
असीम मुनीर.
पाकिस्तान में तख्तापलट के सायरन बजने लगे हैं. आतंकियों को पालने वाले इस देश में पिछले 24 घंटों से तख्तापलट की चर्चाएं ट्रेंड कर रही हैं. वहां सत्ता और सेना विरोधी लहर दिखाई दे रही है. जब-जब पाकिस्तान में आर्मी जनरल की ताकत बढ़ाई गई है, तब-तब पाकिस्तान के सामने मुश्किलें बढ़ी हैं और तख्तापलट हुआ है. एक दिन पहले ही एक हारे हुए जनरल को प्रमोशन मिला. उसके बाद सिंध से लेकर बलूचिस्तान तक आग ही आग दिखाई दी. आसिम मुनीर भले ही फील्ड मार्शल बन गए हों लेकिन पाकिस्तान इस समय उनके लिए Mine Field बना हुआ है.
ये वही आसिम मुनीर हैं, जो भारत के हमलों से डरकर बंकर में छिप गए थे. कायदे से तो आसिम मुनीर को बुजदिली के लिए Failed मार्शल कहा जाना चाहिए लेकिन ये पाकिस्तान की जनता का भी दुर्भाग्य है कि उनकी सरकार सत्ता बचाए रखने के लिए एक ऐसे जनरल को प्रमोट कर रही है जो मुल्क की बर्बादी का जिम्मेदार है. कल तक आसिम मुनीर सिर्फ़ 4 स्टार जनरल थे लेकिन अब फील्ड मार्शल बनने के बाद आसिम मुनीर को 5 स्टार जनरल के तौर पर याद किया जाएगा.
आर्मी, नेवी और एयरफोर्स से ऊपर फील्ड मार्शल
पाकिस्तान में फील्ड मार्शल का पद आर्मी, नेवी और एयरफोर्स से ऊपर होता है. सवाल ये है कि आखिर आसिम मुनीर ने ऐसा क्या किया कि उन्हें प्रमोट कर दिया गया क्योंकि इससे पहले पाकिस्तान में जनरल अयूब ख़ान को ही फील्ड मार्शल बनाया गया है. सवाल ये भी उठ रहे हैं कि क्या आसिम मुनीर पाकिस्तान के दूसरे अयूब ख़ान बनना चाहते हैं क्योंकि 1959 और 2025 में ज्यादा अंतर नहीं है.
1958 में तख्तापलट करने के अगले वर्ष 1959 में अयूब खान पाकिस्तान के पहले फील्ड मार्शल बन गए थे. इसके बाद 2025 में आसिम मुनीर को पाकिस्तान का दूसरा फील्ड मार्शल बनाया गया है. 1965 में अयूब ख़ान फील्ड मार्शल के तौर पर भारत से युद्ध में हार गए थे. जबकि इस बार ऑपरेशन सिंदूर में आसिम मुनीर के आर्मी चीफ रहते हुए पाकिस्तान की पिटाई हुई है. 1965 के युद्ध में फील्ड मार्शल अयूब खान ने पाकिस्तान की जीत का ढोंग रचा था. कई बड़े झूठे दावे किए थे. इस बार भी ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान जीत के झूठे दावे कर रहा है.
अयूब खान 1959 के बाद मरते दम तक फील्ड मार्शल रहे
अयूब खान 1959 के बाद मरते दम तक फील्ड मार्शल रहे. जबकि आसिम मुनीर भी मरते दम तक फील्ड मार्शल ही रहेंगे. मुनीर को फील्ड मार्शल बनाए जाने के बाद पाकिस्तान में लोग इस प्रमोशन पर सवाल उठाने लगे हैं. मुनीर 8 महीने तक ISI चीफ भी रहे थे, जो कि अब तक का सबसे छोटा कार्यकाल है. आमतौर पर पाकिस्तान में ISI चीफ को आर्मी चीफ नहीं बनाया जाता है और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान मुनीर को पसंद भी नहीं करते थे लेकिन किस तरह अपने प्रतिद्वंद्वियों को ओवरटेक कर आसिम मुनीर ने बड़े पद हथियाए हैं. ये भी समझ लीजिए.
