
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग
चीन में इन दिनों तनाव का बड़ा कारण ताइवान या तेहरान नहीं, बल्कि तिब्बत और दलाई लामा से जुड़ा संभावित ऐलान बन गया है. 14वें दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर आने वाला फैसला चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी की नींद उड़ा रहा है. दरअसल, 6 जुलाई को दलाई लामा अपना 90वां जन्मदिन मनाएंगे और संभावना जताई जा रही है कि उसी दिन वे अपने उत्तराधिकारी को लेकर घोषणा कर सकते हैं.
चीन को डर है कि यह घोषणा तिब्बत में अलगाववाद की भावना को फिर हवा दे सकती है. यही वजह है कि चीन के टॉप सिक्योरिटी अफसर चेन वेनकिंग हाल ही में तिब्बत से सटे चिंगहाई प्रांत के दौरे पर पहुंचे. चेन ने साफ कहा कि तिब्बत और शिनजियांग की स्थिरता के लिए चिंगहाई एक रणनीतिक गढ़ है, और यहां अलगाववाद को हर कीमत पर हराना होगा.
तिब्बत से जुड़ी हर गतिविधि पर कड़ी नजर
चेन वेनकिंग ने दौरे के दौरान स्थानीय प्रशासन, सुरक्षा एजेंसियों और धार्मिक संस्थानों को निर्देश दिए कि वे तिब्बत से जुड़ी हर गतिविधि पर कड़ी नजर रखें. उन्होंने अधिकारियों को यह भी कहा कि किसी भी संवेदनशील मौके या विशेष तारीख पर अस्थिरता न हो, इसके लिए विशेष तैयारी करें और धार्मिक मामलों को कानून के तहत सख्ती से नियंत्रित किया जाए.
चीन की चिंता क्यों बढ़ी?
चीन की चिंता इसलिए भी बढ़ी है क्योंकि दलाई लामा पहले ही कह चुके हैं कि उनका उत्तराधिकारी चीन के बाहर, विशेषकर भारत में जन्म ले सकता है. उन्होंने मार्च में छपी अपनी किताब में यह भी लिखा कि उनका पुनर्जन्म उस पद्धति से होगा, जो पारंपरिक तिब्बती बौद्ध परंपरा से जुड़ी है. न कि चीन सरकार की मंजूरी से. चीन पहले ही दलाई लामा को अलगाववादी बता चुका है.
चीन का कहना है कि कोई भी धार्मिक उत्तराधिकार या पुनर्जन्म उसकी अनुमति और नियमों के तहत ही मान्य होगा. 1995 में चीन ने 10वें पंचेन लामा के उत्तराधिकारी को अपनी पसंद के अनुसार चुना था, जिसे दलाई लामा ने कभी मान्यता नहीं दी. अब 11वें पंचेन लामा के तौर पर चीन ने ग्याइनचेन नोरबू को स्थापित किया है, जो कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े कई मंचों पर भी सदस्य हैं.
जिनपिंग ने पंचेन लामा की मुलाकात
हाल ही में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पंचेन लामा से मुलाकात की थी और उनसे राष्ट्र और धर्म के प्रति प्रेम बनाए रखने की बात कही थी. इसके तुरंत बाद तिब्बती नेताओं की बैठक बुलाई गई, जिसमें शी की नीतियों और निर्देशों को अपनाने का संकल्प लिया गया. इन सबके बीच, 6 जुलाई को होने वाला दलाई लामा का संभावित उत्तराधिकारी ऐलान चीन के लिए तगड़ी सिरदर्दी बन गया है.
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