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PM मोदी ने योग के लिए विशाखापटनम का रामकृष्ण बीच क्यों चुना, यह कितना खास?

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Jun 21, 2025    150818 views     Online Now 163
PM मोदी ने योग के लिए विशाखापटनम का रामकृष्ण बीच क्यों चुना, यह कितना खास?

योग दिवस के मौके पर पीएम मोदी विशाखापटनम में रामकृष्‍ण बीच पर पहुंचेंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल योग दिवस पर आंध्र प्रदेश के विशाखापटनम में रामकृष्ण बीच पर आयोजित समारोह में शामिल होंगे. पीएम के स्वागत में आंध्र प्रदेश सरकार ने खूब तैयारियां की हैं. आयोजन स्थल रामकृष्ण बीच को भी शानदार तरीके से सजाया गया है. इस शिविर में पांच लाख लोगों के लिए इंतजाम किया गया है. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो प्रधानमंत्री के साथ यहां कई देशों के लोग भी शामिल हो रहे हैं.

इस बीच यह भी जान लेते है कि पीएम मोदी ने इस जगह को क्यों चुना? आरके बीच का क्या महत्व है? कौन हैं रामकृष्ण जिनके नाम पर इस सुंदरतम बीच का नाम पड़ा? इस बीच की खूबियां क्या हैं?

PM मोदी ने क्यों चुना रामकृष्ण बीच?

अब सवाल है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस जगह का चुनाव 11वें योग दिवस के लिए क्यों चुना? आंध्र प्रदेश के सीएम एन चंद्रबाबू नायडू ने सार्वजनिक तौर पर यह कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल योग दिवस समारोह आरके बीच पर रखने की मंशा जाहिर की थी, जो राज्य सरकार के लिए महत्वपूर्ण पल था. हमने सहर्ष उनकी मंशा के अनुरूप तैयारियां शुरू कर दी. जिन संत रामकृष्ण के नाम पर इस बीच का नाम पड़ा है, पीएम उनसे बेहद प्रभावित रहे हैं. अनेक बार विभिन्न मंचों से जब भी उन्होंने स्वामी विवेकानंद का नाम लिया तो वे अक्सर उनके गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी का नाम लेना नहीं भूलते.

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ऐसे में माना जाना चाहिए कि रामकृष्ण परमहंस के सम्मान में पीएम ने इस जगह को योग दिवस के लिए चुना होगा. यूं भी समुद्र का यह किनारा शानदार तो है ही, यहां स्वामी रामकृष्ण मठ भी है. पर्यटकों का यहां पूरे साल मेला सा लगता है. स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी का पूरा जीवन ध्यान, योग, शिक्षा में ही बीता, ऐसे में यह आयोजन उनको याद करने का बेहतरीन तरीका भी हो सकता है.

Rk Beach Yoga Pm Modi

आंध्र प्रदेश के विशाखापटनम का रामकृष्ण बीच चार किलोमीटर तक फैला हुआ है. फोटो: Puneet Vikram Singh/Moment/Getty Images

बेहद खूबसूरत, शांत, हरियाली से भरा हुआ है यह बीच

विशाखापटनम का आरके बीच बेहद शांत, हरियाली से भरपूर, साफ-सुथरा है. राज्य सरकार ने योग दिवस के लिए यहां विकास के कई काम करवाए हैं. इन कामों ने बीच को और खूबसूरत बना दिया है. बीच से भोगापुरम तक करीब 26 किलोमीटर का शानदार कॉरीडोर बनाकर तैयार है, जहां पांच लाख तक की संख्या में लोग एक साथ योग कर सकते हैं. पीएम इस खास बीच पर योग करेंगे तो राज्य सरकार ने एक लाख जगह पर योग शिविर आयोजित करने के लिए जरूरी इंतजमात किए हैं. उम्मीद है कि इस जगह पर योग दिवस को लेकर कोई रिकार्ड भी बन जाए, जैसा कि सीएम ने कहा भी है. सीएम ने योगांध्रा 2025 नाम दिया है.

यह बीच करीब चार किलो मीटर तक फैला हुआ है. शांत पानी, वादियां, सूर्यास्त इस बीच के प्रमुख आकर्षण हैं. यहां कुछ खास गतिविधियां भी संचालित होती हैं, इनमें सूर्य स्नान, तैराकी, बीच वालीबाल, सर्फिंग आदि प्रमुख हैं. इसी के साथ मत्स्य पालन बोट, कैमल राइड, लोकल क्रूजिंग की सुविधा भी यहां उपलब्ध है. यहां सी-फूड के रेस्तरां बड़ी संख्या में हैं, जो स्थानीय लोगों को रोजगार के प्रमुख साधन हैं.

Ramakrishna Paramahamsa

रामकृष्ण परमहंस के बचपन में नाम गदाधर था.

कौन थे स्वामी रामकृष्ण परमहंस, जिनके नाम पर है बीच?

रामकृष्ण परमहंस स्वामी विवेकानंद के गुरु थे. वे मानते थे कि संसार के सभी धर्म एक समान हैं. वे सबकी इज्जत करते थे. वे आजीवन सबकी एकता पर जोर देते रहे. साल 1836 में उनका जन्म पश्चिम बंगाल में हुआ था. उन्होंने महज 50 वर्ष की उम्र में साल 1886 में दुनिया को अलविदा कह दिया था. उनका जन्म बेहद साधारण परिवार में हुआ था. बचपन में उनका नाम गदाधर रखा गया था. जब वे गर्भ में थे, तभी उनके पिता खुदीराम और मां चंदा देवी को उनके खास होने का एहसास हो गया था.

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गदाधर जब सात साल के थे तभी उनके सिर से पिता का साया उठ गया. घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. गदाधर बड़े भाई राम कुमार चट्टोपाध्याय के साथ कोलकाता आ गए. उनके भाई एक पाठशाला के संचालक थे. अनेक प्रयास के बावजूद गदाधर का मन पढ़ाई में नहीं लगा लेकिन वे मन के साफ थे.

साल 1855 में गदाधर के भाई को दक्षिणेश्वर काली मंदिर के मुख्य पुजारी बनाए गए तो वे भी उनके साथ पहुंच गए. एक साल बाद ही उनके भाई ने दुनिया छोड़ दी. अब वे काली मां को अपनी मां तथा जगत मां के रूप में देखने-पूजने लगे. वे पूरी तरह ध्यानमग्न रहने लगे.

धीरे-धीरे उनका आध्यात्मिक प्रभाव बढ़ता गया, हालांकि, परिवार के लोगों ने उनका विवाह भी करवाया लेकिन वे तो प्रभु में मस्त थे. उनके निधन के बाद स्वामी विवेकानंद ने राम कृष्ण मिशन की शुरुआत की. आज पूरे देश और दुनिया में राम कृष्ण मिशन के आश्रम हैं. उनके विचारों को आश्रम और उनके भक्त विस्तार दे रहे हैं.

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