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क्या आप जानते हैं प्रीबायोटिक्स और प्रोबायोटिक्स के बीच का अंतर? जानें दोनों क्यों हैं जरूरी

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क्या आप जानते हैं प्रीबायोटिक्स और प्रोबायोटिक्स के बीच का अंतर? जानें दोनों क्यों हैं जरूरी

Difference Between Probiotics, PrebioticsImage Credit source: Unsplash

प्रीबायोटिक्स और प्रोबायोटिक्स के बीच का अंतर समझना गट हेल्थ के लिए बहुत जरूरी है. प्रोबायोटिक्स असल में अच्छे बैक्टीरिया होते हैं जो पाचन तंत्र में पाए जाते हैं और डाइजेशन को बेहतर बनाते हैं. ये बैक्टीरिया शरीर में पहले से मौजूद होते हैं, लेकिन इन्हें दही, छाछ, केफिर जैसे फर्मेंटेड फूड्स के ज़रिए भी बढ़ाया जा सकता है. प्रोबायोटिक्स इम्यून सिस्टम को सपोर्ट करते हैं और पेट से जुड़ी कई दिक्कतों को कंट्रोल करने में मददगार साबित होते हैं.

वहीं दूसरी तरफ, प्रीबायोटिक्स वो फाइबर होते हैं जो हमारे शरीर के लिए नहीं, बल्कि प्रोबायोटिक्स यानी अच्छे बैक्टीरिया के लिए खाने का काम करते हैं. ये फाइबर आंतों में जाकर उन अच्छे बैक्टीरिया की ग्रोथ को बढ़ाते हैं. प्रीबायोटिक्स ज्यादातर फलों, सब्जियों और साबुत अनाजों में मिलते हैं जैसे कि केला, लहसुन, प्याज और ओट्स. यानी एक हेल्दी gut के लिए दोनों प्रीबायोटिक्स और प्रोबायोटिक्स का साथ में होना ज़रूरी है.

प्रीबायोटिक्स क्या होते हैं?

प्रीबायोटिक्स ऐसे नॉन-डाइजेस्टिबल फूड कॉम्पोनेंट्स होते हैं जो हमारी बॉडी खुद पचा नहीं पाती, लेकिन ये हमारे गट (आंतों) में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया के लिए फूड का काम करते हैं. इन्हें खाने से गट माइक्रोबायोटा को एनर्जी मिलती है, जिससे ये हेल्दी तरीके से ग्रो कर पाते हैं. आमतौर पर ये फाइबर जैसे इन्यूलिन, फ्रुक्टूलिगोसेकेराइड्स आदि होते हैं, जो प्याज, लहसुन, केला, ओट्स, और हरे पत्तेदार सब्जियों में पाए जाते हैं.

प्रोबायोटिक्स क्या होते हैं?

प्रोबायोटिक्स असल में लाइव बैक्टीरिया होते हैं जो अगर सही मात्रा में लिए जाएं, तो ये हमारे शरीर को हेल्थ बेनिफिट्स देते हैं. ये बैक्टीरिया हमारी आंतों में जाकर वहां के नेचुरल बैलेंस को बनाए रखते हैं. जब हमारा गट बैलेंस बिगड़ता है—जैसे कि एंटीबायोटिक लेने के बाद—तब प्रोबायोटिक्स उसे रिस्टोर करने में मदद करते हैं. ये दही, छाछ, किमची, केफिर, अचार और कुछ सप्लीमेंट में मिलते हैं.

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दोनों में फर्क क्या है?

प्रीबायोटिक्स और प्रोबायोटिक्स दोनों हमारे पाचन तंत्र के लिए ज़रूरी हैं, लेकिन इनका रोल अलग-अलग होता है. प्रीबायोटिक्स बैक्टीरिया का खाना होते हैं, जबकि प्रोबायोटिक्स खुद बैक्टीरिया होते हैं. एक तरह से आप मान सकते हैं कि प्रीबायोटिक्स खाद हैं और प्रोबायोटिक्स पौधे. दोनों साथ मिलकर गट हेल्थ को बेहतर बनाते हैं.

क्यों ज़रूरी हैं ये दोनों?

एक हेल्दी गट सिर्फ पाचन ही नहीं, बल्कि इम्यून सिस्टम, मूड और मेटाबॉलिज्म को भी कंट्रोल करता है. अगर गट में अच्छे बैक्टीरिया नहीं होंगे या उन्हें सही पोषण नहीं मिलेगा, तो इन्फ्लेमेशन, कब्ज, एसिडिटी और यहां तक कि डिप्रेशन जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं. इसलिए प्रीबायोटिक्स और प्रोबायोटिक्स दोनों का बैलेंस बना रहना ज़रूरी है.

कैसे लें इनका फायदा?

अपने डेली डाइट में प्रीबायोटिक और प्रोबायोटिक फूड्स को शामिल करना आसान और असरदार तरीका है. सुबह दही के साथ केला खाना एक बढ़िया कॉम्बिनेशन है. साथ ही, ओट्स, प्याज, लहसुन और फर्मेंटेड फूड्स को डाइट में शामिल करें. अगर आपकी डाइट में ये नहीं हो पा रहे हैं, तो डॉक्टर की सलाह से सप्लिमेंट्स भी लिए जा सकते हैं.

हर किसी का शरीर अलग होता है, इसलिए कुछ लोगों को फर्मेंटेड या फाइबर युक्त चीजें सूट नहीं करतीं. शुरुआत में थोड़ा गैस या ब्लोटिंग महसूस हो सकती है, लेकिन ये अक्सर कुछ समय बाद ठीक हो जाता है. अगर लक्षण बढ़ें तो डॉक्टर से ज़रूर सलाह लें.

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