
इलाहाबाद हाई कोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कौशाम्बी के लोहंडा गांव में आठ वर्षीय बच्ची के साथ कथित बलात्कार के मामले में ग्राम प्रधान भूप नारायण पाल और दो अन्य की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट ने कहा कि आरोप पत्र दाखिल होने तक गिरफ्तारी नहीं होगी. याचिकाकर्ताओं को जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया गया है. यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति हरवीर सिंह की खंडपीठ ने दिया है.
लोहंदा गांव में 27 मई को आठ वर्षीय बच्ची के साथ कथित दुष्कर्म की घटना हुई थी. मामले में रामबाबू तिवारी के बेटे सिद्धार्थ के खिलाफ केस दर्ज कर पुलिस गिरफ्तार कर जेल भेज देती है. घटना को फर्जी बताते हुए रामबाबू ने जहर खा लिया था, जिसके कारण सकी चार जून को मौत हो गई थी.
इस घटना में पीड़िता के पिता व ग्राम प्रधान भूप नारायण पाल सहित पांच लोगों पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगा है. पुलिस ने केस दर्ज कर दुष्कर्म पीड़िता के पिता सहित दो को गिरफ्तार कर जेल भेजा है, जबकि प्रधान सहित अन्य तीन आरोपी फरार हो गए. यही कारण है कि पुलिस इन्हें पकड़ने के लिए लगातार दबिश दे रही थी. हालांकि अब कोर्ट ने इनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है.
हाई कोर्ट का खटखटाया था दरवाजा
लोहंदा गांव के ग्राम प्रधान व अन्य दो पर चार जून को कौशांबी के सैनी थाने में बीएनएस की धारा 103(1), 3(5) के तहत एफआईआर दर्ज हुई थी. याचियों में मुकदमे को रद्द करने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने कि इलाहाबाद हाईकोर्ट से मांग की थी.
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता, प्रतिवादियों के अधिवक्ता और राज्य के वकील को सुनने के बाद न्यायालय ने याचिका का निपटारा करते हुए स्पष्ट किया है कि याचिकाकर्ता को चल रही जांच में पूरा सहयोग करना होगा. यदि आरोपी व्यक्ति जांच में सहयोग नहीं करेंगे, तो जांच अधिकारी को इस आदेश को वापस लेने के लिए न्यायालय में आवेदन दायर करने की स्वतंत्रता होगी.
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