
प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हो रही है प्रियंका चोपड़ा की फिल्म Image Credit source: सोशल मीडिया
अगर आप हॉलीवुड से कुछ ऐसा देखने की उम्मीद कर रहे हैं, जो आपकी सोच के परे हो, या जो आपको अपनी कुर्सी से चिपका दे, तो जरा ठहरिए, क्योंकि अमेजॉन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हो रही प्रियंका चोपड़ा की हेड ऑफ स्टेट 2025 आपको वो सब कुछ नहीं देगी. लेकिन अगर आप वो दर्शक हैं जिन्हें 90 के दशक के बॉलीवुड की ‘नो-लॉजिक, ओनली मैजिक’ वाली फिल्में पसंद आती हैं, जहां हीरो कुछ भी कर सकता है और कॉमेडी सिर्फ हंसाने के लिए होती है? तो ये फिल्म आपके लिए है. तो क्या जॉन सीना, इदरीस एल्बा और प्रियंका चोपड़ा की ये तिकड़ी आपको गुदगुदाएगी, या फिर बस एक ‘देख लिया तो देख लिया’ वाली बात होकर रह जाएगी? आइए जानते हैं
कहानी
फिल्म की कहानी कोई ऑस्कर जीतने वाली नहीं है, न ही इसमें कोई गहरा सामाजिक संदेश है. इसे एक लाइन में समझना चाहें तो, ये दो ऐसे नेताओं की कहानी है जो एक नामुमकिन से मिशन पर दुनिया बचाने निकलते हैं, और इस दौरान कहानी में खूब कॉमेडी और एक्शन का तड़का लगता है. जॉन सीना अमेरिका के राष्ट्रपति और इदरीस एल्बा ब्रिटेन के प्रधानमंत्री, ये दोनों एक ऐसे गठबंधन का हिस्सा बनते हैं, जिसके बारे में उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा. आगे क्या होता है? ये जानने के लिए प्राइम वीडियो पर ये फिल्म जरूर देखें.
कैसी है फिल्म
‘हेड ऑफ स्टेट’ एक ऐसी फिल्म है जिसे देखकर आप बोर तो नहीं होंगे, लेकिन कुछ नयापन भी नहीं पाएंगे. ये उन “लाइट-हार्टेड” फिल्मों की कैटेगरी में आती है जिन्हें आप वीकेंड पर दिमाग लगाए बिना देख सकते हैं. फिल्म की सबसे बड़ी ताकत इसकी हल्की-फुल्की कॉमेडी और धमाकेदार एक्शन सीक्वेंस हैं. 90 के दशक की बॉलीवुड फिल्मों की तरह, ये भी लॉजिक को ताक पर रखकर सिर्फ मनोरंजन पर ध्यान केंद्रित करती है. हां, कुछ जगहों पर आपको लगेगा कि यह थोड़ा ज्यादा ही खींच दी गई है, लेकिन फिर कोई पंचलाइन या एक्शन सीक्वेंस आपको वापस ट्रैक पर ले आता है. ये फिल्म थिएटर में देखना और मजेदार होता, लेकिन प्राइम वीडियो पर भी ये आपको निराश नहीं करेगी, बशर्ते आपकी उम्मीदें सिर्फ हल्के-फुल्के मनोरंजन तक सीमित हों.
लेखन-निर्देशन
फिल्म का लेखन और निर्देशन ‘चलता है’ वाली कैटेगरी में आता है. स्क्रिप्ट में आपको ढेर सारी प्रेडिक्टेबल सिचुएशन और डायलॉग्स मिलेंगे. ऐसा लगता है जैसे लेखकों ने एक चेकलिस्ट बनाई हो – एक्शन सीन है? हां. कॉमेडी पंच है? हां. एक ट्विस्ट है? हां, लेकिन ऐसा जो आपने पहले भी देखा होगा. निर्देशक इल्या नाइशुलर ने ‘नोबडी’ जैसी फिल्मों में अपनी काइनेटिक शैली (कहानी को तेज रफ़्तार से आगे बढ़ाने का अंदाज) दिखाई है, और यहां भी कुछ हद तक वो वही स्टाइल दिखाती है. निर्देशन भी सीधा-सादा है, जो कहानी को बिना किसी ज्यादा क्रिएटिविटी के आगे बढ़ाता है. हालांकि, एक्शन सीक्वेंस को बखूबी कोरियोग्राफ किया गया है और वे आपको सीट से बांधे रखते हैं. कुछ कॉमेडी सीन्स को अच्छी तरह से पेश किया गया है. जॉन सीना और इदरीस एल्बा के बीच की केमिस्ट्री दिल जीत लेती है.
