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Saiyaara: सैयारा की वो पांच कमियां, जिन्हें रोते-पीटते दर्शकों ने नजरअंदाज कर दिया

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Jul 24, 2025    150812 views     Online Now 136
Saiyaara: सैयारा की वो पांच कमियां, जिन्हें रोते-पीटते दर्शकों ने नजरअंदाज कर दिया

बॉक्स ऑफिस पर धूम मचा रही है ‘सैयारा’
Image Credit source: यशराज फिल्म्स

बॉलीवुड की कुछ फिल्में सीधे दर्शकों के दिल में उतर जाती हैं. ये फिल्में कई बार खूब रुला देती हैं. ‘सैयारा’ भी ऐसी ही एक फिल्म है, जिसे देखकर थिएटर में खूब आंसू बहें. अहान पांडे और अनीत पड्डा की इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर खूब सफलता हासिल की. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दर्शकों को भावनाओं में बहाने वाली मोहित सूरी की इस फिल्म में भी कई ऐसी बड़ी खामियां हैं, जिन पर शायद आंसुओं के सैलाब के चलते ज्यादा ध्यान नहीं गया? आज हम आपको बताएंगे ‘सैयारा’ की वो 5 बड़ी कमियां, जिन्हें मेकर्स आसानी से सुधार सकते थे और फिल्म को और बेहतर बना सकते थे.

1. घिसी-पिटी कहानी का अंदाज

‘सैयारा’ की कहानी में कोई नयापन नहीं. ये कोई ‘रॉकेट साइंस’ वाली स्क्रिप्ट नहीं थी, बल्कि इसे कई बार देखी जा चुकी कहानियों के ढर्रे पर ही बुना गया था. अगर मेकर्स कहानी में कुछ नयापन लाते, तो फिल्म का असर और गहरा हो सकता था.

2. इमोशनल सीन की भरमार

फिल्म में इमोशनल सीन जरूरत से ज्यादा हैं. ऐसा लगता है मानो दुनिया के सारे दुख सिर्फ फिल्म के किरदारों को ही मिले हों. कई बार ये इमोशंस इतने ज्यादा हो जाते हैं कि दर्शक उनसे पूरी तरह जुड़ नहीं पाते, और सीन ओवरड्रैमेटिक लगने लगते हैं.

3. अनदेखे किए गए साइड किरदार

‘सैयारा’ में सारा फोकस सिर्फ मुख्य किरदारों पर रखा गया. साइड किरदारों को कहानी में ठीक से जगह नहीं मिली. उनके पास कहने या करने के लिए कुछ खास नहीं था, जिससे वे कहानी का अहम हिस्सा नहीं बन पाए और उनकी अनदेखी साफ नजर आती है.

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4. कई सवालों के नहीं मिले जवाब

कहानी में कुछ बातें अधूरी रह गईं, खासकर अल्जाइमर जैसी बीमारी से जुड़े पहलू. दर्शकों के मन में कई सवाल उठते हैं, जिनका जवाब मोहित सूरी की फिल्म नहीं देती. इससे कहानी में कहीं-कहीं अस्पष्टता महसूस होती है और दर्शक थोड़ा उलझा हुआ महसूस कर सकता है.

5. कहानी का बेवजह खींचना

फिल्म की गति कुछ जगहों पर बहुत धीमी हो जाती है और कहानी बेवजह खिंचती हुई महसूस होती है, खासकर सेकंड हाफ में. ऐसे में दर्शकों को थोड़ी बोरियत महसूस होती है और वो घड़ी देखने पर मजबूर हो जाते हैं.

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