
वडोदरा में गिरा पुल.Image Credit source: PTI
सोचिए आप किसी सड़क से गुजर रहे हों और अचानक सड़क धंस जाए या किसी नदी के ऊपर बने पुल से गुजर रहे हों और अचानक पुल गिर जाए, क्या आप ऐसी कल्पना कर सकते हैं? गुजरात के वडोदरा में आज ऐसा ही हुआ. वडोदरा में महिसागर नदी पर बने एक पुल पर से कुछ गाड़ियां गुजर रही थीं. तभी ये पुल गिर गया और ऐसा नहीं है कि ये किसी एक्सीडेंट के कारण हुआ या फिर पुल की रेलिंग के टटने से हुआ, बल्कि वडोदरा के गंभीरा ब्रिज का बीच का बड़ा हिस्सा पानी में अचानक गिरा गया. इससे 5 गाड़ियां नदी में गिर गईं और एक ट्रक तो पुल के टूटे हुए सिरे पर लटक गया. इस हादसे में 12 लोगों की मौत हो गई, जबकि 8 लोगों को स्थानीय लोगों ने बचा लिया.
ये पुल वडोदरा को आणंद से जोड़ता था. 40 वर्ष पहले 1985 में इस पुल का निर्माण हुआ था. आरोप है कि इसका रखरखाव ठीक से नहीं किया जा रहा था जिसके कारण इस पुल ने आज डुबकी लगा ली. सामान्य तौर पर जब किसी पुल का निर्माण होता है तो ये बता दिया जाता है कि इस पुल की आयु क्या होगी? जब पुल पुराना हो जाता है और उसकी आयु कम बचती है तो पुल को बंद कर दिया जाता है, ताकि किसी तरह का हादसा ना हो.
गंभीरा पुल मामले में ऐसा कुछ नहीं हुआ
या फिर किसी और भी कारण से अगर पुल से यात्रा असुरक्षित होती है तो वार्निंग बोर्ड लगा दिया जाता है कि यहां से यात्रा ना करें. मगर, वडोदरा के गंभीरा पुल मामले में ऐसा कुछ नहीं हुआ और अचानक पुल का एक बड़ा हिस्सा गिरा और कई लोगों की मौत हो गई. अब सवाल ये है कि वडोदरा के इस पुल हादसे के लिए जिम्मेदार कौन है? क्या पुल का रखरखाव ठीक ढंग से नहीं किया जा रहा था?
क्या पुल की मरम्मत में भ्रष्टाचार किया गया?
क्या तय समय से पुल की मरम्मत नहीं की जा रही थी? क्या पुल की मरम्मत में भ्रष्टाचार किया गया? ये सारे सवाल अब पूछे जा रहे हैं जब 12 लोगों की जान जा चुकी है. सरकार हादसे और लापरवाही की जांच कराने की बात कर रही है जबकि विपक्ष आरोप लगा रहा है. सरकार जांच का दावा तो कर रही है लेकिन स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासन को इस पुल की मरम्मत के लिए कई बार सूचित किया गया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिसके कारण आज ये हादसा हुआ है.
पीएम मोदी ने इस हादसे पर दुख जताया है और प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से मृतकों के परिवार वालों को 2 लाख रुपए और घायलों को 50 हजार रुपए की आर्थिक मदद देने की घोषणा की है. वैसे गुजरात में जिस तरह का हादसा हुआ वो पहला हादसा नहीं है. 30 अक्टूबर 2022 को गुजरात के मोरबी शहर में मच्छु नदी पर बना एक सस्पेंशन ब्रिज नदी में गिर गया था, जिसमें 135 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. 2024 में बिहार में 17 दिनों में 12 पुल गिरे थे.
…तो आज फिर से हादसा नहीं होता
इतना कुछ होने के बाद भी प्रशासन सतर्क नहीं दिख रहा है, नहीं तो आज फिर से हादसा नहीं होता. वैसे पिछले कुछ दिनों में हुई बारिश के बाद देश के अलग-अलग हिस्सों से कई ऐसी तस्वीरें आई हैं, जो ये बताती हैं कि भारत में सड़क के मामलों में कितना भ्रष्टाचार है. दो दिन पहले दिल्ली से सटे नोएडा के सेक्टर 100 में सड़क धंस गई थी. सड़क के बीचों-बीच करीब 12 फुट चौड़ा और 15 फुट गहरा गड्ढा हो गया था.
कुछ दिन पहले वाराणसी में ऐसी ही एक सड़क धंस गई थी. सड़क के बीचों-बीच 10 फीट गहरा एक गड्ढा हो गया था. इसके बाद विपक्ष ने आरोप लगाए थे कि सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार हो रहा है. टीवी9 भारतवर्ष ने अपनी रिपोर्ट में बीते दिन ही दिखाया था कि महाराष्ट्र के ठाणे में 6 वर्षों में बने एक फ्लाईओवर को कैसे 24 घंटे में ही बंद करना पड़ा था, ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि 24 घंटे में ही पुल पर कई गड्ढे हो गए थे.
रिपोर्ट टीवी9 भारतवर्ष.
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