गोविंद पटेल, कुशीनगर. केंद्र सरकार की गरीबों को रोजगार देने वाली मनरेगा योजना कुशीनगर के हाटा ब्लॉक में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है. ग्राम पंचायत स्तर पर मस्टरोल में रोजाना दर्जनों मजदूरों की हाजिरी दिखाई जा रही है, लेकिन मौके पर न तो कोई मजदूर दिखाई दे रहा है और न ही कोई कार्य होता नजर आ रहा है.
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कागजों में चल रही परियोजनाएं, धरातल पर सन्नाटा

बता दें कि ग्राम पंचायत मदरहा में दो योजनाएं दर्शाई गई है. मदरहा सीवान से परसहवा सीवान तक ड्रेन की खुदाई और रामनगीता के खेत से हदीश के खेत तक नाली की सफाई इन दोनों योजनाओं के तहत 11 मस्टरोल सेट जारी किए गए हैं. जिनमें कुल 99 मजदूरों की उपस्थिति दर्ज है. लेकिन जब टीम ने मौके का जायजा लिया तो वहां कोई मजदूर नहीं मिला और कार्यस्थल भी वीरान पाया गया. इतना ही नहीं परासखाड़ में भी दो परियोजनाओं में गड़बड़ी पाई गई है.
मिठाई लाल से सिंधु के खेत तक ड्रेन खुदाई
मिथिलेश के खेत से मगुरही सिवान तक नाले की खुदाई इन योजनाओं में 13 मस्टरोल सेट और कुल 118 मजदूरों की उपस्थिति मस्टरोल पर चढ़ाई गई है. जांच में पाया गया कि मस्टरोल पर अपलोड सभी मजदूरों की तस्वीरें एक जैसी हैं, जिससे फर्जीवाड़े की पुष्टि होती है.
सवालों के घेरे में तकनीकी सहायक की भूमिका
स्थानीय लोगों का आरोप है कि ब्लॉक स्तर पर तैनात तकनीकी सहायक (टीए) फर्जी एमबी बनाकर भुगतान की प्रक्रिया पूरी कर रहे हैं. ऐसे में विभागीय मिलीभगत से इन योजनाओं में सरकारी धन का बंदरबांट किया जा रहा है.
ग्रामीणों ने उठाई जांच की मांग
गांव के जागरुक लोगों ने पूरे मामले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है. अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन इस खेल का पर्दाफाश करेगा या फिर मनरेगा भी बाकी योजनाओं की तरह फाइलों में दफन होकर रह जाएगी?