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पुतिन को चिट्ठी, लावरोव से मुलाकात… रूस को शहबाज के ‘खत’ से किसको ‘खतरा’?

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Jun 4, 2025    15086 views     Online Now 335
पुतिन को चिट्ठी, लावरोव से मुलाकात... रूस को शहबाज के 'खत' से किसको 'खतरा'?

रूस को शहबाज के ‘खत’ से किसको ‘खतरा’?

भारत-पाक तनाव के बीच रूस में पाकिस्तान की एक नई कूटनीतिक कोशिश देखी गई है. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को एक चिठ्ठी भेजी है, जो उनके विशेष प्रतिनिधि ने विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव को सौंपी. लेकिन सवाल उठता है क्या ये चिठ्ठी पाकिस्तान के लिए मददगार होगी या और गड्ढे में धकेल देगी?

दक्षिण एशिया में भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव के बाद पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि सुधारने की कोशिश शुरू की है. इसी कड़ी में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के विशेष सहायक सैयद तारिक फातमी मास्को पहुंचे और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने शहबाज शरीफ का पत्र राष्ट्रपति पुतिन को सौंपा. पाकिस्तानी दूतावास ने यह जानकारी दी.

रूस ने किया भारत का समर्थन

इस मुलाकात में फातमी ने दक्षिण एशिया के हालिया हालात की जानकारी दी. उन्होंने पाकिस्तान-रूस के बीच ऊर्जा, व्यापार और ट्रांसपोर्ट सेक्टर में सहयोग बढ़ाने की इच्छा जताई. लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि कुछ दिन पहले ही भारत समर्थक एक बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल रूस का दौरा कर चुका है, जहां पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का मुद्दा मजबूती से उठाया गया. रूस ने तब भारत की आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस नीति का समर्थन किया था.

पलट सकता है चिट्ठी वाला पासा

ऐसे में पाकिस्तान की यह कोशिश उलटी भी पड़ सकती है. रूस ऐतिहासिक रूप से भारत का रणनीतिक साझेदार रहा है और दोनों देशों के बीच सैन्य, ऊर्जा और अंतरिक्ष क्षेत्रों में गहरे रिश्ते हैं. यदि पाकिस्तान की चिठ्ठी में भारत विरोधी कोई संकेत हुआ या भारत-पाक तनाव पर एकतरफा रुख दिखा, तो रूस का रुख और कड़ा हो सकता है. इससे पाकिस्तान के अंतरराष्ट्रीय रिश्तों को और नुकसान हो सकता है.

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रूसी विदेश मंत्रालय ने किया स्पष्ट

रूसी विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच आपसी विश्वास बहाल करने के लिए सीधी बातचीत जरूरी है. लावरोव के इस बयान से साफ है कि रूस किसी एक पक्ष के साथ नहीं खड़ा होगा, बल्कि वह संतुलन बनाए रखने की कोशिश करेगा. ऐसे में पाकिस्तान की तरफ से की गई ये पहल अपने मकसद से भटक भी सकती है.

पाकिस्तान हाल ही में भारत के साथ पहलगाम आतंकी हमले के बाद उत्पन्न सैन्य तनाव को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उजागर करने की कोशिश कर रहा है. लेकिन रूस जैसे देश, जो आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख रखते हैं, पाकिस्तान के लिए सहानुभूति जुटाने की जगह और सवाल खड़े कर सकते हैं. ऐसे में शहबाज की चिठ्ठी मदद से ज्यादा जोखिम का कारण बन सकती है.

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