
रीढ़ की बीमारी का कारणImage Credit source: Getty Images
Slipped Disc Symptoms: रीढ़ की हड्डी (Spine) हमारे शरीर का सबसे जरूरी पार्ट है ये न केवल शरीर को सीधा खड़ा रखने में मदद करती है, बल्कि मस्तिष्क से शरीर के बाकी हिस्सों तक पहुंचने वाली नसों को भी सुरक्षित रखती है. लेकिन जब रीढ़ की हड्डी में कोई गड़बड़ी आती है, तो ये दिक्क्त कई तरह की शारीरिक समस्याओं के कारण हो सकती है, जैसे कमर दर्द, गर्दन दर्द, हाथ-पैरों में सुन्नता, झनझनाहट, या चलने-फिरने में दिक्कत.
अक्सर लोग हाथों या पैरों में लगातार झनझनाहट, सुन्नपन या दर्द की शिकायत करते हैं. कई बार यह सामान्य थकान या नसों में खिंचाव के कारण होता है, लेकिन अगर ये लक्षण बार-बार या लंबे समय तक बने रहें, तो यह रीढ़ की हड्डी (Spine) से जुड़ी किसी गंभीर समस्या का संकेत भी हो सकते हैं. एक्सपर्ट्स के अनुसार, रीढ़ की कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं जिनका असर सीधे हमारे हाथों-पैरों की नसों और मांसपेशियों पर पड़ता है.
रीढ़ की हड्डी से कैसे जुड़ा है गर्दन का दर्द
मैक्स अस्पताल में आर्थोपैडिक सर्जन डॉ. अखिलेश यादव बताते हैं किरीढ़ की हड्डी में कुल 33 vertebrae (रीढ़ की हड्डी के कुल खंड) होते हैं, जिनके बीच में डिस्क होती हैं. ये डिस्क हमारे शरीर को लचीला बनाती है. साथ-साथ नसों की सुरक्षा भी करती हैं. जब किसी कारणवश डिस्क खिसक जाती है या नसों पर दबाव पड़ता है तो यह दर्द, झनझनाहट या कमजोरी के रूप में हाथों या पैरों तक महसूस हो सकता है. इसे मेडिकल भाषा में ‘Cervical Radiculopathy’ (गर्दन से जुड़ी नसों में दबाव) या ‘Lumbar Radiculopathy’ (कमर से जुड़ी नसों में दबाव) कहा जाता है.
हाथों में दर्द के पीछे हो सकता है सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस
अगर आपके हाथों में दर्द गर्दन से शुरू होकर नीचे की तरफ जा रहा है, तो यह सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस का संकेत हो सकता है. इसमें रीढ़ की ऊपरी हड्डियों (cervical spine) में घिसाव या सूजन आ जाती है, जिससे नसें दबती हैं और दर्द उंगलियों तक जाता है. कई बार इससे हाथ सुन्न भी हो सकते हैं या पकड़ने की ताकत कम हो सकती है.
पैरों में दर्द हो तो कमर की जांच जरूरी
अगर पैरों में लगातार जलन, खिंचाव, कमजोरी या दर्द बना हुआ है- खासकर कमर से नीचे की तरफ फैलता हो, तो यह लंबर स्पॉन्डिलाइटिस या स्लिप डिस्क की वजह से हो सकता है. कमर की नसों पर दबाव पड़ने से दर्द पूरे पैरों में फैलता है और चलने-फिरने में भी दिक्कत आ सकती है.
कब करें डॉक्टर से संपर्क
– अगर दर्द लगातार कई हफ्तों से बना हुआ है
-अगर हाथ-पैर सुन्न होने लगें या कमजोरी महसूस हो
-अगर रात में दर्द ज्यादा होता है और आराम करने पर भी राहत नहीं मिलती
-अगर चलने या हाथों से चीजें पकड़ने में कठिनाई हो रही हो
इलाज और बचाव
– समस्या की गंभीरता के अनुसार इलाज में फिजियोथेरेपी, दर्द निवारक दवाएं, मांसपेशियों को मजबूत करने वाली एक्सरसाइज, या कुछ मामलों में सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है.
– एक्सपर्ट्स यह भी सलाह देते हैं कि लंबे समय तक एक ही पॉज़िशन में न बैठें, रीढ़ की सही मुद्रा बनाए रखें, और नियमित रूप से एक्सरसाइज करें.
– हाथों या पैरों में दर्द को हल्के में न लें, खासकर अगर यह बार-बार हो रहा हो. यह शरीर की रीढ़ की बीमारी का इशारा हो सकता है, जिसे समय पर पहचानकर इलाज कराना जरूरी है.
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