जब भी हम हवाई जहाज की बात करते हैं, तो अक्सर एक शब्द कॉकपिट (Cockpit) सुनाई देता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कॉकपिट होता क्या है? और क्या इसे कोई हैकर हैक कर सकता है? अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया के प्लेन क्रैश ने पूरी दुनिया को सोच में डाल दिया है. दुनियाभर में कई सावल खड़े हो गए हैं. दरअसल ये बोइंग ड्रीमलाइनर सीरीज का पहला क्रैश है. सोशल मीडिया पर इस हादसे को लेकर कई तरह की बातें चल रही हैं कि कहीं प्लेन को हैक तो नहीं कर लिया गया था. कहीं हैकर्स ने प्लेन को हैक कर के क्रैश तो नहीं करा दिया. लेकिन क्या ये पॉसिबल है? यहां इसके बारे में पूरी डिटेल्स पढ़ें.
कॉकपिट क्या होता है?
कॉकपिट प्लेन का वो हिस्सा होता है जहां पायलट और को-पायलट बैठकर प्लेन को उड़ाते हैं. ये प्लेन के आगे वाले हिस्से में होता है और इसे एडवांस इक्विपमेंट से लैस किया गया होता है. कॉकपिट में फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम, नेविगेशन सिस्टम, कम्युनिकेशन सिस्टम, ऑल्टिमीटर, स्पीडोमीटर, इंजन डेटा, इमरजेंसी कंट्रोल बटन जैसी सारी चीजें होती हैं. जो पायलट को प्लेन उड़ाने, रास्ता तय करने और इमरजेंसी से निपटने में मदद करती हैं.
क्या कॉकपिट को कोई हैक कर सकता है?
अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या प्लेन के कॉकपिट को हैक किया जा सकता है? कॉकपिट को हैक करना बेहद मुश्किल होता है. प्लेन के सिस्टम एयर-गैप्ड होते हैं मतलब ये इंटरनेट से डायरेक्ट कनेक्टेड नहीं होते, जिससे हैकिंग का खतरा कम हो जाता है. कॉकपिट के सॉफ्टवेयर और कंप्यूटर नॉर्मल लैपटॉप या वाई-फाई से कंट्रोल नहीं होते. इन्हें ऑपरेट करने के लिए खास ट्रेनिंग चाहिए.
कुछ थ्योरीज और अफवाहें
कुछ लोग कहते हैं कि प्लेन को हैक करके रिमोट से कंट्रोल किया जा सकता है. 2015 में, The Verge, CNN, The Guardian, Wired की रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक साइबर रिसर्चर Chris Roberts ने दावा किया था कि वो प्लेन की लाइट्स और मूवमेंट को WiFi से बदल सकता है. लेकिन एयरलाइंस और सिक्योरिटी एजेंसियों ने इसे खारिज कर दिया और कहा कि ये टेक्निकली पॉसिब नहीं है. इसके बाद FBI ने उन्हें फ्लाइट से उतरते ही डिटेन कर लिया और उनका लैपटॉप जब्त कर लिया गया था.
एयरलाइंस का सेफ्टी के लिए इंतजाम
हर प्लेन में कॉकपिट का दरवाजा बुलेटप्रूफ और लॉक्ड होता है. सॉफ्टवेयर में रेगुलर अपडेट और सिक्योरिटी टेस्ट होते हैं. साइबर हमले से बचने के लिए कंपनियों के पास एक्सपर्ट टीम होती है. एयर ट्रेफिक कंट्रोल (ATC) लगातार मॉनिटरिंग करता है.
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