
जगदीप धनखड़
सुबह सदन का संचालन और रात को इस्तीफा…जगदीप धनखड़ के इस कदम से विपक्ष ही नहीं सत्ता पक्ष भी कन्फ्यूज है. कोई इसे चौंकाने वाला फैसला बता रहा है तो कोई सियासी रणनीति. मगर धनखड़ के इस फैसले की असली वजह क्या है फिलहाल यह उनके अलावा कोई और नहीं जानता. सियासी गलियारों में कयासों का दौर जारी है लेकिन सच्चाई इससे कोसों दूर है. सवाल कई हैं पर जवाब किसी को नहीं पता. उनका झट से इस्तीफा देना फिर पट से उसकी मंजूरी…यह सिर्फ खराब स्वास्थ्य की वजहें नहीं हैं. बात कुछ और है. आइए इसे सिलसिलेवार तरीके से समझने की कोशिश करते हैं, जिससे कुछ चीजें साफ हो सके.
इस पूरे मामले को समझने के लिए शुरू से शुरू करते हैं. 21 जुलाई को संसद के मानसून सत्र की शुरुआत हुई. सदन की कार्यवाही शुरू होते ही हंमागा शुरू हो गया. विपक्षी सांसदों के हंगामे के बाद लोकसभा की कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी. फिर इसे दिन भर के लिए टाल दिया गया. वहीं, राज्यसभा की कार्यवाही दो बार के स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई.
BAC की बैठक में आखिर ऐसा क्या हुआ?
- दोपहर 12:30 बजे जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा की BAC की अध्यक्षता की. इस बैठक में सदन के नेता जेपी नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू समेत कई सदस्य मौजूद थे. बैठक में थोड़ी देर चर्चा हुई. फिर इसके बाद तय हुआ कि इसकी अगली बैठक शाम साढ़े चार बजे होगी. शाम में सभी इसके लिए इकट्ठा हुए लेकिन नड्डा और रिजिजू इसमें नहीं आए और इसकी जानकारी धनखड़ को भी नहीं थी.
- इसको लेकर कांग्रेस का कहना है कि दोपहर 1 बजे से लेकर शाम साढ़े चार बजे के बीच जरूर कुछ गंभीर बात हुई है, जिसकी वजह से जेपी नड्डा और किरण रिजिजू ने जानबूझकर शाम की बैठक में शामिल नहीं हुए. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश का कहना है कि हो सकता है कि जगदीप धनखड़ को शायद इस बात का बुरा लगा हो कि उन्हें यह नहीं बताया गया कि दोनों मंत्री बैठक में नहीं आएंगे. हालांकि, नड्डा ने बाद में कहा कि उपराष्ट्रपति कार्यालय को मेरे और रिजिजू के BAC बैठक में शामिल न हो पाने की जानकारी दी गई थी.
- जयराम रमेश ने कहा कि उन्हें (धनखड़) लगता था कि उनकी भूमिकाओं की अनदेखी हो रही है. उनका इस्तीफा उनके बारे में बहुत कुछ कहता है. वह नियमों, प्रक्रियाओं और मर्यादाओं के पक्के थे. उन्होंने किसानों के हितों के लिए खुलकर आवाज उठाई. जयराम ने आगे कहा कि इस्तीफे की वजह उन्होंने अपनी सेहत को बताया लेकिन सच्चाई कुछ और है.
किसी बात का धक्का या फिर कोई कसूर?
मानसून सत्र के पहले दिन राज्यसभा में एक और चीज देखने को मिली. सदन के नेता जेपी नड्डा जब कुछ बोल रहे थे तो विपक्षी सांसद हंगामा करने लगे. इस पर नड्डा ने विपक्ष को कहा कि आप लोग जो बोलेंगे वो रिकॉर्ड में नहीं जाएगा. केवल मैं जो बोलूंगा वो ही रिकॉर्ड में जाएगा. यह आपको मालूम होना चाहिए. नड्डा ने यह बयान उस समय दिया जब सदन में राज्यसभा के सभापति चेयर पर मौजूद थे. नड्डा के इस बयान पर कांग्रेस ने जमकर निशाना साधा. कांग्रेस ने कहा कि नड्डा अब सांसद नहीं खुद को स्पीकर समझने लगे हैं.
