
अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और अवध ओझा
दिल्ली की सत्ता से बेदखल होने के करीब 100 दिन बाद आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल फिर से अपनी सक्रियता बढ़ा दी है. दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में मंगलवार को आम आदमी पार्टी के छात्र संगठन ‘एसोसिएशन ऑफ स्टूडेंट्स फॉर अल्टरनेटिव पॉलिटिक्स’ (एएसएपी) को री-लॉन्च किया. केजरीवाल ने यह फैसला ऐसे समय लिया है, जब आम आदमी पार्टी को एक के बाद एक सियासी झटका लग रहा. ऐसे में AAP ने अपने सबसे बड़े चेहरे अरविंद केजरीवाल को दिल्ली की सियासत में उतारकर अपने खिसकते हुए जनाधार को रोकने का दांव चला है.
आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल और पार्टी में नंबर दो की हैसियत रखने वाले मनीष सिसोदिया विधानसभा चुनाव में हारने के बाद से दिल्ली से दूरी बना ली थी. इन दोनों ही नेताओं ने खुद को पंजाब में सक्रिय कर लिया था और आतिशी के भरोसे दिल्ली को छोड़ रखा था. इसके चलते आम आदमी पार्टी में बिखराव शुरू हो गया और एक के बाद एक सियासी झटके लगने लगे. ऐसे में केजरीवाल ने फिर से दिल्ली की सियासत में यूथ विंग के जरिए पार्टी को दोबारा से उभारने की स्ट्रैटेजी के साथ उतरे हैं?
यूथ के सहारे दोबारा से उभरने का प्लान
दिल्ली की सत्ता गंवाने के बाद अरविंद केजरीवाल अपने खिसके हुए जनाधार को दोबारा से जोड़ने की कवायद शुरू कर दी है. मंगलवार को दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में केजरीवाल ने पार्टी के छात्र संगठन को री-लॉन्च किया. इस छात्र संगठन का नया नाम एसोसिएशन ऑफ स्टूडेंट्स फॉर अल्टरनेटिव पॉलिटिक्स (ASAP) रखा है. इससे पहले आम आदमी पार्टी ने छात्र युवा संघर्ष समिति (CYSS) के नाम से अपना एक छात्र संगठन शुरू किया था. इस संगठन ने डीयू में छात्रसंघ का चुनाव भी लड़ा था, लेकिन अब इसे बदलकर ASAP रखा है.
ASAP को परिवर्तन का आंदोलन बताते हुए अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इसका संगठन करा उद्देश्य युवाओं को वैकल्पिक राजनीतिक रास्ता दिखाना है, जो पारंपरिक दलीय राजनीति की जगह शासन, शिक्षा और विकास पर केंद्रित हो. केजरीवाल ने कहा कि ASAP के जरिए हम एक ऐसी युवा पीढ़ी तैयार करेंगे, जो राजनीति की परिभाषा बदलकर देश के लिए काम करेगी. युवाओं की ऊर्जा अब बदलाव की राजनीति में लगेगी.
युवाओं को जोड़ने का केजरीवाल प्लान
आम आदमी पार्टी के साथ युवाओं को जोड़ने की स्ट्रेटेजी अरविंद केजरीवाल ने बनाई है. केजरीवाल के एएसएपी का गठन को सीधे तौर पर यूथ विंग के जरिए अपना आधार बढ़ाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. आम आदमी पार्टी अपने इस संगठन को देशभर के 50 हजार कॉलेजों में 5 लाख देशभक्त युवाओं को तैयार करके एक नए वैकल्पिक राजनीति की आधारशिला रखा है. इसके अलावा दिल्ली विश्वविद्यालय का छात्र संघ चुनाव लड़ने का प्लान बनाया है.