एक्टिंग
इदरीस एल्बा अपने किरदार में पूरी तरह से फिट बैठते हैं. उनका ‘स्ट्रेट मैन’ का किरदार, जो अजीबोगरीब परिस्थितियों में फंस जाता है, आपको हंसाता है. उनकी इंटेंसिटी और डेडपैन डिलीवरी लाजवाब है. जॉन सीना अपनी कॉमिक टाइमिंग से बाजी मारते हैं. उनके वन-लाइनर्स और फिजिकल कॉमेडी फिल्म की जान है. वो साबित करते हैं कि वो सिर्फ एक्शन हीरो नहीं, बल्कि एक अच्छे कॉमेडियन भी हैं. जॉन सीना और इदरीस एल्बा का ‘ब्रोमेंस’ आपका खूब मनोरंजन करता है. उनकी ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री इतनी सहज है कि आप सोचेंगे, ये पहले क्यों नहीं हुआ!
इस फिल्म में अगर किसी ने सबसे ज़्यादा चौंकाया है, तो वो हैं प्रियंका चोपड़ा जोनास. उन्होंने एक ऐसी बिंदास एजेंट का किरदार निभाया है, जो अपने काम में माहिर है. प्रियंका अपने किरदार में पूरी तरह से जमी हैं, उन्होंने दमदार और स्टाइलिश अंदाज को एक साथ दिखाया है. जहां कई फिल्में हीरोइनों को बस दिखाने के लिए रखती हैं, वहीं प्रियंका ने इस फिल्म में अपनी जगह खुद बनाई है. वो सिर्फ जॉन सीना और इदरीस एल्बा जैसे एक्टर्स के साथ कदम से कदम नहीं मिलातीं, बल्कि कई जगह तो उन पर भारी भी पड़ती हैं. जब सीना और एल्बा बच्चों की तरह आपस में लड़ रहे होते हैं, तब प्रियंका को ‘ हीरो’ के तौर पर देखना सचमुच बहुत अच्छा लगता है. बाकी सपोर्टिंग एक्टर्स ने भी अपना काम ठीक से किया है, लेकिन फिल्म की असली जान तो ये तीनों प्रमुख एक्टर्स ही हैं.
एक्शन
हर हॉलीवुड फिल्म की तरह इस फिल्म के एक्शन सीक्वेंस काफी प्रभावशाली हैं. फाइट कोरियोग्राफी अच्छी है और चेंज सीक्वेंस भी रोमांचक हैं. हाथापाई की लड़ाई वाले सीन अच्छी तरह से कोरियोग्राफ किए गए हैं और उन्हें समझना आसान है. हालांकि, वे इतने अनोखे नहीं हैं कि आप पहले कभी ऐसा कुछ न देखा हो, लेकिन वे फिल्म को एक पेस देते हैं और दर्शकों को बोर होने नहीं देते.
क्या हैं खामियां
फिल्म की सबसे बड़ी खामी है इसकी प्रेडिक्टेबिलिटी. कॉमेडी भी कुछ जगहों पर थोड़ी रिपेटेटिव वाली लग सकती है. कुछ दृश्यों में ऐसा लगता है जैसे वे जबरदस्ती डाले गए हों ताकि कॉमेडी का कोटा पूरा हो सके. कुछ सीक्वेंस भी बेवजह खींचे हुए लगते हैं. राजनीतिक पहलू भी बहुत सतही हैं और सिर्फ एक बहाना मात्र लगते हैं. अगर आप कुछ ओरिजिनल और दिमाग पर जोर देने वाला देखने की उम्मीद कर रहे हैं, तो ये फिल्म आपको निराश करेगी.
देखें या न देखे
‘हेड ऑफ स्टेट’ एक ऐसी फिल्म है जिसे आप एक बार देख सकते हैं. ये आपको हंसाएगी, एक्शन से रोमांच पैदा करेगी, और शायद थोड़ी देर के लिए आपको अपने 90 के दशक के बचपन की याद दिलाएगी. येउन फिल्मों में से नहीं है जिनके बारे में आप महीनों तक बात करेंगे, लेकिन ये एक मजेदार सवारी जरूर है. ये कोई मास्टरपीस नहीं है, लेकिन यह पूरी तरह से मनोरंजक है. इसका सीधा स्ट्रीमिंग पर आना थोड़ा निराशाजनक है, क्योंकि ये थिएटर के लायक थी. तो, अगर आपके पास कुछ खाली समय है और आप बस अपना मूड हल्का करना चाहते हैं, तो ‘हेड ऑफ स्टेट’ जरूर देखें.
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