
कोरोना टेस्टिंग
देश में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. सरकार के जारी किए आंकड़ों के मुताबिक कोरोना के मामलों की संख्या एक हजार से ज्यादा हो चुकी है. केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में कोरोना के मामले सबसे ज्यादा हैं. अमेरिका से लेकर जापान तक और स्पेन से लेकर फ्रांस तक कोरोना का नया वैरियंट अपना असर दिखा रहा है. ऐसे में सवाल है कि क्या कोरोना का नया वैरिएंट भारत में भी कोई गंभीर असर दिखा सकता है और क्या वैक्सीन इस खतरे को रोकने में नाकाम है? आइए जानते हैं ऐसे ही कई अन्य सवालों के जवाब.
पहला और सबसे जरूरी सवाल ये है कि क्या कोरोना की नई लहर से कोई गंभीर खतरा है? हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, 2022 के बाद कई बार कोरोना के मामले बढ़े हैं लेकिन 3 वर्षों में कभी कोई गंभीर स्थिति नहीं पैदा हुई. इसलिए इस बार भी ज़्यादा बड़े खतरे का अंदेशा नहीं है. हांलाकि कोरोना वाला ये खतरा कितने दिन रहेगा इसको लेकर एक्सपर्ट की अलग अलग राय है. अभी इसका सटीक अंदाजा लगा पाना मुश्किल है.
4 हफ्ते तक रह सकता है असर
कुछ एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि इसका असर 4 हफ्ते तक रह सकता है. इस दौरान वो लोग भी संक्रमित हो सकते हैं, जिन्होंने वैक्सीन की डोज ली है क्योंकि वैक्सीन संक्रमण को पूरी तरह नहीं रोकती, बल्कि वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी मजबूत करती है, जिससे वायरस का जानलेवा खतरा कम हो जाता है. भारत में अभी तक सामने आए कोरोना के ज्यादातर मामले ओमिक्रॉन JN.1 वैरिएंट से संबंधित हैं.
एक्सपर्ट के मुताबिक, भारतीय वैक्सीन में ओमिक्रॉन वैरिएंट से लड़ने की क्षमता है. अभी कोरोना वायरस के कई सब वैरिएंट भी एक्टिव हैं. इसलिए वैरिएंट के हिसाब से कोई अलग वैक्सीन नहीं है. वायरस वक्त-वक्त पर म्यूटेट होकर वैरिएंट बदलता है. ऐसे में अलग-अलग वैक्सीन बनाना फिलहाल संभव भी नहीं है. कोरोना कि किसी लहर में खतरा कितना ज्यादा होगा, इसका अंदाजा वायरस के वैरिएंट से ही लगाया जाता है.
ओमिक्रॉन का एक स्ट्रेन है
फिलहाल जो JN.1 वैरिएंट सबसे ज्यादा एक्टिव है वो ओमिक्रॉन का एक स्ट्रेन है, जिसकी जानकारी सबसे पहले अगस्त 2023 में हुई थी. इसमें करीब 30 म्यूटेशन्स हैं, जो इम्यूनिटी कमजोर करते हैं. ये वायरस ज्यादा तेजी से फैलता है लेकिन यह बहुत गंभीर नहीं है. दुनिया के कई हिस्सों में यह सबसे आम वैरिएंट बना हुआ है. इसलिए एक्सपर्ट्स की यही सलाह है कि कोरोना से डरने की नहीं बस सचेत रहने की जरूरत है.
JN.1, ओमिक्रॉन के BA2.86 का एक स्ट्रेन है. इसे अगस्त 2023 में पहली बार देखा गया था. दिसंबर 2023 में WHO ने इसे ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ घोषित किया. इसमें करीब 30 म्यूटेशन्स हैं, जो इम्यूनिटी कमजोर करते हैं. अमेरिका के जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के अनुसार, JN.1 अन्य वैरिएंट की तुलना में ज्यादा आसानी से फैलता है लेकिन यह बहुत गंभीर नहीं है. दुनिया के कई हिस्सों में यह सबसे आम वैरिएंट बना हुआ है.
JN.1 वैरिएंट के लक्षण कुछ दिनों से लेकर हफ्तों तक रह सकते हैं. अगर आपके लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं तो हो सकता है कि आपको लंबे समय तक रहने वाला कोविड हो. यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें COVID-19 के कुछ लक्षण ठीक होने के बाद भी बने रहते हैं.
IIT कानपुर और BHU के प्रोफेसर का क्या कहना है?
उधर, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) कानपुर के डायरेक्टर प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने बताया कि 2022 के बाद नए वैरिएंट की वजह से कोविड पेशेंट कई बार बढ़े हैं, लेकिन कोई गंभीर स्थिति नहीं देखी गई. मेरा अंदाजा है कि इस बार भी बहुत परेशान होने की जरूरत नहीं हैं.
वहीं, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे के मुताबिक, कोविड की चौथी लहर आती है तो उसका असर 21 से 28 दिन तक रहेगा. यह दूसरी लहर की तरह जानलेवा नहीं होगी.
ब्यूरो रिपोर्ट टीवी9 भारतवर्ष.
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