
सीबीआई. (सांकेतिक तस्वीर)
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने शनिवार को बिहार और झारखंड में 100 करोड़ रुपये के फर्जी जीएसटी रिफंड घोटाले के सिलसिले में सात स्थानों पर छापेमारी की. यह कार्रवाई फर्जी निर्यात बिलों के जरिए टैक्स रिफंड हासिल करने के आरोपों की जांच के तहत की गई. जांच में शामिल पांच सीमा शुल्क अधिकारियों में पटना के अतिरिक्त जीएसटी आयुक्त रणविजय कुमार भी शामिल हैं.
सीबीआई ने पटना, पूर्णिया, जमशेदपुर, नालंदा और मुंगेर में स्थित परिसरों पर एक साथ छापेमारी की. छापेमारी के दौरान एजेंसी को 100 ग्राम वजन के सात सोने के बिस्किट भी बरामद हुए हैं.
घोटाले का कैसे हुआ पर्दाफाश कैसे?
सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2022-23 के दौरान जयनगर, भीमनगर और भिट्टामोर के लैंड कस्टम स्टेशन (LCS) से नेपाल को टाइल्स और ऑटोमोबाइल पार्ट्स के निर्यात में असामान्य वृद्धि देखी गई. यह गतिविधि सामान्य निर्यात प्रवृत्ति से मेल नहीं खा रही थी, जिससे अधिकारियों को संदेह हुआ और बाद में विस्तृत जांच शुरू की गई.
CBI की प्राथमिक जांच के अनुसार, करीब 30 निर्यातकों ने इन तीन सीमाई कस्टम स्टेशनों से फर्जी निर्यात दिखाकर जीएसटी रिफंड हासिल किया. इन निर्यातकों ने कथित रूप से 10 लाख रुपये से कम मूल्य के निर्यात बिल पेश किए, ताकि कस्टम अधीक्षकों को बिना उच्च स्तर की स्वीकृति के उन्हें क्लियर करने का अधिकार मिल सके.
सीमा शुल्क अधिकारियों की मिलीभगत
सीबीआई की एफआईआर में आरोप है कि जयनगर के कस्टम अधीक्षक नीरज कुमार और मनमोहन शर्मा, भीमनगर के तरुण कुमार सिन्हा और राजीव रंजन सिन्हा, तथा अतिरिक्त आयुक्त रणविजय कुमार इस घोटाले में सीधे शामिल थे. आरोप है कि इन अधिकारियों ने रिश्वत के बदले फर्जी बिलों को मंजूरी दी, जिससे निर्यातकों को जीएसटी रिफंड में भारी लाभ हुआ. एफआईआर में कोलकाता स्थित क्लियरिंग एजेंट गंगा सिंह को भी मुख्य साजिशकर्ता के रूप में नामजद किया गया है.
सीबीआई ने कहा कि अधिकारियों ने लगभग 800 करोड़ रुपये का फर्जी निर्यात दिखाया, जिनमें 28% और 18% जीएसटी स्लैब वाले सामान शामिल थे. इसके जरिए करीब 100 करोड़ रुपये का फर्जी रिफंड प्राप्त किया गया.
फर्जी दस्तावेज और वाहन का भंडाफोड़
जांच में पाया गया कि निर्यात दिखाने के लिए 4,161 ई-वे बिल प्रस्तुत किए गए, जिनमें वाहनों के रूप में दोपहिया, बसें और यहां तक कि एंबुलेंस तक का उपयोग दर्शाया गया, लेकिन सत्यापन में इनमें से कोई भी वाहन एसएसबी (सशस्त्र सीमा बल) के डेटाबेस से मेल नहीं खा सका.
सीबीआई का आरोप है कि अतिरिक्त आयुक्त रणविजय कुमार ने निर्यात में आई इस असामान्य वृद्धि को जानबूझकर नजरअंदाज किया और अधीनस्थ अधिकारियों को मौखिक रूप से लेट एक्सपोर्ट ऑर्डर (LEO) पारित करने के निर्देश दिए. वह कथित तौर पर फर्जी शिपिंग डिटेल्स खुद या क्लियरिंग एजेंट गंगा सिंह के माध्यम से पहुंचाते थे.
CBI की इस छापेमारी और प्रारंभिक जांच ने सीमा शुल्क अधिकारियों और निजी निर्यातकों के एक संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो सरकारी व्यवस्था का दुरुपयोग कर करदाताओं के पैसे की चोरी कर रहे थे.
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