूत्रों ने बताया कि ईडी इन कंपनियों को यस बैंक द्वारा ऋण स्वीकृतियों में “घोर उल्लंघनों” के आरोपों की भी जांच कर रहा है, जिसमें पिछली तारीख के ऋण अनुमोदन ज्ञापन, बैंकों की ऋण नीति का उल्लंघन करते हुए बिना किसी जांच/ऋण विश्लेषण के प्रस्तावित निवेश जैसे आरोप शामिल हैं. आरोप है कि संबंधित संस्थाओं द्वारा ऋण को कई समूह कंपनियों और “फर्जी” कंपनियों को “हटा” दिया गया.
सूत्रों ने बताया कि एजेंसी कमजोर वित्तीय स्थिति वाली संस्थाओं को दिए गए ऋण, ऋण के उचित दस्तावेजीकरण और उचित जांच-पड़ताल का अभाव, समान पते वाले ऋण लेने वालों और उनकी कंपनियों में समान निदेशकों आदि के मामलों की भी जांच कर रही है.
उन्होंने बताया कि धन शोधन का यह मामला सीबीआई की कम से कम दो प्राथमिकियों और राष्ट्रीय आवास बैंक, सेबी, राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (एनएफआरए) तथा बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा ईडी के साथ साझा की गई रिपोर्टों से उत्पन्न हुआ है.
सूत्रों ने बताया कि इन रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि बैंकों, शेयरधारकों, निवेशकों और अन्य सार्वजनिक संस्थानों को धोखा देकर सार्वजनिक धन को दूसरी जगह ले जाने या गबन करने की एक “सुनियोजित और सोची-समझी योजना” थी.
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