
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान.
पंजाब और हरियाणा के बीच भाखड़ा बांध के पानी के बंटवारे चल रहे विवाद में अब बयानबाजी तेज हो चली है. पंजाब सरकार का साफ कहना है कि वो हरियाणा को पानी नहीं देंगे. मामला इतना तूल पकड़ चुका है कि अब पंजाब विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र बुलाया गया है. यह सत्र सोमवार सुबह 11 बजे शुरू होगा. इससे पहले मीडिया से बात करते हुए पंजाब के सीएम भगवंत मान ने साफ कर दिया कि वे पानी नहीं देंगे.
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हरियाणा के साथ जल बंटवारे के विवाद को खारिज करते हुए कहा है कि कोई विवाद नहीं है. उन्होंने दावा किया कि आंकड़े पंजाब के पक्ष में हैं और हरियाणा अपने हिस्से से ज़्यादा पानी मांग रहा है. उन्हें 20 प्रतिशत पानी देने की बात हुई थी, जिसे वो खर्च कर चुके हैं. अब उन्हें पानी नहीं दिया जाएगा.
#WATCH | Dharamshala, HP | On water sharing dispute with Haryana, Punjab CM Bhagwant Mann says, “There is no dispute regarding water. The data is in favour of Punjab. Haryana is asking for more than its share of water. The only logic they (Haryana) are giving is that earlier, pic.twitter.com/ezwPYiqNsW
— ANI (@ANI) May 5, 2025
सीएम मान ने कहा कि हरियाणा की तरफ से लगातार पानी मांगा जा रहा है, उनका तर्क है कि पहले भी उन्हें ज्यादा पानी मिलता रहा है, लेकिन पंजाब ने अपनी नहर प्रणाली में सुधार किया है और अब अतिरिक्त पानी नहीं है. हम पहले महज 21 प्रतिशत पानी ही यूज किया करते थे. आज सिस्टम सुधारने के कारण हम लोग 60 प्रतिशत तक पानी का सही यूज कर रहे हैं. यही कारण है कि हम अब पानी नहीं देने वाले हैं.
पंजाब विधानसभा सत्र पर सबकी निगाहें
इससे पहले पंजाब और हरियाणा, दोनों ही राज्यों ने अलग-अलग सर्वदलीय बैठक की थीं, जिनमें हर दल ने अपने-अपने राज्य के हितों की पैरवी करते हुए सरकारों के रुख का समर्थन किया था. बैठकों के बाद भी कोई समाधान नहीं निकल पाया है. यही कारण है कि अब केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खटटर भी पंजाब पहुंच चुके हैं.
हालांकि पंजाब के इस विशेष सत्र पर सबकी निगाहें रहने वाली हैं. ऐसा माना जा रहा है कि इस सत्र के जरिए रियाणा को अतिरिक्त पानी नहीं देने का प्रस्ताव सदन में लाया जाएगा और बहुमत से पारित भी किया जा सकता है. मान सरकार पानी के मसले पर आर-पार की लड़ाई के मूड में नजर आ रही है.
पंजाब सरकार पहले ही कह चुकी है कि हरियाणा को जरूरत के मुताबिक 4000 क्यूसेक पानी दिया जा रहा है. 8500 क्यूसेक पानी की मांग नाजायज है. अतिरिक्त पानी का उपयोग हरियाणा सिंचाई के लिए करेगा. इसको लेकर केंद्र सरकार ने भी अब दखल देना शुरू कर दिया है.
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