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अगले 4 साल में हो सकती हैं 40 लाख मौतें, अमेरिकी राष्ट्रपति के एक फैसले से एड्स संक्रमण के कहर का खतरा

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Jul 11, 2025    150816 views     Online Now 485
अगले 4 साल में हो सकती हैं 40 लाख मौतें, अमेरिकी राष्ट्रपति के एक फैसले से एड्स संक्रमण के कहर का खतरा

AIDS के खिलाफ वैश्विक जंग पर संकट के बादल

AIDS से लड़ाई में जहां नई दवाओं की वजह से दुनिया जीत के करीब दिख रही थी, वहीं अमेरिका के अचानक लिए गए एक फैसले ने पूरी उम्मीदों को झटका दे दिया है. डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका ने HIV प्रोग्राम्स के लिए दी जाने वाली अंतरराष्ट्रीय मदद पर रोक लगा दी है.

संयुक्त राष्ट्र की संस्था UNAIDS ने चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका की इस फंडिंग की भरपाई नहीं हुई, तो 2029 तक यानी अगले 4 वर्षों में 40 लाख लोगों की जान जा सकती है और 60 लाख से अधिक नए संक्रमण के मामले सामने आ सकते हैं. आइए जानते हैं अमेरिका के इस प्रोग्राम के बारे में, क्यों ये HIV-AIDS की लड़ाई में अहम था?

20 साल पुरानी योजना जो अचानक टूट गई

2003 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने PEPFAR प्रोग्राम (President’s Emergency Plan for AIDS Relief) शुरु किया था. ये HIV के खिलाफ दुनिया का सबसे बड़ा विदेशी मदद कार्यक्रम था. इसने अब तक 8 करोड़ से ज्यादा लोगों की जांच करवाई और 2 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त इलाज मुहैया कराया. अकेले नाइजीरिया की बात करें तो वहां 99.9% HIV की दवाइयों का बजट PEPFAR के जरिए ही पूरा होता था. लेकिन जनवरी 2025 में अमेरिका ने विदेशी मदद अचानक रोक दी, जिससे क्लीनिक बंद हो गए, सप्लाई चेन रुक गई और हजारों कर्मचारियों की नौकरी चली गई.

एक फैसले से हेल्थ सिस्टम पर गिरी आफत

UNAIDS की रिपोर्ट कहती है कि इस फैसले से HIV के खिलाफ कई देशों में चल रहे कार्यक्रम रुक गए हैं. जांच की रफ्तार थम गई है. जागरूकता अभियानों पर ब्रेक लग गया है और कई समुदाय-आधारित संस्थाएं पूरी तरह बंद हो गई हैं. इससे न सिर्फ मरीजों की जान खतरे में पड़ी है, बल्कि WHO और दूसरी एजेंसियों को भी अब दोबारा पूरी व्यवस्था खड़ी करनी पड़ेगी.

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अमेरिका न केवल दवाइयों और सुविधाओं के लिए पैसे देता था, बल्कि वह अफ्रीकी देशों में HIV से जुड़ा डेटा जुटाने में भी सबसे बड़ी भूमिका निभा रहा था. अब जब ये फंड बंद हुए हैं तो अस्पतालों और सरकारी एजेंसियों के पास न मरीजों का डेटा है, न आगे की रणनीति बनाने का जरिया.

नई दवा से उम्मीद, पर कीमत बन रही रुकावट

इस बीच, एक नई HIV-रोधी दवा Yeztugo ने उम्मीदें तो जगाई हैं, क्योंकि यह हर 6 महीने में एक बार लेने से संक्रमण रोकने में 100% असरदार साबित हुई है. अमेरिका की FDA ने भी इसे मंजूरी दे दी है और दक्षिण अफ्रीका ने इसे लागू करने की योजना बनाई है. मगर मुश्किल ये है कि इस दवा को बनाने वाली कंपनी Gilead ने इसे गरीब देशों के लिए तो सस्ती दरों पर देने की बात की है, लेकिन लैटिन अमेरिका जैसे मिड-इनकम देशों को इस लिस्ट से बाहर रखा है. यानी जहां HIV का खतरा बढ़ रहा है, वहां ये दवा पहुंच ही नहीं पाएगी.

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