धनखड़ को लेकर एक बात साफ है कि वो क्लियर कट बोलते थे. उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था जब किसी मंच से किसानों की पैरवी कर रहे हैं और उस मंच पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी थे. इस दौरान जगदीप धनखड़ ने कहा, कृषि मंत्री जी एक-एक आपका भारी है और मेरा आपसे आग्रह है कि भारत के संविधान के तहत दूसरे पद पर विराजमान व्यक्ति आपसे अनुरोध कर रहा है कि कृपया मुझे बताइए कि क्या किसानों से वादा किया गया था और वादा किया गया वादा क्यों नहीं निभाया गया? विदा निभाने के लिए हम क्या कर रहे हैं? गलत वर्ष भी आंदोलन था और इस साल भी आंदोलन है. कालच्रक घूम रहा है और हम कुछ कर नहीं रहे हैं. धनखड़ ने ये पूरी बात तीन दिसंबर 2024 को आयोजित किसी कार्यक्रम में कही थी.
किसी ने घालमेल तो किसी ने कहा हैरान करने वाला फैसला
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने कहा कि आप सुबह भी अपमानित किए, जो मैं कहूं वहीं सही तो आप संविधान को चैलैंज कर रहे हैं. चैलेंज कर रहे हैं लोकतांत्रिक व्यवस्था को. फिर उसके बाद शाम में एडवाइजरी की बैठकर रखकर आप अपमानित कर दिए. इस लोकतांत्रिक मूल्य में जब भारत के 140 करोड़ लोग परेशान हैं. लगातार उनका प्रोग्राम आ गया दो दिन बाद. अगर वह अस्वस्थ होते तो पहले इस्तीफा देते या बाद में देते. ये बहुत बड़ा घालमेल और तालमेल है. कई सारे मसले हैं चाहे जस्टिस वर्मा का मामला हो या फिर कोई और… कहीं पर निगाहें कहीं पर निशाना है.
वहीं, केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने धनखड़ के इस्तीफे को हैरान करने वाला बताया. वहीं, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा कि मुझे इस सरकार की कुछ चीजें बेहद परेशान करती है. गैर पारदर्शिता इनकी पहचान बन गई है. कोई निर्णय क्यों होता है? कोई बीच कार्यकाल में अपना इस्तीफा देते हैं, ये पूरी सरकार पर प्रश्न है. उद्धव गुट की शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि अपनी खराब स्वास्थ्य स्थिति के बावजूद वह संसदीय कार्यवाही का संचालन करते रहे. यह पहली बार है जब किसी उपराष्ट्रपति ने इतने चौंकाने वाले तरीके से इस्तीफा दिया है. वहीं, कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने इसे चौंकाने वाला फैसला बताया.
इस्तीफे पर प्रधानमंत्री मोदी ने क्या कहा?
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के 12-13 घंटे बाद प्रधानमंत्री मोदी का बयान सामने आया. धनखड़ के इस्तीफे पर पीएम मोदी ने कहा किजगदीप धनखड़ जी को भारत के उपराष्ट्रपति सहित कई भूमिकाओं में देश की सेवा करने का अवसर मिला है. मैं उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं. प्रधानमंत्री का यह पोस्ट करीब 12-13 घंटे बाद आया.
धनखड़ इस्तीफे के पीछे छोड़ गए कई सवाल
जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा तो दिया पर कई सवाल भी छोड़ गए जिसका जवाब आना बाकी है. स्वास्थ्य का कारण तो एक बहाना है. इस्तीफा उन्होंने अपने मन से दिया या उन्हें मजबूरन देना पड़ा. सियासत में अधिकतर जो दिखता है वैसा होता नहीं है!
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