
कमर, घुटने और पीठ दर्द की असली वजह है बोन डेंसिटी की कमीImage Credit source: Getty Images
बोन डेंसिटी यानी हड्डियों की मजबूती, यह बताती है कि आपकी हड्डियों में कितना कैल्शियम और अन्य मिनरल्स मौजूद है. जब शरीर में इन पोषक तत्वों की कमी होने लगती है, तो हड्डियां कमजोर और खोखली होने लगती हैं, जिसे मेडिकल भाषा में “ओस्टियोपीनिया” या “ओस्टियोपोरोसिस” कहा जाता है. हड्डियों की यह कमजोरी धीरे-धीरे बढ़ती है और व्यक्ति को महसूस भी नहीं होता कि उसकी हड्डियां कमजोर हो रही हैं. अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो मामूली चोट या गिरने से भी हड्डी टूटने का खतरा बढ़ जाता है. खासतौर पर महिलाएं मेनोपॉज के बाद इसकी ज्यादा शिकार होती हैं.
बोन डेंसिटी की कमी के कई कारण हो सकते हैं. सबसे आम कारणों में है कैल्शियम और विटामिन डी की कमी. ये दोनों पोषक तत्व हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी होते हैं. इसके अलावा बढ़ती उम्र, हॉर्मोनल इम्बैलेंस खासकर महिलाओं में एस्ट्रोजेन की कमी, फिजिकल एक्टिविटी की कमी और धूप में कम समय बिताना भी इस समस्या को बढ़ा सकता है. कुछ मेडिकल स्थितियां जैसे थायरॉइड का इम्बैलेंस, किडनी की समस्या या लंबे समय तक स्टेरॉइड्स का सेवन भी हड्डियों की मजबूती को प्रभावित करता है. इसके अलावा, धूम्रपान, अत्यधिक शराब और फास्ट फूड का सेवन हड्डियों को कमजोर बना सकता है. अगर टीनेज में ही पर्याप्त हड्डी मास नहीं बन पाया, तो आगे चलकर बोन डेंसिटी जल्दी गिर सकती है. इसलिए यह जानना जरूरी है कि यह स्थिति सिर्फ उम्र से नहीं, बल्कि लाइफस्टाइल की आदतों से भी जुड़ी है.
बोन डेंसिटी की कमी के क्या हैं लक्षण?
ग्रेटर नोएडा के कैलाश हॉस्पिटल में ऑर्थोपैडिक विभाग में डॉ. संकल्प जयसवाल बताते हैं कि बोन डेंसिटी की कमी का असर धीरे-धीरे शरीर में दिखने लगता है और शुरुआत में इसके लक्षण इतने सामान्य होते हैं कि हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं. सबसे सामान्य लक्षण है कमर, पीठ और घुटनों में बार-बार या लगातार दर्द बने रहना. बैठने या झुकने पर परेशानी महसूस होना, अचानक हाइट का कम हो जाना और झुककर चलने की आदत बन जाना भी इसके संकेत हो सकते हैं. कुछ लोगों को मामूली गिरने पर ही हड्डी में फ्रैक्चर हो जाता है, खासकर कूल्हे, कलाई या रीढ़ की हड्डी में.
अगर किसी को सामान्य दिनचर्या के कार्य करते हुए बार-बार थकान महसूस होती है या शरीर में हल्का सा दबाव पड़ने पर दर्द होता है, तो यह भी हड्डियों की कमजोरी का इशारा हो सकता है. हाथ-पैरों में कमजोरी या कंपन, चलते समय बैलेंस बनाए रखने में कठिनाई और देर से ठीक होने वाले फ्रैक्चर भी इसके गंभीर संकेत हो सकते हैं. ऐसे में शरीर के इशारों को नजरअंदाज न करें और समय रहते चेकअप कराएं.
कैसे करें बचाव?
अपनी डाइट में कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर चीजें शामिल करें.
रोजाना कम से कम 20-30 मिनट धूप में बैठें ताकि शरीर में विटामिन डी बने.
रेगुलर एक्सरसाइज करें.
शराब और धूम्रपान से दूरी बनाए.
अपने बॉडी वेट को कंट्रोल में रखें, क्योंकि बहुत कम वज़न भी बोन लॉस बढ़ाता है.
हड्डियों की समय-समय पर जांच करवाएं.
डॉक्टर की सलाह से कैल्शियम और विटामिन डी के सप्लीमेंट्स लें.
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