
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप
अमेरिका के पूर्व एफबीआई निदेशक जेम्स कोमी एक इंस्टाग्राम पोस्ट को लेकर विवादों में घिर गए हैं. इस पोस्ट में उन्होंने समंदर किनारे पड़ी कुछ सीपियों की तस्वीर साझा की थी, जो ‘8647’ अंक का आकार बना रही थीं. पोस्ट का कैप्शन था “मेरी बीच वॉक पर मिले शानदार शेल्स”. लेकिन ट्रंप समर्थकों ने इसे खतरे की घंटी समझा.
दरअसल, अमेरिका में ’86’ का मतलब होता है किसी को ‘हटा देना’ या ‘मार देना’, वहीं ’47’ को ट्रंप के प्रतीक के तौर पर देखा गया, जो अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति हैं. ऐसे में ‘8647’ को ट्रंप समर्थकों ने ट्रंप को खत्म कर दो जैसा गुप्त संदेश मान लिया. हालांकि भारी विरोध के बाद कोमी ने यह पोस्ट डिलीट कर दी और सफाई दी कि उनका ऐसा कोई इरादा नहीं था और उन्हें नहीं लगा था कि इसे इस तरह से भी पढ़ा जा सकता है.
ट्रंप पर पहले भी हो चुकी हैं हमले की कोशिशें
गौरतलब है कि यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब जुलाई 2024 में ट्रंप पर एक रैली के दौरान जानलेवा हमला हो चुका है. पेंसिलवेनिया में हुई इस रैली में एक बंदूकधारी ने गोली चलाई थी, जिसमें ट्रंप के कान पर गहरी चोट आई थी. इसके बाद सितंबर में भी एक व्यक्ति को वेस्ट पाम बीच गोल्फ क्लब में ट्रंप पर बंदूक तानने के आरोप में गिरफ्तार किया गया.
ईरानी साजिश का खुलासा, अफगान नागरिक पर मुकदमा
सितंबर 2024 में अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट ने ईरान लिंक वाली एक साजिश का भंडाफोड़ किया था. अफगानी नागरिक फरहाद शाकेरी पर आरोप लगा कि वह ईरान की रिवोल्यूशनरी गार्ड का एजेंट है. उसका मिशन ट्रंप और कुछ अन्य हाई-प्रोफाइल टारगेट्स को खत्म करना है.
आरोप था कि ईरान की रिवोल्यूशनरी गार्ड ने शाकेरी को सितंबर 2024 में यह जिम्मेदारी दी थी कि वह ट्रंप की जासूसी करे और हत्या की योजना बनाए. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी अटॉर्नी जनरल मेरिक गारलैंड ने कहा कि शाकेरी ईरान का एजेंट है जिसे ट्रंप समेत कई लोगों की हत्या की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.
सिर्फ ट्रंप नहीं, कई और निशाने पर
ट्रंप के अलावा इस साजिश में एक अमेरिकी पत्रकार, दो यहूदी बिजनेसमैन और यहां तक कि श्रीलंका में इजरायली पर्यटकों को भी निशाना बनाने की योजना थी. न्याय विभाग के मुताबिक, शाकेरी ने अमेरिका में रहते हुए दो अन्य लोगों कार्लाइल रिवेरा उर्फ पॉप और जोनाथन लोडहोल्ट को हत्या की सुपारी दी थी. इन दोनों को अब गिरफ्तार कर लिया गया था.
आरोप था कि इनसे एक पत्रकार की हत्या की कोशिश करवाई जा रही थी, जिन्होंने ईरानी सरकार की आलोचना की थी. ईरान ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया था. ईरानी विदेश मंत्रालय ने कहा था कि अमेरिका बार-बार ऐसे “बेसिर पैर के आरोप” लगाता रहा है, जो झूठे साबित हुए हैं. मंत्रालय ने कहा था कि ऐसे बयान दो देशों के रिश्तों को और खराब कर सकते हैं.
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