अरविंद केजरीवाल ने साफ तौर पर कहा कि चुनाव लड़ना ही स्टूडेंट राजनीति नहीं है, यह सिर्फ उसका एक हिस्सा है. ये ASAP देश के स्कूल-कॉलेजों में सोशल और कल्चरल ग्रुप बनाएगा, जहां छात्र विचार और रचनात्मकता के जरिए जुड़ेंगे. एक सोशल विंग भी होगी, जो छात्रों की सामाजिक कार्यों में अपनी भागीदारी बढ़ाएगी. इतना ही नहीं पार्टी के युवा लीडर भी इस संगठन की सक्रियता को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाएंगे. इस तरह युवाओं को जोड़ने का प्लान बनाया है और दिल्ली की सियासत में दोबारा से एक्टिव होने की स्ट्रैटेजी मानी जा रही है.
सिसोदिया ने भी दिल्ली में भरी हुंकार
दिल्ली के पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को 10वीं और 12वीं की परीक्षा के टॉपर्स से मुलाकात की. यह सभी छात्र दिल्ली सरकार के स्कूल से हैं. मुलाकात के दौरान सिसोदिया ने बोर्ड परीक्षाओं में शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें शुभकामनाएं दीं. इसके साथ ही बीजेपी सरकार पर जमकर हमला बोला है.सिसोदिया, रेखा गुप्ता सरकार पर बेरुखी का आरोप लगाकर बीजेपी को कठघरे में खड़े करते नजर आए.
सिसोदिया ने कहा कि CBSE रिज़ल्ट आए 8 दिन हो गए, लेकिन अफसोस दिल्ली की मुख्यमंत्री ने अब तक अपने ही सरकारी स्कूलों के टॉपर्स को बधाई देना जरूरी नहीं समझा. इतनी बेरुखी? इतनी बेपरवाही? साथ ही कहा कि बच्चों ने साल भर मेहनत की, परिवारों ने सपने संजोए और मुख्यमंत्री साहिबा को इतनी भी फुर्सत नहीं कि एक फोन कर दें? इतना ही नहीं — दिल्ली सरकार ने अब तक पास प्रतिशत और टॉपर्स के नाम तक घोषित नहीं किए.
दिल्ली की सियासत में केजरीवाल की वापसी
दिल्ली विधानसभा चुनाव हारने के बाद से अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने खुद को पूरी तरह से दिल्ली की सियासत से अलग कर लिया था. दिल्ली की सत्ता ही नहीं केजरीवाल ने नहीं गंवाई बल्कि, अपनी नई दिल्ली सीट भी हार गए थे. सिसोदिया भी सीट बदलने के बाद भी चुनाव नहीं जीत सके. केजरीवाल और सिसोदिया के लिए यह बड़ा सियासी झटका था.
विधानसभा चुनाव हारने और सत्ता गंवाने के बाद आम आदमी पार्टी से दिल्ली एमसीडी में मेयर और डिप्टी मेयर का पद भी बीजेपी ने छीन लिया था. इसके अलावा आम आदमी पार्टी के 15 पार्षदों ने इस्तीफा देकर नई पार्टी बनाने की घोषणा कर दी. बीजेपी की सत्ता में आने के बाद से लगातार आम आदमी पार्टी का सियासी ग्राफ कमजोर होता जा रहा था और नेताओं को मोहभंग हो रहा है.
विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद से ही अरविंद केजरीवाल की दिल्ली में सक्रियता काफी कम हो गई थी, जिसको लेकर कई सवाल भी उठ रहे थे. इसके अलावा एक के बाद एक झटके भी आम आदमी पार्टी को लगते जा रहे हैं. ऐसे में केजरीवाल ने मंगलवार को जिस तरह से छात्र संगठन की री-लॉन्चिंग के साथ युवाओं को जरिए एक बार फिर नए वैकल्पिक सियासी राह दिखाने की बात कही है, उससे साफ है कि अरविंद केजरीवाल भी दिल्ली में दोबारा एक्टिव हो गए हैं.
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