
आईजोल के लिए नई रेल कनेक्टिविटी
नार्थ ईस्ट में रेलवे कनेक्टिविटी को नई रफ्तार मिली है. इसके तहत मिजोरम की राजधानी आईजोल तक नया रेलवे ट्रैक बनकर तैयार हो गया है. अगले महीने इस ट्रैक को आधिकारिक तौर पर देश को समर्पित किया जाएगा. TV9 भारतवर्ष से खास बातचीत में रेलवे के प्रवक्ता दिलीप कुमार ने बताया कि आइजोल नार्थ ईस्ट का चौथा ऐसा राज्य होगा जो रेल कनेक्टिविटी से पूरी तरह से जुड़ जाएगा. इसके साथ ही दिल्ली से आईजोल तक सीधे ट्रेन से जाया जा सकता है.
दिलीप कुमार ने बताया कि इस ट्रैक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि विपरीत भौगोलिक वातारवण में इसे तैयार किया गया है. इसमें कई जगहों पर पुल और टनल का निर्माण किया गया है.
पूरा किया गया ट्रायल रन
दिलीप कुमार ने कहा कि भैरवी से सैरांग तक नई लाइन पर रेलवे ने ट्रायल रन का काम पूरा कर लिया है. सैरांग से आईजोल तक रेलवे ट्रैक पर सफल ट्रायल रन के बाद अब आने वाले दिनों में पैसेंजर ट्रेनों का भी परिचालन शुरू होने वाला है. उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में रेल संपर्क के मजबूत करने में एक यह ऐतिहासिक उपलब्धि है.
कुछ औपचारिकताएं हैं बाकी
दिलीप कुमार ने कहा कि रेलवे सुरक्षा आयुक्त की ओर से जून में इसका निरीक्षण किया जाएगा. अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक, 17 जून को यह निरीक्षण होने की संभावना है. इस योजना के चार खंड हैं जिसमें भैरवी-होरटोकी 16.72 किलोमीटर, होरटोकी से कावनपुई 9.71 किलोमीटर, कावनपुई से मुआलखांग 12.11 किलोमीटर और मुआलखांग से सैरांग तक 12.84 किलोमीटर है.
परियोजना की कुल लंबाई 51.38 किलोमीटर है, जिसकी लागत 5021.45 करोड़ है. अबतक 97 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है. इंजीनियरिंग का बेहतरीन नमूना है. इस पूरे प्रोजेक्ट पर 48 सुरंग, 55 प्रमुख पुल, 87 छोटे पुल, 5 सड़क ओवर ब्रिज, 6 सड़क अंडर ब्रिज हैं. इसी ट्रैक पर पुल संख्या 196 की ऊंचाई 104 मीटर (कुतुब मीनार से 42 मीटर अधिक) है.
क्या है इसका सामरिक महत्व?
इस इलाके से दो अंतरराष्ट्रीय सीमा लगती हैं, जिसमें एक बर्मा और दूसरा बंग्लादेश है. इस ट्रैक के पूरा होने से सामरिक दृष्टि से एक छोर से दूसरे छोर तक जाने में आसानी होगी.
रेल मंत्रालय ने सिक्किम राज्य में मेली से डेंटम तक जोरेथांग और लेगशिप के माध्यम से एक नई रेलवे लाइन के लिए अंतिम स्थान सर्वेक्षण (एफएलएस) आयोजित करने की मंजूरी दे दी है. स्वीकृत सर्वेक्षण, जिसे पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) द्वारा निष्पादित किया जाएगा, को लगभग 2.25 करोड़ रुपए की लागत से मंजूरी दी गई है. यह कदम सिक्किम के दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्रों में रेल संपर्क का विस्तार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है.
प्रस्तावित मार्ग का उद्देश्य महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की खाई को पाटना है, जो चिवाभंज्यांग में भारत-नेपाल सीमा के पास स्थित डेंटम जैसे दूरदराज के शहरों को राष्ट्रीय रेलवे नेटवर्क से जोड़ता है. सर्वेक्षण का निर्देश रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दिया है, जैसा कि प्रस्तावित है और सिक्किम से सांसद (लोकसभा)इंद्र हंग सुब्बा द्वारा प्रस्तुत मांग की पूर्ति है. प्रारंभिक व्यवहार्यता सर्वेक्षण के दौरान अनुमानित 75 किलोमीटर की लंबाई वाली नई लाइन को निर्माणाधीन सिवोक-रंगपो रेलवे लाइन के रणनीतिक विस्तार के रूप में देखा जा रहा है, जिसके 2027 तक चालू होने की उम्मीद है.
दक्षिणी और पश्चिमी सिक्किम के लिए एंट्री पॉइंट
दक्षिणी और पश्चिमी सिक्किम के लिए एक प्रमुख प्रवेश बिंदु, मेली, प्रस्तावित विस्तार के लिए एक जंक्शन के रूप में काम करेगा, जिससे इस क्षेत्र का राष्ट्रीय परिवहन प्रणाली में निर्बाध एकीकरण सुनिश्चित होगा. FLS (अंतिम स्थान सर्वेक्षण) परियोजना के लिए अंतिम संरेखण, इंजीनियरिंग डिजाइन और लागत अनुमान को निर्देशित करने के लिए आवश्यक विस्तृत तकनीकी और व्यवहार्यता जानकारी प्रदान करेगा.
इस नई कनेक्टिविटी परियोजना से क्षेत्र में आर्थिक विकास के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करने की उम्मीद है, विशेष रूप से ग्यालशिंग और आसपास के क्षेत्रों में, पहुंच बढ़ाकर, पर्यटन को बढ़ावा देकर, व्यापार को बढ़ावा देकर और रोजगार के अवसर पैदा करके. एक बार पूरा हो जाने पर, यह रेलवे लिंक कनेक्टिविटी में काफी सुधार करेगा, जिससे माल और लोगों की आवाजाही आसान हो जाएगी. पश्चिम सिक्किम के लोगों के लिए एक परिवर्तनकारी जीवन रेखा के रूप में काम करेगी. सर्वेक्षण के निष्पादन से संबंधित कार्य निविदाएं जल्द ही जारी होने की उम्मीद है.
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