
अमेरिका ने TRF को आतंकवादी संगठन घोषित किया.
भारत में कई हमलों की जिम्मेदारी ले चुके द रजिस्टेंस फ्रंट यानी TRF को अब अमेरिका ने भी आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया है. अमेरिकी विदेश विभाग ने TRF को विदेशी आतंकवादी संगठन (FTO) और वैश्विक स्तर पर विशेष रूप से नामित आतंकवादी (SDGT) की सूची में डाल दिया है. ये कदम भारत के लिए कूटनीतिक सफलता तो है ही, TRF के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुश्किलों की शुरुआत भी मानी जा रही है.
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने बयान जारी कर TRF को लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा बताया है. उन्होंने कहा कि ये संगठन पाकिस्तान की जमीन से संचालित होता है और भारत में निर्दोष लोगों को निशाना बनाता है. हाल ही में 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी भी TRF ने ली थी, जिसमें 26 नागरिकों की जान गई थी. अमेरिका ने इसे मुंबई हमलों के बाद भारत में लश्कर का सबसे घातक हमला करार दिया.
TRF कौन है और कैसे बना?
TRF की शुरुआत 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद हुई थी. ये आतंकी संगठन जम्मू-कश्मीर में खासा सक्रिय रहा है और सुरक्षा एजेंसियों की नजर में ये लश्कर-ए-तैयबा का ही प्रॉक्सी है. इसे ISI के इशारे पर खड़ा किया गया, जिसका मकसद था कश्मीर में हाइब्रिड आतंकवाद को बढ़ावा देना यानी आम नागरिकों की आड़ में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देना. भारत ने 5 जनवरी 2023 को ही TRF को आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया था.
अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित होने से TRF पर क्या असर होगा?
अमेरिका की ओर से किसी संगठन को FTO (फॉरन टेररिस्ट ऑर्गेनाइजेशन) और SDGT की सूची में डालने का असर सिर्फ कागजी नहीं होता. इससे जुड़े कई गंभीर प्रभाव होते हैं.
वित्तीय नेटवर्क पर प्रहार: अब TRF से जुड़ी किसी भी आर्थिक गतिविधि को अवैध माना जाएगा. इसके खाते फ्रीज किए जाएंगे और उस तक फंडिंग पहुंचाना मुश्किल हो जाएगा.
वैश्विक अलगाव: इससे संगठन की अंतरराष्ट्रीय साख पूरी तरह खत्म होती है. दूसरे देश भी अब TRF के खिलाफ कदम उठाने के लिए प्रेरित होंगे.
डोनेशन और सपोर्ट पर रोक: किसी भी व्यक्ति या संस्था द्वारा TRF को आर्थिक या तकनीकी मदद देना अब सीधे तौर पर अपराध होगा.
राजनयिक दबाव: अमेरिका का यह कदम पाकिस्तान और उन देशों पर भी दबाव बढ़ाएगा जो TRF जैसे संगठनों की अनदेखी करते रहे हैं.
भारत के लिए क्यों अहम है ये फैसला?
भारत लंबे समय से TRF और ऐसे अन्य प्रॉक्सी आतंकी संगठनों की अंतरराष्ट्रीय मान्यता की मांग कर रहा था. अमेरिका के इस कदम से भारत को कूटनीतिक समर्थन तो मिला ही है, साथ ही पाकिस्तान पर भी वैश्विक दबाव बढ़ेगा. इससे सीमा पार आतंकवाद के नेटवर्क पर लगाम कसने में मदद मिलेगी.
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