
चिकनगुनिया 20 साल बाद फिर से खतरा क्यों बन रहा है?
Image Credit source: Getty Images
Chikungunia risk in india : करीब 20 साल बाद एक बार फिर चिकनगुनिया का खतरा बढ़ता दिख रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस पर अलर्ट जारी किया है. चिकनगुनिया एक ऐसी बीमारी है जिसके बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन यह अब तक 119 देशों में पाई जा चुकी है, जिससे करीब 5.6 अरब लोग जोखिम में हैं.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि 20 साल पहले वाले वायरस में जो म्यूटेशन देखे गए थे, वही फिर से सामने आए हैं. भारत जैसे देशों में, जहां मच्छरों से फैलने वाली बीमारियां पहले से मौजूद हैं, वहां इसका खतरा और बढ़ जाता है.
भारत में कितना खतरा?
पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ समीर भाटी बताते हैं कि भारत में मॉनसून के मौसम में मच्छरों से होने वाली बीमारियां आम हैं और यही चिकनगुनिया के फैलने की सबसे बड़ी वजह बनती है. हालांकि यहां चिकनगुनिया का ज्यादा रिस्क नहीं होता है, लेकिन इस बात सतर्क रहने की जरूरत है.
डॉ भाटी कहते हैं कि चिकनगुनिया कीबीमारी एडीज एजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस मच्छरों के काटने से फैलती है, जो दिन में ज्यादा एक्टिव रहते हैं. जब संक्रमित मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है, तो वायरस उसके खून में एंटर कर जाता है और शरीर में तेजी से फैलता है. इसका असर शरीर की जोड़ों, मांसपेशियों और नसों पर सबसे ज्यादा पड़ता है, जिससे मरीज को तेज दर्द और कमजोरी का सामना करना पड़ता है.
चिकनगुनिया के लक्षण क्या हैं?
चिकनगुनिया के लक्षण अचानक और तेजी से सामने आते हैं. इसका इनक्यूबेशन पीरियड 2 से 7 दिन होता है यानी वायरस के संक्रमण के कुछ दिनों बाद लक्षण दिखाई देने लगते हैं. सबसे विशेष लक्षणों में तेज बुखार, तीव्र जोड़ दर्द और मांसपेशियों में ऐंठन शामिल हैं. यह जोड़ दर्द कई बार इतना गंभीर होता है कि मरीज को हिलने-डुलने में कठिनाई होती है और यह हफ्तों से लेकर महीनों तक रह सकता है.
इसके अलावा मरीज को सिरदर्द, थकान, ठंड लगना, मतली, उल्टी और पूरे शरीर पर लाल चकत्ते हो सकते हैं. आंखों में दर्द और सूजन भी सामान्य लक्षण हैं. कई मामलों में लक्षण डेंगू से मिलते-जुलते होते हैं, जिससे मरीज को सही पहचान करने में देर हो सकती है. बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों में यह संक्रमण गंभीर रूप ले सकता है, जो लंबे समय तक स्वास्थ्य पर असर डालता है.
कैसे करें बचाव?
घर और आसपास पानी जमा न होने दें.
शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें.
मच्छर भगाने वाले रिपेलेंट और कॉइल का इस्तेमाल करें.
घर में दरवाजों और खिड़कियों पर मच्छरदानी या नेट लगाएं.
बुखार या अन्य लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
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