शिखिल ब्यौहार, भोपाल. राजधानी भोपाल का कलंक अब पूरी तरह साफ हो चुका है. यानी यूनियन कार्बाइड कारखाने का जहरीला कचरा जलकर खाक हो चुका है. 55 दिनों के अंदर जहरीला कचरा नष्ट करने की कार्रवाई की गई है.

बता दें कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद कचरा जलाने का काम शुरू हुआ था. कोर्ट ने 70 दिनों की भीतर कचरा नष्ट करने का आदेश दिया था. रविवार रात को 337 टन कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निपटान कर दिया गया है. वहीं अब कचरे के पैकिंग मटेरियल को नष्ट करने की प्रकिया शुरू होगी.
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पीथमपुर में जहरीला कचरा पहुंचने के बाद स्थानीय लोगों ने भारी विरोध किया था. हालांकि, समझा-बुझाकर लोगों को शांत कराया गया और बताया गया कि इससे कोई नुकसान नहीं होगा. पहले रामकी सयंत्र में कचरे को ट्रायल के तौर पर 10-10 मीट्रिक टन जलाया गया. जिसकी रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की गई.
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कचरे को पूरी तरह जलाने की प्रक्रिया 5 मई को देर शाम 7 बजकर 45 मिनट के आस-पास शुरू हुई थी. जो रविवार (29 जून) और सोमवार (30 जून) की मध्य रात्रि 1 बजे समाप्त हो गई. कचरा जलाने की पूरी प्रक्रिया पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल के निगरानी में की गई.
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गौरतलब है कि 2 दिसंबर 1984 को भोपाल गैस कांड हुआ था. रात 8:30 बजे से मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की हवा धीरे धीरे जहरीली होनी शुरू हो गई थी. जैसे-जैसे रात बीती, वैसे-वैसे अस्पतालों में मरीजों की भीड़ इकट्ठा होने लगी. सुबह तक तो राजधानी कब्रिस्तान में तब्दील हो गई. इस त्रासदी की गिनती सबसे खतरनाक औद्योगिक दुर्घटना में होती है. इसमें न जाने कितनों की जानें गई, कितने अपंग हो गए.
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