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मणिपुर में फिर तनाव, गोलीबारी में एक महिला की मौत, किसान को भी मारी गोली

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Jun 19, 2025    150820 views     Online Now 327
मणिपुर में फिर तनाव, गोलीबारी में एक महिला की मौत, किसान को भी मारी गोली

मणिपुर में भारी सुरक्षाबल तैनात

मणिपुर के बिष्णुपुर और चुराचंदपुर जिलों की सीमा पर स्थित संवेदनशील बफर जोन में गुरुवार को हिंसा की एक और घटना सामने आई. सुरक्षा बलों की गोलीबारी में कुकी समुदाय के एक गांव की महिला की मौत हो गई, जबकि इससे कुछ घंटे पहले कथित तौर पर कुकी उग्रवादियों द्वारा की गई गोलीबारी में एक मैतेई किसान गंभीर रूप से घायल हो गया था. दोनों घटनाओं के चलते इलाके में भारी तनाव फैल गया है.

मृत महिला की पहचान चुराचंदपुर जिले के लंगचिंगमनबी गांव के मुखिया की पत्नी हैखोलहिंग के रूप में हुई है. कुकी नेताओं का कहना है कि यह गोलीबारी फुबाला गांव में एक मैतेई किसान के घायल होने के कुछ ही समय बाद हुई.

कुकी समुदाय का आरोप है कि यह गोलीबारी सुरक्षा बलों द्वारा की गई थी, जिसमें महिला की मौके पर ही मौत हो गई. उनका शव चुराचंदपुर जिला मुख्यालय ले जाया गया.

बिष्णुपुर में किसान को मारी गोली

इससे पहले, बिष्णुपुर जिले के फुबाला गांव में एक 60 वर्षीय मैतेई किसान निंग्टगौजम बिरेन पर गोलीबारी की गई थी, जिसमें उन्हें पांच गोलियां लगीं. वह गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्हें इंफाल के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया. कुकी उग्रवादियों को इस हमले के लिए दोषी माना जा रहा है.

बिष्णुपुर (मैतेई बहुल) और चुराचंदपुर (कुकी बहुल) जिलों के बीच तनाव को कम करने के लिए केंद्रीय बलों को तैनात किया गया है, जो दोनों समुदायों के बीच एक “बफर जोन” बनाए हुए हैं, लेकिन बीते कुछ दिनों में वहां छिटपुट गोलीबारी और हिंसक घटनाएं लगातार हो रही हैं. 15 जून को कुकी समुदाय द्वारा मैतेई किसानों को खेती से रोकने की कथित कोशिश के बाद से हालात और भी बिगड़ गए हैं.

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मणिपुर में फिर से तनाव

इम्फाल ईस्ट और कांगपोकपी जिलों के सीमावर्ती इलाकों में भी तनाव की स्थिति बनी हुई है. हाल ही में दोनों समुदायों के पुरुषों और महिलाओं के बीच पथराव की घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें कई लोग घायल हुए हैं.

मणिपुर पिछले साल मई 2023 से जातीय संघर्षों की चपेट में है. मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हिंसक झड़पों में अब तक 260 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और लगभग 60,000 लोग विस्थापित हो चुके हैं. फरवरी 2025 से राज्य राष्ट्रपति शासन के अधीन है, लेकिन इसके बावजूद शांति बहाल नहीं हो पाई है.

बफर जोन में तैनात केंद्रीय बलों को लगातार सतर्क रहने का निर्देश दिया गया है, लेकिन घटनाओं की पुनरावृत्ति से उनकी भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं.

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