
वक्फ पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
सुप्रीम कोर्ट ने आज लगातार तीसरे दिन की सुनवाई के बाद वक्फ संशोधन कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया. आज की सुनवाई का अधिकतर हिस्सा सरकार की तरफ से दलील रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलील सुनने में गया. आप जानते हैं कि वक्फ संशोधन कानून ने वक्फ संपत्तियों को मैनेज करने से लेकर उसकी परिभाषा में बड़ा बदलाव किया है.
दर्जनों याचिकाओं में नए कानून को चुनौती दी गई है. हालांकि, अदालत केवल पांच याचिकाओं को ही आधार बनाकर सुनवाई कर रही है. आज की सुनवाई के दौरान जहां तुषार मेहता ने वक्फ संपत्तियों के बेजा इस्तेमाल पर लगाम लगाने की बात कहते हुए कानून का बचाव किया तो याचिकाकर्ताओं ने इस कानून को ही असंवैधानिक बताया.
जन्नत, मोक्ष का आया जिक्र
चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की पीठ मामले को सुन रही है. सुनवाई के दौरान आज स्वर्ग-नर्क की बातचीत भी छिड़ गई. कपिल सिब्बल ने कहा कि वक्फ अल्लाह के नाम कर दी गई संपत्ति होती है. इस पर सीजेआई ने कहा कि हां, तो दूसरे धर्मों में भी इस तरह के दान की व्यवस्था है न?
सिब्बल ने जवाब दिया कि दूसरे समुदायों में जरूर दान की व्यवस्था है पर वक्फ अल्लाह के नाम पूरा समर्पण है. जिसे दोबारा छीना नहीं जा सकता. इसके आगे सिब्बल यह भी कहते-कहते रह गए कि इस्लाम में ऐसा (जन्नत) की प्राप्ति के लिए करते हैं. इस पर सीजेआई ने कहा कि जिस तरह से हिंदूओं में मोक्ष की बात होती है. कपिल सिब्बल ने इसका जवाब हां में दिया.
इसी पर जस्टिस मसीह ने कहा कि हम सभी स्वर्ग जाने की कोशिश में लगे हुए हैं. इसी पर वरिष्ठ वकील और याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश हो रहे राजीव धवन ने कहा कि वक्फ न सिर्फ दान का एक तरीका है बल्कि ये इस्लाम के पांच मजबूत स्तंभों में से एक है. इस पर जस्टिस गवई ने हंसते हुए कहा कि हर कोई जन्नत जाना चाहता है, भले वो हकीकत में हो भी या न हो.
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