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कमरे में कचरे के ढेर में पड़ा था इंजीनियर, 3 साल से खुद को कर रखा था बंद… टॉयलेट से भरा था रूम; क्या थी मजबूरी?

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Jul 1, 2025    150816 views     Online Now 296
कमरे में कचरे के ढेर में पड़ा था इंजीनियर, 3 साल से खुद को कर रखा था बंद... टॉयलेट से भरा था रूम; क्या थी मजबूरी?

अनूप कुमार नायर

नवी मुंबई से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां एक 55 साल के तकनीकी विशेषज्ञ ने बाहरी दुनिया से अपने आपको को अलग कर तीन साल से ज्यादा समय तक अपने फ्लैट में खुद को बंद रखा. उसका बाहरी दुनिया से एकमात्र कनेक्शन ऑनलाइन फ़ूड ऑर्डर है. हम जिसकी बात कर रहे हैं उस शक्स का नाम अनूप कुमार नायर है. कंप्यूटर प्रोग्रामर के तौर पर काम करने वाले अनूप कुमार नायर ने छह साल पहले अपने माता-पिता को खो दिया था.

उसके बाद, वह अकेलेपन के कारण डिप्रेशन में चले गए. उनके बड़े भाई ने 20 साल पहले आत्महत्या कर ली थी. एक एनजीओ को उनकी स्थिति के बारे में सूचित किया गया. इसके बाद सोशल एंड इवेंजेलिकल एसोसिएशन फॉर लव (SEAL) के कार्यकर्ता सेक्टर 24 में घरकूल सीएचएस में नायर के घर गए. एनजीओ ने प्लैट में पहुंचकर देखा तो वहांं बहुत गंदगी थी.

SEAL के पादरी केएम फिलिप ने क्या बताया?

सोशल एंड इवेंजेलिकल एसोसिएशन फॉर लव के पादरी केएम फिलिप ने बताया कि नायर अपने फ्लैट से बाहर निकलने से मना कर देते थे और लिविंग रूम में कुर्सी पर ही सोते थे. उन्होंने बताया कि फ्लैट में कोई फर्नीचर नहीं था. जब उन्होंने उनको देखा तो उनके पैर में इंफेक्शन था. उनके पड़ोसियों ने बताया कि नायर शायद ही कभी अपने फ्लैट का दरवाजा खोलता थे. वो कचरा भी बाहर नहीं निकालते थे.

पड़ोसियों ने क्या बताया?

पड़ोसियों ने बताया कि हम सोसायटी के सदस्यों को उनको कभी-कभी कचरा बाहर निकालने में मदद करने के लिए मनाना पड़ता था. हमने उनके माता-पिता की फिक्स डिपॉजिट के पैसे को उनके अकाउंट में ट्रांसफर करने में भी उनकी सहायता की थी. उनके माता-पिता की मौत के बाद उनके कुछ रिश्तेदारों ने उनसे संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने किसी से बात करने से इनकार कर दिया.

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नायर को पनवेल के सील के आश्रम में भेजा गया

इसके बाद सील के कार्यकर्ताओं ने नायर को पनवेल के सील के आश्रम में भेज दिया. नायर ने उन्हें बताया कि उनका कोई दोस्त नहीं है और उनको नौकरी भी नहीं मिल रही है. उनके माता-पिता और भाई की पहले ही मौत हो चुकी है. उनकी सेहत भी ठीक नहीं है. इसलिए नई शुरुआत की कोई उमीद नहीं है. मनोचिकित्सकों का कहना है कि परिवार के सदस्यों को खोने के बाद वो उदास हो गए थे.

मनोचिकित्सकों के अनुसार, उन्होंने खुद को बाहरी दुनिया से दूर कर लिया था. उनका कहना है कि परिवार के किसी सदस्य को खोने के बाद कुछ लोगों को अकेलापन महसूस होने लगता है. वो उदास हो जाते हैं और सामाजिक रूप से अलग-थलग पड़ जाते हैं. सौभाग्य से, हम नायर को बचाने में सफल रहे, लेकिन ऐसे अनगिनत लोग हैं जो फ्लैटों के भीतर ही मर जाते हैं और उनके शव कई दिन बाद मिलते हैं.

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