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किडनी में अगर क्रिएटिनन बढ़ जाता है तो क्या होता है? एक्सपर्ट से जानें

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Jun 30, 2025    150816 views     Online Now 231
किडनी में अगर क्रिएटिनन बढ़ जाता है तो क्या होता है? एक्सपर्ट से जानें

किडनी में क्रिएटिनिन बढ़ना

किडनी हमारे शरीर को सही ढंग से चलाए रखने के लिए बेहद जरूरी अंग है. किडनी शरीर से टॉक्सिन पदार्थों के साथ कई तरल पदार्थों को शरीर से बाहर निकालती. एक तरह से फिल्टर का काम करती है. इसकी वजह से ब्लड प्रेशर और पीएच लेवल कंट्रोल में रहता है और हार्मोन्स का स्तर भी बेलेंस में रहता है. पिछले कुछ समय में किडनी से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं . कम उम्र के लोगों में भी किडनी की समस्याएं देखी जा रही है.

हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि ज्यादातर खराब किडनी के मामलों में क्रिएटिनिन की मात्रा में बढ़ोतरी पाई गई. लेकिन समय पर लाइफस्टाइल में बदलाव, डाइट कंट्रोल और डॉक्टर की सलाह से इलाज शुरू कर दिया जाए, तो इस स्थिति को संभाला जा सकता है. आइए जानते हैं कि आखिर ये क्रिएटिनिन क्या है और कैसे य किडनी का नुकसान पहुंचाता है.

क्या होता है क्रिएटिनिन (Creatinine)

सर गंगाराम अस्पताल में नेफ्रोलॉजी विभाग में डॉ मनीष तिवारी बताते हैं किक्रिएटिनिन (Creatinine) एक केमिकल वेस्ट प्रोडक्ट होता है, जो मांसपेशियों की अपनी सामान्य एक्टिविटी के समय शरीर में बनता रहता है. यह ब्लड के जरिए किडनी तक पहुंचता है और वहां से यूरीन के जरिए शरीर से बाहर निकल जाता है. लेकिन जब किडनी ठीक से काम नहीं करती तो यह क्रिएटिनिन शरीर में जमा होने लगता है और इसके लेवल में बढ़ोतरी हो जाती है या कहें ज्यादा मात्रा में जमा होने लगता है.

क्रिएटिनिन बढ़ने पर शरीर में क्या लक्षण दिखते हैं?

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थकावट और कमजोरी शरीर में टॉक्सिन जमा होने से मरीज़ हर वक्त थका-थका महसूस करता है.

सूजन खासकर पैरों, टखनों और चेहरे पर सूजन आ सकती है क्योंकि शरीर में पानी रुकने लगता है.

पेशाब में बदलाव पेशाब कम आना, झागदार पेशाब, या बार-बार पेशाब आना.

भूख कम लगना और उल्टी जैसा महसूस होना शरीर में ज़हर के तत्व जमा होने से यह लक्षण दिखते हैं.

साँस लेने में दिक्कत जब क्रिएटिनिन का लेवल बहुत ज़्यादा हो जाता है, तो यह ब्लड में यूरिया को भी बढ़ाता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ हो सकती है.

कैसे रोका जा सकता है क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ने से?

डॉ तिवारी कहते हैं कि क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ने से कम प्रोटीन युक्त भोजन लें (डॉक्टर की सलाह से). नमक और प्रोसेस्ड फूड से परहेज करें. खूब पानी पिएं लेकिन सीमित मात्रा में. नियमित रूप से ब्लड और यूरिन टेस्ट कराते रहे. साथ ही दर्द निवारक दवाओं (Painkillers) का लंबे समय तक सेवन न करें. डायबिटीज़ और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखें, क्योंकि ये किडनी पर असर डालते हैं.

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