2022 में आर्मी चीफ के पद के लिए आसिम मुनीर के साथ 6 संभावित दावेदार थे. इसमें लेफ्टिनेंट जनरल अज़हर अब्बास, लेफ्टिनेंट जनरल साहिर शमशाद मिर्जा, लेफ्टिनेंट जनरल नौमान, लेफ्टिनेंट जनरल फैज़ हामिद और लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद आमिर. कहा जाता है कि मुनीर ने इन सबको किनारे लगाकर प्रमोशन ले लिया. पहले वो आर्मी चीफ बन गए. अब फील्ड मार्शल बनाए गए हैं.
तमाम लोगों की हत्या के आरोपी मुनीर को प्रमोशन क्यों?
मुनीर ने अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए खुफिया नेटवर्क का उपयोग किया. ISI प्रमुख के रूप में उनके अनुभव ने उन्हें सैन्य और राजनीतिक गलियारों में महत्वपूर्ण जानकारियां और ज़रूरी प्रभाव दिया. शहबाज शरीफ और PML-N के साथ उनकी निकटता ने उन्हें इमरान खान के प्रभाव को कम करने में मदद की. मुनीर ने अपनी छवि को एक मजबूत, कट्टर इस्लामी लीडर के रूप में प्रोजेक्ट किया, जो पाकिस्तान की जनता और सेना के एक बड़े वर्ग में लोकप्रिय है. जनरल बाजवा जैसे वरिष्ठ नेताओं और सेना के भीतर अपने नेटवर्क का उपयोग करके उन्होंने अन्य दावेदारों को पीछे छोड़ दिया.
फिलहाल पाकिस्तान में भी मुनीर को फील्ड मार्शल बनाए जाने का विरोध भी हो रहा है. पाकिस्तान के कई पत्रकार ये सवाल उठा रहे हैं कि तमाम लोगों की हत्या के आरोपी आसिम मुनीर को आखिर प्रमोशन क्यों दिया गया? क्या ये प्रमोशन तख्तापलट का रास्ता आसान करने का एक तरीका है. वैसे भी पाकिस्तान के संदर्भ में सैन्य तख्तापलट कोई अनोखी घटना नहीं मानी जाती. पाकिस्तान में तख्तापलट का इतिहास बहुत पुराना रहा है.
जिया उल हक ने पाकिस्तान में लोकतंत्र नहीं आने दिया
1954 में पाकिस्तान में पहली बार तख्तापलट हुआ. जनरल गुलाम मोहम्मद ने प्रधानमंत्री ख्वाजा नजीमुद्दीन को सत्ता से हटा दिया. इसके बाद 1958 में पीएम फिरोज खान नून का तख्तापलट कर जनरल अयूब खान ने संभाली सत्ता संभाली और कई साल तक पाकिस्तान की सत्ता में रहे. इसके बाद 1977 में जनरल जिया उल हक पीएम जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार को सत्ता से हटाकर खुद राष्ट्रपति बन गए. अगले एक दशक तक जनरल जिया उल हक ने पाकिस्तान में लोकतंत्र नहीं आने दिया.
1999 में जनरल परवेज मुशर्रफ नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री के पद से हटाकर खुद राष्ट्रपति बन गए. ऐसे में क्या अब अगला नंबर शहबाज शरीफ सरकार का हो सकता है और क्या अब आसिम मुनीर भी तख्तापलट की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं. इस समय तख्तापलट के डर से शहबाज शरीफ आसिम मुनीर के सामने नतमसतक हैं.
यानी जो भी मुनीर कह रहे हैं शहबाज शरीफ ठीक वैसा ही कर रहे हैं. यानी ये कहा जा सकता है आसिम मुनीर ने अपने आप को ही प्रमोट कर लिया. मुनीर अब प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से भी ज्यादा ताकतवर हैं. जिसका सीधा मतलब है कि अब पाकिस्तान की सत्ता अब मुनीर ही चलाएंगे. जब भी उन्हें सही मौका मिलेगा वो शहबाज सरकार का तख्तापलट कर सकते हैं. वो सीधे तौर पर सत्ता पर काबिज हो सकते हैं.
ब्यूरो रिपोर्ट टीवी9 भारतवर्ष.
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